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छत्तीसगढ़ में पशुओं की जनगणना शुरू, सितंबर के अंत तक मिलेगा अंतिम आंकड़ा - CG Animal census Final data

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 13, 2024, 1:21 PM IST

हर पांच साल में पशुओं की जनगणना कराई जाती है. इस साल भी सितंबर माह की शुरुआत से ही जनगणना शुरू हो चुकी है. सितंबर के अंत तक जनगणना का अंतिम डाटा आ जाएगा.

Chhattisgarh Animal census
पशुओं की जनगणना शुरू (ETV Bharat)

कोरबा: देश में जातिगत जनगणना को लेकर घमासान मचा हुआ है. हालांकि यह कब होगा इस बात का जवाब किसी के पास नहीं है. लेकिन पशु विभाग ने पशुओं की हर 5 साल में होने वाली पशुओं की जनगणना जरूर शुरू कर दी है. इससे पता लगाया जाएगा कि गाय, भैंस, बकरी और मुर्गी जैसे ऐसे पालतू जानवर, जिन्हें पशुधन समझा जाता है, उनकी संख्या कितनी है. पशुधन समझे जाने वाले पशुओं को व्यावसायिक तौर पर पालकर लोगों की आजीविका चलती है. इनसे मिले उत्पादों से दूध, दही और मिठाइयों बनती है. शाकाहार और मांसाहार दोनों तरह के लोगों के लिए ऐसे जानवर बेहद महत्वपूर्ण होते हैं.

छत्तीसगढ़ में पशुओं की जनगणना शुरू (ETV Bharat)

सितंबर से शुरू हो चुकी है 21वीं पशु जनगणना: राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत प्रत्येक 5 साल में पशुओं की जनगणना कराई जाती है. यह जनगणना पशु विभाग की ओर से कराई जाती है. इस दौरान यह पता लगाया जाता है कि जिन जानवरों को व्यवसायिक तौर पर पाला जाता है, उनकी संख्या कितनी है? पालतू जानवरों को पालने वाले लोग इनके दूध निकाल कर बाजारों तक पहुंचाते हैं, जिनसे कई तरह के उत्पाद बनते हैं.

सितंबर के अंत तक किया जाएगा पूरा: वहीं, बकरी और मुर्गियों का व्यापार भी बड़े पैमाने पर किया जाता है, जिसे मांसाहारी लोग भोजन के तौर पर उपयोग करते हैं. इसके अलावा सुअर सहित अन्य तरह के पालतू जानवरों को भी इस जनगणना में शामिल किया जाता है. वर्तमान में जो जनगणना की जा रही है, वह देश आजाद होने के बाद से लेकर अब तक की 21वीं जनगणना है, जिसे सितंबर के अंत तक पूरा किया जाएगा.

"21वीं पशु जनगणना की शुरुआत हो चुकी है. इसके लिए सभी को प्रशिक्षण दिया गया था. नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं. सुपरवाइजर तक संख्या भेजी जाती है, जो उसे वेरीफाई करके ऑनलाइन फीड करते हैं. पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है. अंतिम आंकड़े सितंबर के अंत तक आ जाएंगे." -डॉ. एसपी सिंह, उपसंचालक, पशुधन विभाग

जनगणना के आधार पर ही बनती है योजना: इस जनगणना में सिर्फ ऐसे पशुओं को शामिल किया जाता है, जिन्हें पशुधन समझा जाता है. जिन पशुओं को लोग घरों में पालते हैं. जिनसे कोई ना कोई उत्पाद मिलता है. आम लोगों के द्वारा इनका उपभोग भोजन या अन्य तरह से किया जाता है. पशुधन विभाग की ओर से ऐसे पशुओं के लिए विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जाता है. इनमें पाई जाने वाली बीमारियों के निदान से लेकर कई तरह की सेवाएं दी जाती हैं. जिसके लिए विकासखंड और ग्राम पंचायत स्तर पर भी पशु चिकित्सालय और औषधालय होते हैं. जनगणना के आधार पर ही सारी योजनाएं बनाई जाती हैं और उनका बजट तैयार किया जाता है.

वर्तमान में पशुओं की संख्या :

पशुसंख्या
गौवंश/भैंसवंश4 लाख 6 हजार
बकरी87 हजार
सुअर2394
मुर्गी3 लाख 73 हजार
अन्य 9000
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छत्तीसगढ़ में पशुओं की जनगणना शुरू (ETV Bharat)

सितंबर से शुरू हो चुकी है 21वीं पशु जनगणना: राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत प्रत्येक 5 साल में पशुओं की जनगणना कराई जाती है. यह जनगणना पशु विभाग की ओर से कराई जाती है. इस दौरान यह पता लगाया जाता है कि जिन जानवरों को व्यवसायिक तौर पर पाला जाता है, उनकी संख्या कितनी है? पालतू जानवरों को पालने वाले लोग इनके दूध निकाल कर बाजारों तक पहुंचाते हैं, जिनसे कई तरह के उत्पाद बनते हैं.

सितंबर के अंत तक किया जाएगा पूरा: वहीं, बकरी और मुर्गियों का व्यापार भी बड़े पैमाने पर किया जाता है, जिसे मांसाहारी लोग भोजन के तौर पर उपयोग करते हैं. इसके अलावा सुअर सहित अन्य तरह के पालतू जानवरों को भी इस जनगणना में शामिल किया जाता है. वर्तमान में जो जनगणना की जा रही है, वह देश आजाद होने के बाद से लेकर अब तक की 21वीं जनगणना है, जिसे सितंबर के अंत तक पूरा किया जाएगा.

"21वीं पशु जनगणना की शुरुआत हो चुकी है. इसके लिए सभी को प्रशिक्षण दिया गया था. नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं. सुपरवाइजर तक संख्या भेजी जाती है, जो उसे वेरीफाई करके ऑनलाइन फीड करते हैं. पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है. अंतिम आंकड़े सितंबर के अंत तक आ जाएंगे." -डॉ. एसपी सिंह, उपसंचालक, पशुधन विभाग

जनगणना के आधार पर ही बनती है योजना: इस जनगणना में सिर्फ ऐसे पशुओं को शामिल किया जाता है, जिन्हें पशुधन समझा जाता है. जिन पशुओं को लोग घरों में पालते हैं. जिनसे कोई ना कोई उत्पाद मिलता है. आम लोगों के द्वारा इनका उपभोग भोजन या अन्य तरह से किया जाता है. पशुधन विभाग की ओर से ऐसे पशुओं के लिए विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जाता है. इनमें पाई जाने वाली बीमारियों के निदान से लेकर कई तरह की सेवाएं दी जाती हैं. जिसके लिए विकासखंड और ग्राम पंचायत स्तर पर भी पशु चिकित्सालय और औषधालय होते हैं. जनगणना के आधार पर ही सारी योजनाएं बनाई जाती हैं और उनका बजट तैयार किया जाता है.

वर्तमान में पशुओं की संख्या :

पशुसंख्या
गौवंश/भैंसवंश4 लाख 6 हजार
बकरी87 हजार
सुअर2394
मुर्गी3 लाख 73 हजार
अन्य 9000
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