छिंदवाड़ा: श्री बादल भोई जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को समर्पित संग्रहालय का लोकार्पण विवादों में घिर गया है. आमंत्रण कार्ड में कमलनाथ का नाम नहीं होने और आदिवासी नेताओं को मुख्य अतिथि नहीं बनाने पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है. शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संग्रहालय का वर्चुअल लोकार्पण करने जा रहे हैं. जबकि दशहरा मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में सांसद बंटी विवेक साहू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे.
'होर्डिंग में किया जा रहा है आदिवासियों का अपमान'
जुन्नारदेव विधायक सुनील उइके ने लोकार्पण कार्यक्रम के लिए लगाए गए होर्डिंग और प्रशासन से जारी आमंत्रण पत्र को लेकर आपत्ति जाहिर की है. उइके ने कहा, ''आयोजन स्थल पर लगाए गए होर्डिंग में ही भाजपा आदिवासियों का अपमान कर रही है. भगवान बिरसामुंडा और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बादल भोई की फोटो के ऊपर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की फोटो लगाई गई है. लोकार्पण कार्यक्रम में जिला प्रशासन ने पूर्व राज्यपाल अनुसुइया उइके व जिले के एक भी आदिवासी जनप्रतिनिधि को मुख्य अतिथि नहीं बनाकर आदिवासियों का अपमान किया है.''
कांग्रेस विधानसभा में उठाएंगी यह मुद्दा
विधायक उइके ने यह आरोप भी लगाया कि जिला प्रशासन भाजपा के दबाव में उन्हें प्रसन्न करने के लिए लगातार इस तरह के कृत्य कर रहा है. जिला प्रशासन को अगर कांग्रेस के आदिवासी विधायकों व जनप्रतिनिधियों को उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनाने में परहेज है तो पूर्व राज्यपाल या भाजपा के ही आदिवासी जनप्रतिनिधि को मुख्य अतिथि बना सकते थे.विधायक उइके ने कहा, ''हम आदिवासियों के इस अपमान को बर्दाश्त नहीं करेंगे. इस मामले को हम विधानसभा में उठाएंगे.''
'सत्ता के दबाव में प्रोटोकॉल भूल गया प्रशासन'
युवा कांग्रेस जिला अध्यक्ष एकलव्य यहके ने कहा, '' सत्ता के दबाव में जिला प्रशासन प्रोटोकॉल भी भूल गया है. इस कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र में छिंदवाड़ा विधायक कमलनाथ का नाम नहीं लिखा जाना प्रशासन पर बने दबाव व भाजपा की कुंठित मानसिकता को दर्शा रहा है. आदिवासी संग्रहालय का नव निर्माण पूर्व सीएम कमलनाथ के प्रयासों से हुआ है. अब भाजपा श्रेय की राजनीति कर रही है.''
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जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को समर्पित है संग्रहालय
श्री बादल भोई राज्य आदिवासी संग्रहालय का विस्तार करते हुए अब इसे जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को समर्पित किया गया है. यह संग्रहालय उन वीर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित है, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया. संग्रहालय का निर्माण 40.69 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है और यह 8.5 एकड़ भूमि पर स्थित है.