छिन्दवाड़ा. मध्य प्रदेश में हुए पहले चरण के लोकसभा चुनाव की 6 सीटों में छिंदवाड़ा सबसे हॉट सीट थी और इसी सीट पर सबसे ज्यादा मतदान भी हुआ है. छिंदवाड़ा लोकसभा में कुल 79.59% मतदान हुआ. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार वोटिंग कम हुई है. 2019 के मुकाबले घटे मतदान के प्रतिशत के कई मायने निकाले जा रहे हैं.
2019 से 2.5 प्रतिशत कम हुआ मतदान
शुक्रवार को एमपी की छह लोकसभा सीटों में भले ही छिंदवाड़ा में सबसे ज्यादा मतदान हुआ हो पर 2019 की वोटिंग के मामले में मतदान कम रहा. 2019 के आंकड़े कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा में करीब 82 प्रतिशत मतदान हुआ था लेकिन इस बार यह घटकर 79.59 रह गया है. इसके पीछे सबसे प्रमुख कारण तेज धूप व गर्मी और राजनीति से जुड़े कई कारण राजनीतिक विश्लेषक बता रहे हैं. 16 लाख 32 हजार 190 मतदाताओं में से कुल 12 लाख 99 हजार 9 मतदाताओं ने मतदान किया.
कम या ज्यादा वोटिंग के क्या हैं मायने?
कहां जाता है कि जागरूक मतदाता शहरों में ज्यादा होते हैं लेकिन छिंदवाड़ा में इसका उलट हुआ है. सबसे ज्यादा मतदान आदिवासी इलाकों के वोटरों ने पहुंचकर किया है। छिंदवाड़ा लोकसभा में सबसे अधिक मतदान अमरवाड़ा विधानसभा में 82.33, जामई में 81.79 और पांढुर्णा में 80.61 फीसदी हुआ. तीनों विधानसभा आदिवासी बाहुल्य हैं. वहीं, छिंदवाड़ा विधानसभा में सबसे कम 75.16 फीसदी मतदान हुआ है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आदिवासी वोटर कांग्रेस के पक्ष में जाता है इसलिए इस बार भी ज्यादा फायदा कांग्रेस को होगा. हालांकि, 2019 के मुकाबले हुई कम वोटिंग को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. पिछले ट्रेंड बताते हैं कि जब-जब छिंदवाड़ा में वोटिंग बढ़ी है तो बीजेपी के वोट भी बढ़ें है. हालांकि, इस बार की वोटिंग ने दोनों ही पार्टियों को सस्पेंस में डाल दिया है.
मतदान दलों का वापसी पर हुआ स्वागत
मतदान के बाद रात में मतदान दलों की वापसी हुई. सभी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों से मतदान दल वापस होकर शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय छिंदवाड़ा में बनाए गए वापसी स्थल पर पहुंचे. सभी विधानसभा की मतदान के बाद ईवीएम रखने के लिए यहीं अलग-अलग स्ट्रांग रूम बनाए गए हैं. मतदान दलों की वापसी पर प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में उनका भव्य स्वागत किया गया.