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छठ महापर्व; बनारस में VIP कल्चर से रिजर्व की जा रहीं वेदियां, किसी ने लिखा 'भाजपा जिलाध्यक्ष' तो किसी ने 'थाना परिवार'

CHHATH GANGA GHAT VEDI : पूजा के लिए वेदियों को रिजर्व करने की होड़. पर्व का आज दूसरा दिन.

बनारस में पूजा के लिए रिजर्व की जा रही वेदियां.
बनारस में पूजा के लिए रिजर्व की जा रही वेदियां. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 6, 2024, 12:57 PM IST

वाराणसी : लोक आस्था के महापर्व छठ व्रत की शुरुआत 5 नवंबर से हो चुकी है. तीन दिवसीय इस महापर्व का उल्लास बनारस में भी देखने को मिल रहा है. नहाय खाय के साथ शुरू हुए इस पर्व में आज खरना की परंपरा का निर्वहन किया जाएगा. शाम को व्रती महिलाएं गुड़ की खीर और पूरी का प्रसाद ग्रहण करेंगी. वहीं दूसरी ओर घाटों और नदियों के किनारे लोगों की तरफ से वेदियां बनाकर उन्हें रिजर्व करने की कवायद भी शुरू कर दी गई है. शास्त्री घाट समेत कई जगहों पर वेदियों पर वीआईपी कल्चर भी देखने को मिल रहा है. लोग बेदी बनाने के साथ ही उस पर अपना नाम और पद भी लिख रहे हैं. कोई अपने नाम के साथ बीजेपी नेता, कोई पुलिस तो कोई पत्रकार लिख रहा है. कुछ लोगों ने भाजपा जिलाध्यक्ष और थाना परिवार भी लिखा है.

छठ पूजा के लिए रिजर्व की गई बेदी. (Video Credit; ETV Bharat)

बिहार की तर्ज पर ही वाराणसी में भी बड़े रूप में डाला छठ (छठ) का पर्व मनाया जाता है. गंगा घाट पर लाखों की भीड़ इस पर्व को मनाने के लिए जुटती है. इसकी बड़ी वजह यह भी है कि बनारस बिहार के नजदीक है. इसके अलावा यहां काफी संख्या में बिहार के लोग रहते हैं. यहां घाटों पर लगातार लोगों की भीड़ जुटती है. लोकगीत भी सुनने को मिलती है. इन सब के बीच वेदियों पर वीआईपी कल्चर पर कुछ लोगों ने सवाल भी खड़े किए हैं.

भीड़ से बचने और अपनी जगह को रिजर्व करने के लिए पूजा के लिए बनाई जाने वाली वेदियों पर नाम और पद लिखकर इसे सुरक्षित करने की यह कवायद काफी पुरानी है. कुछ लोगों का कहना है कि लोग भीड़ से पूजा-पाठ में व्यवधान से बचने के लिए ऐसा करते हैं. वहीं कुछ का कहना है कि यह वेदियो पर नाम-पद लिखना पूजा-पाठ जैसे पवित्र कार्य के लिए उचित नहीं है.

बनारस में नदियों के किनारे नाम और पद लिखने को यहां आने वाले लोग भी सही नहीं मान रहे हैं. विकास चौधरी और प्रतीक सिंह का कहना है कि पूजा पाठ में कैसा वीआईपी कल्चर. यह सार्वजनिक जगह है. जिसको जहां जगह मिले, वह उस जगह पर पूजा करे. वेदी केवल इसलिए बनाई जाती है जिससे उस जगह पर परिवार के लोग आकर पूजा-पाठ कर सकें, लेकिन यह परंपरा ठीक नहीं है कि उस पर अपना नाम लिखे. परंपरा यह है कि जिस वेदी का निर्माण किया जाता है. उसकी रक्षा लोग 4 दिनों तक रुककर करते हैं. न कि अपना नाम और पद लिखकर अपना रौब झाड़ते की कोशिश करते हैं.

यह भी पढ़ें : VIDEO : बनारस के घाटों पर गूंज रहे छठ के लोकगीत, कांच ही बांस के बहंगिया...देखें वीडियो

वाराणसी : लोक आस्था के महापर्व छठ व्रत की शुरुआत 5 नवंबर से हो चुकी है. तीन दिवसीय इस महापर्व का उल्लास बनारस में भी देखने को मिल रहा है. नहाय खाय के साथ शुरू हुए इस पर्व में आज खरना की परंपरा का निर्वहन किया जाएगा. शाम को व्रती महिलाएं गुड़ की खीर और पूरी का प्रसाद ग्रहण करेंगी. वहीं दूसरी ओर घाटों और नदियों के किनारे लोगों की तरफ से वेदियां बनाकर उन्हें रिजर्व करने की कवायद भी शुरू कर दी गई है. शास्त्री घाट समेत कई जगहों पर वेदियों पर वीआईपी कल्चर भी देखने को मिल रहा है. लोग बेदी बनाने के साथ ही उस पर अपना नाम और पद भी लिख रहे हैं. कोई अपने नाम के साथ बीजेपी नेता, कोई पुलिस तो कोई पत्रकार लिख रहा है. कुछ लोगों ने भाजपा जिलाध्यक्ष और थाना परिवार भी लिखा है.

छठ पूजा के लिए रिजर्व की गई बेदी. (Video Credit; ETV Bharat)

बिहार की तर्ज पर ही वाराणसी में भी बड़े रूप में डाला छठ (छठ) का पर्व मनाया जाता है. गंगा घाट पर लाखों की भीड़ इस पर्व को मनाने के लिए जुटती है. इसकी बड़ी वजह यह भी है कि बनारस बिहार के नजदीक है. इसके अलावा यहां काफी संख्या में बिहार के लोग रहते हैं. यहां घाटों पर लगातार लोगों की भीड़ जुटती है. लोकगीत भी सुनने को मिलती है. इन सब के बीच वेदियों पर वीआईपी कल्चर पर कुछ लोगों ने सवाल भी खड़े किए हैं.

भीड़ से बचने और अपनी जगह को रिजर्व करने के लिए पूजा के लिए बनाई जाने वाली वेदियों पर नाम और पद लिखकर इसे सुरक्षित करने की यह कवायद काफी पुरानी है. कुछ लोगों का कहना है कि लोग भीड़ से पूजा-पाठ में व्यवधान से बचने के लिए ऐसा करते हैं. वहीं कुछ का कहना है कि यह वेदियो पर नाम-पद लिखना पूजा-पाठ जैसे पवित्र कार्य के लिए उचित नहीं है.

बनारस में नदियों के किनारे नाम और पद लिखने को यहां आने वाले लोग भी सही नहीं मान रहे हैं. विकास चौधरी और प्रतीक सिंह का कहना है कि पूजा पाठ में कैसा वीआईपी कल्चर. यह सार्वजनिक जगह है. जिसको जहां जगह मिले, वह उस जगह पर पूजा करे. वेदी केवल इसलिए बनाई जाती है जिससे उस जगह पर परिवार के लोग आकर पूजा-पाठ कर सकें, लेकिन यह परंपरा ठीक नहीं है कि उस पर अपना नाम लिखे. परंपरा यह है कि जिस वेदी का निर्माण किया जाता है. उसकी रक्षा लोग 4 दिनों तक रुककर करते हैं. न कि अपना नाम और पद लिखकर अपना रौब झाड़ते की कोशिश करते हैं.

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