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महिलाओं में बढ़ रही नशे की लत समाज के लिए घातक, एक्सपर्ट का दावा ये ट्रेंड नहीं रुका तो होंगे गंभीर परिणाम ! - Chhattisgarh women Drug addiction

आखिर क्यों महिलाओं में इन दिनों नशे की लत बढ़ रही है? इसके पीछे का क्या कारण है? जानने के लिए ईटीवी भारत ने एक्सपर्ट से बातचीत की. आइए जानते हैं एक्सपर्ट की राय.

Chhattisgarh women Drug addiction
आखिर क्यों महिलाओं में बढ़ रही नशे की लत (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 27, 2024, 11:01 PM IST

Updated : May 27, 2024, 11:09 PM IST

महिलाओं में बढ़ी नशे की लत (ETV BHARAT)

रायपुर: इन दिनों युवतियों और महिलाओं में धूम्रपान की लत अधिक देखने को मिल रही है. आज के दौर में अधिकतर महिलाएं सिगरेट, तंबाकू का सेवन करती हैं. पहले के समय में गिनी-चुनी लड़कियों को ही नशा करते देखा जा सकता था, लेकिन महिलाओं में नशे की लत बढ़ चुकी है. आखिर अचानक से ऐसा क्या हुआ कि महिलाओं का रुझान धूम्रपान की ओर तेजी से बढ़ रहा है? इसके पीछे की क्या वजह है? धूम्रपान से महिलाओं के स्वास्थ्य पर किस तरह का असर पड़ता है?

इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने एक्सपर्टस से बातचीत की. आइये जानते हैं आज के दौर में युवतियां और महिलाओं में बढ़ते नशे की लत का क्या कारण है?

धूम्रपान करना स्टेटस सिंबल: मेकाहारा कैंसर डिपार्टमेंट के डॉक्टर प्रदीप चंद्राकर ने इस बारे में ईटीवी भारत को बताया कि, "धीरे-धीरे आज हम पाश्चात्य शैली को अपनाते जा रहे हैं. धीरे-धीरे मार्डेनाइजेशन हो रहा है. इसे स्टेटस सिंबल के रूप में हम अपनाते जा रहे हैं, जिसमें आजकल देखा जा रहा है कि महिलाएं भी स्मोकिंग कर रही हैं और अल्कोहल ले रही हैं. इसकी वजह से कई तरह की बीमारियां भी महिलाओं को हो रही है. जैसे महिलाओं में इन दिनों कैंसर के केस बढ़ रहे हैं. यदि किसी को कैंसर होता है तो वह काफी खराब स्थिति होती है. वो व्यक्ति ठीक होगा या नहीं यह कह पाना मुश्किल होता है. कैंसर के 90 फीसद कारण खान-पान, रहन सहन होता है. तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन चाहे वह सिगरेट के रूप में हो या फिर किसी अन्य रूप में कैंसर का कारण होता है. 10-15 साल बाद इसका असर सामने आता है. इसकी वजह से कई तरह के कैंसर होते हैं."

यदि किसी को नशे की लत लग जाती है तो वह मनोचिकित्सक से सलाह ले सकते हैं. उनकी परामर्श के अनुसार काम कर सकते हैं. इससे अच्छा असर देखने को मिलेगा. साथ ही नशा मुक्ति केंद्र में भी नशा छोड़ने में मदद मिलेगी. नशा कोई भी हो इसकी लत हमेशा खराब होती है. -डॉक्टर प्रदीप चंद्राकर, कैंसर स्पेशलिस्ट, मेकाहारा

लड़कों से बराबरी के चक्कर में लड़कियां करती हैं स्मोकिंग: इस बारे में सामाजिक कार्यकर्ता और नशा मुक्ति केंद्र की संचालक ममता शर्मा से ईटीवी भारत ने बातचीत की. उन्होंने कहा कि, "हम 21वीं सदी की बात करते हैं, तो महिलाओं में एक बराबरी का विचार उनके मन में चलता है. आज का समय काफी एडवांस है. आज महिलाएं बाहर रह रही है. हॉस्टल में पढ़ाई कर रही है या घर से बाहर रहकर जॉब कर रही है. उनकी भी अपनी स्वतंत्रता है. जैसे लड़के व्यवहार करते हैं या पुरुष अपने लिए स्वतंत्र हैं, इन तरह की चीजों को इंटेक करने के लिए, तो वह भी इसमें शामिल हो गए हैं."

आज एक ऐसी सोच है यदि मैं अपने सर्कल में इन सारी चीजों को मना करती हूं, तो मुझे लोग पिछड़ा या बैकवर्ड कहेंगे या फिर मैं थोड़ा उस ग्रुप से अलग महसूस करने लगूंगी. यह भ्रांतियां लोगों के मन में पड़ी हुई है. यही वजह है कि आज के जेनरेशन इन माहौल में अच्छी चीजों के साथ बुरी चीजों को भी एडॉप्ट कर लेते हैं, जो उन्हें समझ नहीं आती है और जब समझ में आता है तो काफी देर हो चुकी रहती है. ऐसी कई बच्चियों और महिलाएं हमारे नशा मुक्ति केंद्र में इलाज करा रही है. -ममता शर्मा, संचालक, नशा मुक्ति केंद्र, रायपुर

बराबरी के लिए तंबाकू का सेवन नहीं है जरूरी: ममता शर्मा ने आगे कहा कि, "हम कभी भी यह न समझे कि बराबरी का मतलब गलतियों को अपने आप में खूबियां बनाकर के धारण करना है. बराबरी तो आपकी सोच में होनी चाहिए. आप जितनी पावरफुल सोच रखेंगे. हम जितना बेहतर सिद्धांत रखेंगे. वह आपको लाइफ में बहुत उंचाई में ला सकता है. मुझे नहीं लगता कि बराबरी करने के लिए कहीं भी धूम्रपान जैसी चीजों को धारण करना पड़ता है. लड़कियों में स्कूल के दौरान ही धूम्रपान की शुरुआत हो जाती है. यदि छत्तीसगढ़ के स्कूलों की बात की जाए तो यहां पर भी कई सारे ऐसे वीडियो देखने को मिले हैं, जब लड़कियां सिगरेट पीती नजर आतीं हैं. इसके बाद हॉस्टल में लड़कियों के लिए फ्री जोन मिल जाता है, क्योंकि हॉस्टल में रोज-रोज माता-पिता ध्यान नहीं देते. कोई उनके सामान की तलाशी नहीं करता. जहां पर बच्चियों को ऐसा लगता है कि हम भी लड़कों की बराबरी कर रहे हैं. इस चक्र में वो अबोध स्थिति में वे फंसते चली जाते हैं."

यानी कि महिलाओं में बढ़ते नशे की लत का कारण पाश्चात्य शैली के साथ ही मॉडर्नाइजेशन है. हालांकि एक्सपर्ट ये भी माने हैं पुरुषों से बराबरी के चक्कर में भी आज के दौर में युवतियां स्मोक करती हैं, जो कि आगे चलकर कैंसर का रूप ले लेता है और उनकी जान पर बन आती है. ऐसे में महिलाओं को खुद को नशे की लत से दूर रखना चाहिए.

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इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने एक्सपर्टस से बातचीत की. आइये जानते हैं आज के दौर में युवतियां और महिलाओं में बढ़ते नशे की लत का क्या कारण है?

धूम्रपान करना स्टेटस सिंबल: मेकाहारा कैंसर डिपार्टमेंट के डॉक्टर प्रदीप चंद्राकर ने इस बारे में ईटीवी भारत को बताया कि, "धीरे-धीरे आज हम पाश्चात्य शैली को अपनाते जा रहे हैं. धीरे-धीरे मार्डेनाइजेशन हो रहा है. इसे स्टेटस सिंबल के रूप में हम अपनाते जा रहे हैं, जिसमें आजकल देखा जा रहा है कि महिलाएं भी स्मोकिंग कर रही हैं और अल्कोहल ले रही हैं. इसकी वजह से कई तरह की बीमारियां भी महिलाओं को हो रही है. जैसे महिलाओं में इन दिनों कैंसर के केस बढ़ रहे हैं. यदि किसी को कैंसर होता है तो वह काफी खराब स्थिति होती है. वो व्यक्ति ठीक होगा या नहीं यह कह पाना मुश्किल होता है. कैंसर के 90 फीसद कारण खान-पान, रहन सहन होता है. तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन चाहे वह सिगरेट के रूप में हो या फिर किसी अन्य रूप में कैंसर का कारण होता है. 10-15 साल बाद इसका असर सामने आता है. इसकी वजह से कई तरह के कैंसर होते हैं."

यदि किसी को नशे की लत लग जाती है तो वह मनोचिकित्सक से सलाह ले सकते हैं. उनकी परामर्श के अनुसार काम कर सकते हैं. इससे अच्छा असर देखने को मिलेगा. साथ ही नशा मुक्ति केंद्र में भी नशा छोड़ने में मदद मिलेगी. नशा कोई भी हो इसकी लत हमेशा खराब होती है. -डॉक्टर प्रदीप चंद्राकर, कैंसर स्पेशलिस्ट, मेकाहारा

लड़कों से बराबरी के चक्कर में लड़कियां करती हैं स्मोकिंग: इस बारे में सामाजिक कार्यकर्ता और नशा मुक्ति केंद्र की संचालक ममता शर्मा से ईटीवी भारत ने बातचीत की. उन्होंने कहा कि, "हम 21वीं सदी की बात करते हैं, तो महिलाओं में एक बराबरी का विचार उनके मन में चलता है. आज का समय काफी एडवांस है. आज महिलाएं बाहर रह रही है. हॉस्टल में पढ़ाई कर रही है या घर से बाहर रहकर जॉब कर रही है. उनकी भी अपनी स्वतंत्रता है. जैसे लड़के व्यवहार करते हैं या पुरुष अपने लिए स्वतंत्र हैं, इन तरह की चीजों को इंटेक करने के लिए, तो वह भी इसमें शामिल हो गए हैं."

आज एक ऐसी सोच है यदि मैं अपने सर्कल में इन सारी चीजों को मना करती हूं, तो मुझे लोग पिछड़ा या बैकवर्ड कहेंगे या फिर मैं थोड़ा उस ग्रुप से अलग महसूस करने लगूंगी. यह भ्रांतियां लोगों के मन में पड़ी हुई है. यही वजह है कि आज के जेनरेशन इन माहौल में अच्छी चीजों के साथ बुरी चीजों को भी एडॉप्ट कर लेते हैं, जो उन्हें समझ नहीं आती है और जब समझ में आता है तो काफी देर हो चुकी रहती है. ऐसी कई बच्चियों और महिलाएं हमारे नशा मुक्ति केंद्र में इलाज करा रही है. -ममता शर्मा, संचालक, नशा मुक्ति केंद्र, रायपुर

बराबरी के लिए तंबाकू का सेवन नहीं है जरूरी: ममता शर्मा ने आगे कहा कि, "हम कभी भी यह न समझे कि बराबरी का मतलब गलतियों को अपने आप में खूबियां बनाकर के धारण करना है. बराबरी तो आपकी सोच में होनी चाहिए. आप जितनी पावरफुल सोच रखेंगे. हम जितना बेहतर सिद्धांत रखेंगे. वह आपको लाइफ में बहुत उंचाई में ला सकता है. मुझे नहीं लगता कि बराबरी करने के लिए कहीं भी धूम्रपान जैसी चीजों को धारण करना पड़ता है. लड़कियों में स्कूल के दौरान ही धूम्रपान की शुरुआत हो जाती है. यदि छत्तीसगढ़ के स्कूलों की बात की जाए तो यहां पर भी कई सारे ऐसे वीडियो देखने को मिले हैं, जब लड़कियां सिगरेट पीती नजर आतीं हैं. इसके बाद हॉस्टल में लड़कियों के लिए फ्री जोन मिल जाता है, क्योंकि हॉस्टल में रोज-रोज माता-पिता ध्यान नहीं देते. कोई उनके सामान की तलाशी नहीं करता. जहां पर बच्चियों को ऐसा लगता है कि हम भी लड़कों की बराबरी कर रहे हैं. इस चक्र में वो अबोध स्थिति में वे फंसते चली जाते हैं."

यानी कि महिलाओं में बढ़ते नशे की लत का कारण पाश्चात्य शैली के साथ ही मॉडर्नाइजेशन है. हालांकि एक्सपर्ट ये भी माने हैं पुरुषों से बराबरी के चक्कर में भी आज के दौर में युवतियां स्मोक करती हैं, जो कि आगे चलकर कैंसर का रूप ले लेता है और उनकी जान पर बन आती है. ऐसे में महिलाओं को खुद को नशे की लत से दूर रखना चाहिए.

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Last Updated : May 27, 2024, 11:09 PM IST
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