छतरपुर। लोकायुक्त ने ऐसा जाल विछाया कि महिला सरपंच को भनक भी नहीं लगी. वह रंगे हाथों लोकायुक्त के चंगुल ने फंस गई. छतरपुर जिले के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब आदिवासी महिला सरपंच रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ी गई. मामला छतरपुर जिले के रामटौरिया पंचायत का है, जहां की सरपंच बबली आदिवासी ने स्वीकृत कपिलधारा कुआं के भुगतान करने के एवज में 10 प्रतिशत रिश्वत की मांगी. इसकी शिकायत फरियादी महेंद्र प्रताप लोधी ने लोकायुक्त से की.
महिला सरंपच रिश्वत लेते अपने घर से गिरफ्तार
इसके बाद लोकायुक्त ने ऐसा जाल फैलाया कि महिला सरपंच पहली ही बार मे फंस गई. मामले के अनुसार महेंद्र प्रताप लोधी के दादा के नाम पर कपिलधारा कुआं की स्वीकृति हुई थी. इसका 2 लाख 87 हजार रुपए के बिलों का भुगतान होना था. लेकिन भुगतान के एवज में महिला सरपंच को 10 प्रतिशत की रिश्वत चाहिए थी. महेंद्र प्रताप लोधी ने जिसकी शिकायत सागर लोकायुक्त से की. लोकायुक्त ने महिला आदिवासी सरपंच को उसके ही घर ग्राम गुनजोरा से गिरफ्तार कर लिया तो वहीं उसके पति सुनील आदिवासी को भी सह आरोपी बनाया है.
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10 फीसदी कमीशन मांग रही थी महिला सरपंच
लोकायुक्त की टीम महिला सरपंच को बमनोरा थाने लेकर गई. लोकायुक्त सागर की निरीक्षक रोशनी जैन का कहना है "महेंद्र प्रताप लोधी ने शिकायत की थी. महिला सरपंच 10 प्रतिशत की रिश्वत मांग रही थी. कुआं की राशि जारी करने के एवज में जिसको 15 हजार की रिश्वत लेते ट्रेप किया गया." महेंद्र प्रताप लोधी ने बताया "लंबे समय से राशि जारी के लिए परेशान किया जा रहा था." पैसे की मांग की जा रही थी. इसकी शिकायत लोकायुक्त में की गई थी. वहीं महिला आदिवासी सरपंच का कहना है "हमने पैसे नहीं लिए, उसके पति ने लिए हैं."