सरगुजा: सरगुजा संभाग में बड़े ही धूमधाम से छठ पर्व मनाया जाता है. यहां काफी संख्या में बिहार झारखंड के लोग रहते हैं, यही कारण है की सरगुजा में इस महापर्व की भव्यता देखने लायक रहती है. क्षेत्र के हर नदी तालाब में लोग छठ पूजा करते हैं. सरगुजा का सबसे बड़ा छठ घाट शंकर घाट है. यहां इतनी भीड़ उमड़ती है कि नेशनल हाइवे को करीब 24 घंटे तक बंद रखना पड़ता है. रूट डायवर्ट कर गाड़ियों को भेजा जाता है.
शंकर घाट में छठ पूजा की तैयारी: अंबिकापुर के शंकर घाट में पिछले 26 साल से महामाया सेवा समिति की तरफ से छठ पूजन की व्यवस्था की जाती है. इस बार भी समिति के लोग तैयारी में लग गये हैं. नदी व घाट की साफ सफाई, व्रती महिलाओं के ठहरने के लिये टेंट के पंडाल, सहित पूरे प्रांगण को गोबर से लीपा गया है. इसके साथ ही जगह के चयन के लिए चूने से नंबर लिख दिए गए हैं, जिससे लोग अपने पूजा का स्थान सुरक्षित कर सकें. छठ पूजा में यहां विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन भी होते हैं जो लोगों के आकर्षण का केंद्र होते हैं. पूरे घाट में दीप प्रज्ज्वलित किये जाते हैं. बनारस के पंडितों की तरफ से गंगा आरती और छठ भजन का आयोजन किया जाता है.
50 हजार से ज्यादा लोगों की पहुंच सकती है भीड़: महामया सेवा समिति के संस्थापक विजय सोनी बताते हैं लगातार 26 सालों से समिति के लोग शंकरघाट में छठ व्रतियों के लिए व्यवस्था की जा रही है. हर साल छठी व्रतियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. महिलाओं के लिये रात में रुकने की व्यवस्था, पंडाल, कंबल, अर्घ्य के लिये दूध व अन्य व्यवस्था करते आ रहे हैं. इस बार भी सारी व्यवस्था की जा चुकी है. यहां 50 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है. हर बार लोग बढ़ते ही जा रहे हैं, इस बार भी 50 हजार से ज्यादा की भीड़ होने की उम्मीद है.
सूर्य उपासना का पर्व छठ पूजा: भारत सिंह सिसोदिया कहते हैं ये 3 दिवसीय सूर्य उपासना का पर्व है. सनातन धर्म का सबसे कठिन नियमों का पालन कराने वाला ये व्रत है. इसमे हम जीवंत भगवान सूर्य की पूजा करते हैं. नदी और वनस्पति की पूजा करते हैं. यह पर्व हमें प्रकृति से जोड़ता है.
छठ पूजा की तिथि: छठ पूजा का पहला दिन यानी नहाय खाय 5 नवंबर (मंगलवार) है. दूसरा दिन 6 नवंबर (बुधवार) को खरना है. तीसरे दिन 7 नवंबर को संध्याकालीन अर्घ्य है. चौथे दिन 8 नवंबर को प्रात:कालीन अर्घ्य के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ का समापन हो जाएगा. प्रातःकालीन अर्ध्य के बाद छठ व्रती घर आकर छठ पूजन सामग्री का घर में पूजा कर पारण करती हैं.