रायपुर: छत्तीसगढ़ में ईको रेस्टोरेशन पॉलिसी तैयार की जा रही है. केरल के बाद छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य है जो यह पॉलिसी तैयार कर रहा है. वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के क्षेत्र में राज्य को नई पहचान दिलाने की दिशा में एक ठोस प्रयास है.
ईको रेस्टोरेशन क्या है: ईको रेस्टोरेशन क्षतिग्रस्त, क्षीण या नष्ट हो चुके पारिस्थितिक तंत्रों को ठीक करने में मदद करने की प्रक्रिया है. इसका लक्ष्य पारिस्थितिक तंत्र को ठीक करना है. इसके अंतर्गत पेड़ लगाना, मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करना और देसी पौधों की प्रजातियों की ज्यादा से ज्यादा बुवाई करना है. जैव विविधता के संरक्षण, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए ईको-रेस्टोरेशन काफी जरूरी माना जा रहा है.
जनवरी में पेश होगा ईको रेस्टोरेशन का फाइनल ड्राफ्ट: प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख वी. श्रीनिवास राव ने बताया कि ईको-रेस्टोरेशन पॉलिसी का मसौदा तैयार किया जा रहा है. इस नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य के खोए हुए वन क्षेत्रों, आर्द्रभूमियों और अन्य पारिस्थितिक तंत्रों को पुनर्स्थापित करना है. नीति को ज्यादा से ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों और समाज के सभी वर्गों से सुझाव लिए जा रहे हैं. इस पॉलिसी का फाइनल ड्राफ्ट जनवरी में पेश किया जाएगा.
साल 2021 से 2023 तक ईको रेस्टोरेशन दशक: संयुक्त राष्ट्र ने पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण को रोकने और उसे ठीक करने के लिए 2021-2030 को पारिस्थितिकी तंत्र बहाली का दशक घोषित किया है. भारत की ग्लोबल रेस्टोरेशन इनिशिएटिव, बॉन चैलेंज और संयुक्त राष्ट्र ईको-रेस्टोरेशन दशक में भागीदारी यह स्पष्ट करती है कि एक केंद्रित ईको-रेस्टोरेशन नीति अनिवार्य है. इसे ध्यान में रखते हुए, सर्वाेच्च न्यायालय ने 2021 में अपने निर्देश के तहत एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया, जिसने ईको-रेस्टोरेशन को प्राथमिकता देने की सिफारिश की.
कंसलटेशन वर्कशॉप में मांगे गए सुझाव: छत्तीसगढ़ स्टेट सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज के तत्वाधान में बीते दिनों दो राज्य स्तरीय कंसलटेशन वर्कशॉप का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के ईको-रिहैबिलिटेशन सेंटर के वैज्ञानिक, वानिकी विशेषज्ञ, भारतीय प्रबंधन संस्थान रायपुर की फैकल्टी और छात्र, कृषि, पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी, शोधकर्ता, शैक्षणिक क्षेत्र से जुड़े लोग, एनजीओ और समुदायों के प्रतिनिधि, वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और अन्य विशेषज्ञों ने अपने सुझाव लिए गए.
इसके लिए आर्द्रभूमि प्रबंधन, शहरी पारिस्थितिकी संरक्षण और खनन प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्वास जैसे विशिष्ट मुद्दों पर विशेषज्ञों से जानकारी ली गई. इस वर्कशॉप का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ को पारिस्थितिक पुनर्स्थापना के क्षेत्र में एक व्यापक और प्रभावशाली नीति बनाने में सक्षम बनाना है, जो दूसरे राज्यों के लिए भी उदाहरण बनेगी.