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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले का जग्गी के परिवार ने किया स्वागत, कहा-भगवान के घर देर है अंधेर नहीं - Jaggi murder case - JAGGI MURDER CASE

छत्तीसगढ़ की सियासत में भूचाल लाने वाले राम अवतार जग्गी हत्याकांड में आखिरकर फैसला आ गया. बिलासपुर हाईकोर्ट ने राम अवतार जग्गी हत्याकांड में आज 28 आरोपियों को सजा सुनाई. हाईकोर्ट के फैसले पर जग्गी परिवार के लोगों ने खुशी जाहिर की है. परिवार ने कहा कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं. अमित जोगी पर किसी तरह की कार्यवाही नहीं होने पर परिवार दुखी भी नजर आया.

JAGGI MURDER CASE
भगवान के घर देर है अंधेर नहीं
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 4, 2024, 5:30 PM IST

भगवान के घर देर है अंधेर नहीं

रायपुर: राम अवतार जग्गी हत्याकांड में बिलासपुर हाईकोर्ट का फैसला आ गया है. हाईकोर्ट ने 28 लोगों को आजीवन कारवास की सजा सुनाई है. साल 2007 में जग्गी हत्याकांड केस बिलासपुर हाईकोर्ट पहुंचा था. पीड़ित परिवार ने फैसला आने के बाद खुशी जाहिर करते हुए कहा कि भगवान ने न्याय दिया. परिवार फैसले से जहां खुश नजर आया वहीं परिवार अमित जोगी पर कोई कार्यवाही नहीं होने से दुखी भी दिखाई दिया.

राम अवतार जग्गी हत्याकांड: कोर्ट के फैसले पर परिवार ने खुशी जाहिर की है. राम अवतार जग्गी की पत्नी गुलशन जग्गी ने कहा कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं. राम अवतार के बेटे सतीश जग्गी ने कहा कि हमें भरोसा था कि हमें अदालत से न्याय मिलेगा. चार जून साल 2003 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संयोजक राम अवतार जग्गी की हत्या गोली मारकर की दी गई थी. हत्याकांड के बाद पीड़ित परिवार की ओर से मौदहा पारा थाने में हत्या की शिकायत दर्ज की गई. केस जब कोर्ट में पहुंचा तो निचली अदालत ने सुनवाई के बाद 28 आरोपियों को सजा सुनाई. पीड़ित परिवार की फरियाद पर 2007 में मामला हाईकोर्ट में पहुंचा. लंबी चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने जब सुनवाई पूरी हुई तो अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. गुरुवार को कोर्ट ने अपना फैसला दोनों पक्षों को सुनाया. हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि सभी 28 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है. परिवार को इस बात का दुख था कि अमित जोगी मामले में कार्यवाही से बच गए.


"हमें भगवान पर पूरा विश्वास था और उन्होंने ही हमें न्याय दिलाया है. भगवान से बड़ा कोई नहीं है. अमित जोगी पर कार्यवाही और कड़ी सजा होनी चाहिए. परिवार को सुरक्षा मिलनी चाहिए. हमने इस फैसला का 21 साल तक इंतजार किया. आज फैसला आ गया है हम फैसले से खुश हैं. - गुलशन जग्गी, मृतक राम अवतार जग्गी की पत्नी


"4 जून 2003 को मेरे पिता राम अवतार जग्गी की हत्या हुई थी. कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है. पिता की हत्या के तुरंत बाद मौदहा पारा थाने में FIR दर्ज करवाई थी. शिकायत में अजीत जोगी और उनके पुत्र अमित जोगी का भी इस हत्याकांड में नाम दर्ज कराया था. हमने सीबीआई जांच की मांग की थी. इस पूरे मामले में सीबीआई ने 29 लोगों को अभियुक्त बनाया था. चार्जशीट भी दाखिल की थी. कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है उससे उम्मीद की एक किरण नजर आई है. यह एक राजनीतिक हत्या थी. आज भी इस मामले में राजनीति हो रही है. - सतीश जग्गी, मृतक राम अवतार जग्गी का बेटा

जग्गी हत्याकांड की कहानी: हत्याकांड के वक्त साल 2003 में सीएसपी रहे अमरिंदर सिंह गिल, क्राइम ब्रांच के अधिकारी आरसी त्रिवेदी, थाना प्रभारी सीके पांडेय भी आरोपियों की लिस्ट में शामिल रहे. दर्ज रिकार्ड के मुताबिक भिंड और मुरैना से 16 से 17 शूटर बुलाए गए थे. रिपोर्ट के मुताबिक शूटर चिमन सिंह ने राम अवतार जग्गी को गोली मारी थी. सुनवाई के दौरान निचली अदालत ने 28 लोगों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी. वहीं एक आरोपी अमित जोगी को मामले से बरी कर दिया गया था. जोगी राहत मिलने के बाद राम अवतार जग्गी के बेटे ने हाईकोर्ट का रुख किया.

हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच को माना सही: निचली अदालत ने जो फैसला सुनाया उसके खिलाफ सजा पाए लोग भी हाईकोर्ट में याचिका लेकर पहुंचे. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सीबीआई की जांच को सही मानते हुए सभी 28 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

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भगवान के घर देर है अंधेर नहीं

रायपुर: राम अवतार जग्गी हत्याकांड में बिलासपुर हाईकोर्ट का फैसला आ गया है. हाईकोर्ट ने 28 लोगों को आजीवन कारवास की सजा सुनाई है. साल 2007 में जग्गी हत्याकांड केस बिलासपुर हाईकोर्ट पहुंचा था. पीड़ित परिवार ने फैसला आने के बाद खुशी जाहिर करते हुए कहा कि भगवान ने न्याय दिया. परिवार फैसले से जहां खुश नजर आया वहीं परिवार अमित जोगी पर कोई कार्यवाही नहीं होने से दुखी भी दिखाई दिया.

राम अवतार जग्गी हत्याकांड: कोर्ट के फैसले पर परिवार ने खुशी जाहिर की है. राम अवतार जग्गी की पत्नी गुलशन जग्गी ने कहा कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं. राम अवतार के बेटे सतीश जग्गी ने कहा कि हमें भरोसा था कि हमें अदालत से न्याय मिलेगा. चार जून साल 2003 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संयोजक राम अवतार जग्गी की हत्या गोली मारकर की दी गई थी. हत्याकांड के बाद पीड़ित परिवार की ओर से मौदहा पारा थाने में हत्या की शिकायत दर्ज की गई. केस जब कोर्ट में पहुंचा तो निचली अदालत ने सुनवाई के बाद 28 आरोपियों को सजा सुनाई. पीड़ित परिवार की फरियाद पर 2007 में मामला हाईकोर्ट में पहुंचा. लंबी चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने जब सुनवाई पूरी हुई तो अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. गुरुवार को कोर्ट ने अपना फैसला दोनों पक्षों को सुनाया. हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि सभी 28 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है. परिवार को इस बात का दुख था कि अमित जोगी मामले में कार्यवाही से बच गए.


"हमें भगवान पर पूरा विश्वास था और उन्होंने ही हमें न्याय दिलाया है. भगवान से बड़ा कोई नहीं है. अमित जोगी पर कार्यवाही और कड़ी सजा होनी चाहिए. परिवार को सुरक्षा मिलनी चाहिए. हमने इस फैसला का 21 साल तक इंतजार किया. आज फैसला आ गया है हम फैसले से खुश हैं. - गुलशन जग्गी, मृतक राम अवतार जग्गी की पत्नी


"4 जून 2003 को मेरे पिता राम अवतार जग्गी की हत्या हुई थी. कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है. पिता की हत्या के तुरंत बाद मौदहा पारा थाने में FIR दर्ज करवाई थी. शिकायत में अजीत जोगी और उनके पुत्र अमित जोगी का भी इस हत्याकांड में नाम दर्ज कराया था. हमने सीबीआई जांच की मांग की थी. इस पूरे मामले में सीबीआई ने 29 लोगों को अभियुक्त बनाया था. चार्जशीट भी दाखिल की थी. कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है उससे उम्मीद की एक किरण नजर आई है. यह एक राजनीतिक हत्या थी. आज भी इस मामले में राजनीति हो रही है. - सतीश जग्गी, मृतक राम अवतार जग्गी का बेटा

जग्गी हत्याकांड की कहानी: हत्याकांड के वक्त साल 2003 में सीएसपी रहे अमरिंदर सिंह गिल, क्राइम ब्रांच के अधिकारी आरसी त्रिवेदी, थाना प्रभारी सीके पांडेय भी आरोपियों की लिस्ट में शामिल रहे. दर्ज रिकार्ड के मुताबिक भिंड और मुरैना से 16 से 17 शूटर बुलाए गए थे. रिपोर्ट के मुताबिक शूटर चिमन सिंह ने राम अवतार जग्गी को गोली मारी थी. सुनवाई के दौरान निचली अदालत ने 28 लोगों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी. वहीं एक आरोपी अमित जोगी को मामले से बरी कर दिया गया था. जोगी राहत मिलने के बाद राम अवतार जग्गी के बेटे ने हाईकोर्ट का रुख किया.

हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच को माना सही: निचली अदालत ने जो फैसला सुनाया उसके खिलाफ सजा पाए लोग भी हाईकोर्ट में याचिका लेकर पहुंचे. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सीबीआई की जांच को सही मानते हुए सभी 28 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

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