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छत्तीसगढ़ में स्कॉलरशिप घोटाला, आदिवासी छात्रों के हक का बंदरबांट, जिम्मेदारों पर गंभीर आरोप - Scam in scholarship

Chhattisgarh scholarship scam छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार ने आदिवासी समुदाय को ध्यान में रखकर कई योजनाएं संचालित की है ताकि आदिवासी वर्ग को सरकारी योजनाओं का लाभ मिले. लेकिन जिन अफसरों के जिम्मे आदिवासी समाज को लाभ देने का जिम्मा है, अब उन्हीं पर आदिवासी छात्रों के हक का बंदरबांट करने के आरोप लगे हैं. scholarship of tribal student

Scam in scholarship
आदिवासी छात्रों के हक का बंदरबांट (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 23, 2024, 4:53 PM IST

गौरेला पेंड्रा मरवाही : छ्त्तीसगढ़ में स्कॉलरशिप घोटाला करने के गंभीर आरोप लगे हैं. आरोप हैं कि गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में आदिवासी छात्रों के लिए आई शिष्यवृत्ति राशि को जिम्मेदारों ने डकार लिया.ये आरोप भी और किसी ने नहीं बल्कि छात्रावास के अधीक्षकों ने ही लगाए हैं. ऐसे में मामला और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है. छात्रावास में रहने वाले बच्चों को परीक्षा के बाद 22 मार्च को छुट्टी दे दी गई.इसके बाद अप्रैल माह में बच्चों की शिक्षावृत्ति छात्रावास के खाते में आई. इसी राशि पर अफसरों की नीयत डोल गई.

स्कॉलरशिप घोटाला: छात्रावास में रहने वाले छात्र-छात्राओं को उनके भोजन,नाश्ता और दूसरी व्यवस्था के लिए 1500 रुपए प्रतिमाह शिष्यावृत्ति शासन जारी करता है. जिले में 20 छात्रों के छात्रावास से लेकर 200 छात्रों की वाले छात्रावास बनाए गए हैं.जिसकी देखरेख की जिम्मेदारी छात्रावास अधीक्षकों पर है. निगरानी के लिए नोडल ऑफिसर के साथ आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त समेत पूरी टीम काम में लगी रहती है.लेकिन इन्हीं अफसरों की निगरानी में ही छात्रों की राशि के बंदरबांट का आरोप लगा है.

क्या है मामला ?: स्कूल शिक्षा विभाग ने 22 अप्रैल से बढ़ती गर्मी को देखते हुए सभी छात्रों के स्कूल आने पर रोक लगाते हुए आधिकारिक छुट्टी घोषित की थी.यानी एक माह पहले ही स्कूल बंद कर दिए गए. लिहाजा सारे बच्चे अप्रैल में ही घर चले गए.लेकिन शासन की ओर से अप्रैल माह की शिष्यावृत्ति जारी हुई. इस दौरान पेंड्रा गौरेला और मरवाही विकासखंड के तीनों नोडल अधिकारियों को मौखिक निर्देश जारी हुए कि शिष्यावृत्ति राशि का 50 प्रतिशत सहायक आयुक्त कार्यालय में लाकर जमा करें.25 फीसदी राशि को चालान के माध्यम से बैंक में जमा करें. 15 जून तक ये राशि कहे अनुसार जमा करा दी गई.इस दौरान कुछ अधीक्षकों ने मामले की जानकारी मीडिया को दे दी.

जिम्मेदारों पर ही लगे गंभीर आरोप (ETV Bharat Chhattisgarh)

क्या है अधीक्षकों का कहना ?: इस पूरे मामले में अधीक्षकों ने साफ कहा है कि कार्यालय से सीधे निर्देश मिल रहे थे कि शिष्यवृति की 50% की राशि सहायक आयुक्त तक पहुंचाई जाए. इसलिए साहब का निर्देश मानते हुए राशि या तो नोडल अधिकारियों के माध्यम से पहुंचाई गई या तो सीधे साहब को ही दे दी गई.आप आप अंदाजा लगाईए यदि 20 छात्रों की राशि आई तो इस हिसाब से 50 फीसदी राशि यानी 15 हजार रुपए सहायक आयुक्त, 7500 रुपए अधीक्षक के पास पहुंचे.वहीं 7500 रुपए बैंक में जमा हो गए.वहीं कुछ छात्रावासों में 100 छात्र हैं तो ये राशि पांच गुना तक बढ़ जाती है.

अधीक्षकों के जरिए हुआ पूरा खेल : इस बड़ी वसूली पर कई पुराने अधीक्षकों ने कहा कि खुलासे और शिकायत के डर से उन्होंने अप्रैल माह का रजिस्टर अभी खाली रख छोड़ा है. जबकि कुछ अधीक्षकों ने कैश बुक और छात्रावास की उपस्थिति पंजी पूरी भरकर घोटाले को मूर्त रूप देने की कोशिश की है. वहीं कई अधीक्षकों को कार्यालय में ही बुलाकर छात्रों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करा दी गई.

प्रति छात्र 30 रुपए वसूली के भी आरोप : गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला बिलासपुर आदिवासी विकास विभाग से संचालित होता था. तब तक ऐसा घोटाला और भ्रष्टाचार कभी नहीं हुआ.लेकिन वर्तमान में नए जिले में सहायक आयुक्त आने के बाद भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है. लगभग हर अधीक्षक ने ये स्वीकार किया कि 30 रुपए प्रति छात्र प्रतिमाह की वसूली सहायक आयुक्त ललित शुक्ला के आने के बाद से ही शुरू हुई है. इससे पहले 20 रुपए प्रति छात्र हर माह थी.

30 रुपए की वसूली से कितनी कमाई : इसे इस तरह समझे कि 50 सीटर छात्रावास में प्रतिमाह 1500 सहायक आयुक्त को देना सिस्टम का हिस्सा है.वहीं आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त ललित शुक्ला का नाम लिया.इस वजह से मीडिया ने उनसे सीधा सवाल किया कि आप पर आरोप लगे हैं कि अप्रैल की शिष्यावृति का पैसा आपने लिया है.जिस पर उनका बड़ा अजीब सा जवाब आया.

'' मामला गंभीर है जिसने आरोप लगाए हैं. उन पर कार्रवाई की जाएगी. 30 रुपए प्रतिमाह हर छात्र से वसूली की बात गलत है.जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.''- ललित शुक्ला, सहायक आयुक्त

इस पूरे मामले में मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है. आपको बता दें कि आदिवासी विकास विभाग के अधीन 84 छात्रावास हैं. जिनमें आश्रम शालाएं भी शामिल है. जबकि 4500 छात्रों को छात्रावास में रखने की व्यवस्था है. इस तरह यदि 30 रुपए प्रति छात्र से वसूली मान ली जाए तो महीने में 1 लाख 35000 की अवैध वसूली हो रही है. वहीं अप्रैल के महीने में हुई लाखों की वसूली इसके अतिरिक्त है. यानी एक ओर आदिवासी छात्रों की थाली से पैसों की चोरी हर महीने हो रही थी,वहीं अप्रैल महीने में सीधा डाका ही डाल लिया गया.

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गौरेला पेंड्रा मरवाही : छ्त्तीसगढ़ में स्कॉलरशिप घोटाला करने के गंभीर आरोप लगे हैं. आरोप हैं कि गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में आदिवासी छात्रों के लिए आई शिष्यवृत्ति राशि को जिम्मेदारों ने डकार लिया.ये आरोप भी और किसी ने नहीं बल्कि छात्रावास के अधीक्षकों ने ही लगाए हैं. ऐसे में मामला और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है. छात्रावास में रहने वाले बच्चों को परीक्षा के बाद 22 मार्च को छुट्टी दे दी गई.इसके बाद अप्रैल माह में बच्चों की शिक्षावृत्ति छात्रावास के खाते में आई. इसी राशि पर अफसरों की नीयत डोल गई.

स्कॉलरशिप घोटाला: छात्रावास में रहने वाले छात्र-छात्राओं को उनके भोजन,नाश्ता और दूसरी व्यवस्था के लिए 1500 रुपए प्रतिमाह शिष्यावृत्ति शासन जारी करता है. जिले में 20 छात्रों के छात्रावास से लेकर 200 छात्रों की वाले छात्रावास बनाए गए हैं.जिसकी देखरेख की जिम्मेदारी छात्रावास अधीक्षकों पर है. निगरानी के लिए नोडल ऑफिसर के साथ आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त समेत पूरी टीम काम में लगी रहती है.लेकिन इन्हीं अफसरों की निगरानी में ही छात्रों की राशि के बंदरबांट का आरोप लगा है.

क्या है मामला ?: स्कूल शिक्षा विभाग ने 22 अप्रैल से बढ़ती गर्मी को देखते हुए सभी छात्रों के स्कूल आने पर रोक लगाते हुए आधिकारिक छुट्टी घोषित की थी.यानी एक माह पहले ही स्कूल बंद कर दिए गए. लिहाजा सारे बच्चे अप्रैल में ही घर चले गए.लेकिन शासन की ओर से अप्रैल माह की शिष्यावृत्ति जारी हुई. इस दौरान पेंड्रा गौरेला और मरवाही विकासखंड के तीनों नोडल अधिकारियों को मौखिक निर्देश जारी हुए कि शिष्यावृत्ति राशि का 50 प्रतिशत सहायक आयुक्त कार्यालय में लाकर जमा करें.25 फीसदी राशि को चालान के माध्यम से बैंक में जमा करें. 15 जून तक ये राशि कहे अनुसार जमा करा दी गई.इस दौरान कुछ अधीक्षकों ने मामले की जानकारी मीडिया को दे दी.

जिम्मेदारों पर ही लगे गंभीर आरोप (ETV Bharat Chhattisgarh)

क्या है अधीक्षकों का कहना ?: इस पूरे मामले में अधीक्षकों ने साफ कहा है कि कार्यालय से सीधे निर्देश मिल रहे थे कि शिष्यवृति की 50% की राशि सहायक आयुक्त तक पहुंचाई जाए. इसलिए साहब का निर्देश मानते हुए राशि या तो नोडल अधिकारियों के माध्यम से पहुंचाई गई या तो सीधे साहब को ही दे दी गई.आप आप अंदाजा लगाईए यदि 20 छात्रों की राशि आई तो इस हिसाब से 50 फीसदी राशि यानी 15 हजार रुपए सहायक आयुक्त, 7500 रुपए अधीक्षक के पास पहुंचे.वहीं 7500 रुपए बैंक में जमा हो गए.वहीं कुछ छात्रावासों में 100 छात्र हैं तो ये राशि पांच गुना तक बढ़ जाती है.

अधीक्षकों के जरिए हुआ पूरा खेल : इस बड़ी वसूली पर कई पुराने अधीक्षकों ने कहा कि खुलासे और शिकायत के डर से उन्होंने अप्रैल माह का रजिस्टर अभी खाली रख छोड़ा है. जबकि कुछ अधीक्षकों ने कैश बुक और छात्रावास की उपस्थिति पंजी पूरी भरकर घोटाले को मूर्त रूप देने की कोशिश की है. वहीं कई अधीक्षकों को कार्यालय में ही बुलाकर छात्रों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करा दी गई.

प्रति छात्र 30 रुपए वसूली के भी आरोप : गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला बिलासपुर आदिवासी विकास विभाग से संचालित होता था. तब तक ऐसा घोटाला और भ्रष्टाचार कभी नहीं हुआ.लेकिन वर्तमान में नए जिले में सहायक आयुक्त आने के बाद भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है. लगभग हर अधीक्षक ने ये स्वीकार किया कि 30 रुपए प्रति छात्र प्रतिमाह की वसूली सहायक आयुक्त ललित शुक्ला के आने के बाद से ही शुरू हुई है. इससे पहले 20 रुपए प्रति छात्र हर माह थी.

30 रुपए की वसूली से कितनी कमाई : इसे इस तरह समझे कि 50 सीटर छात्रावास में प्रतिमाह 1500 सहायक आयुक्त को देना सिस्टम का हिस्सा है.वहीं आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त ललित शुक्ला का नाम लिया.इस वजह से मीडिया ने उनसे सीधा सवाल किया कि आप पर आरोप लगे हैं कि अप्रैल की शिष्यावृति का पैसा आपने लिया है.जिस पर उनका बड़ा अजीब सा जवाब आया.

'' मामला गंभीर है जिसने आरोप लगाए हैं. उन पर कार्रवाई की जाएगी. 30 रुपए प्रतिमाह हर छात्र से वसूली की बात गलत है.जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.''- ललित शुक्ला, सहायक आयुक्त

इस पूरे मामले में मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है. आपको बता दें कि आदिवासी विकास विभाग के अधीन 84 छात्रावास हैं. जिनमें आश्रम शालाएं भी शामिल है. जबकि 4500 छात्रों को छात्रावास में रखने की व्यवस्था है. इस तरह यदि 30 रुपए प्रति छात्र से वसूली मान ली जाए तो महीने में 1 लाख 35000 की अवैध वसूली हो रही है. वहीं अप्रैल के महीने में हुई लाखों की वसूली इसके अतिरिक्त है. यानी एक ओर आदिवासी छात्रों की थाली से पैसों की चोरी हर महीने हो रही थी,वहीं अप्रैल महीने में सीधा डाका ही डाल लिया गया.

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