छतरपुर: पर्यटकों को हजारों वर्ष पुरानी जनजातीय सभ्यता और संस्कृति से परिचित कराने के लिए खजुराहो में जनजातीय लोक कला संग्रहालय (आदिवर्त) बनाया गया है. इसमें 7 आदिवासी परिवारों का एक गांव बसाया गया है. इसे देखने के लिए देशी व विदेशी पर्यटकों की भीड़ उमड़ती है. इस छोटे से गांव के माध्यम से मध्य प्रदेश की 7 प्रमुख जनजातियों के पारंपरिक रहन-सहन, वेशभूषा, संस्कृति आदि को बड़े ही शानदार तरीके से प्रदर्शित किया गया है. इससे यहां आने वाले पर्यटकों को जनजातीय सभ्यता को और करीब से जानने और समझने को मिल रहा है.
7 प्रमुख जनजातियों का दर्शाया गया है जीवन
खजुराहो को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है. यहां ऐसे कई ऐतिहासिक स्थल हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. इन्हीं सब को ध्यान में रखकर पिछले साल 20 फरवरी को खजुराहो में आदिवर्त संग्रहालय की स्थापना की गई थी. इसका उद्घाटन मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था. 4 एकड़ क्षेत्रफल में फैले इस संग्रहालय में मध्य प्रदेश की 7 प्रमुख जनजातियों गोंड, बैगा, कोरकू, भील, भारिया, सहरिया और कोल के रहन-सहन और संस्कृति को बड़े करीने से दिखाया गया है.
आदिवासी कलाकृति पर्यटकों को करती है आकर्षित
आदिवर्त में 7 घरों का एक गांव बसाया गया है. इसमें सभी मकानों की बनावट पहाड़ों या जंगलों में रहने वाले आदिवासियों के पारंपरिक घरों की तरह की गई है. घरों की दीवारों पर उनकी संस्कृति को उकेरा गया है. एक प्रदर्शनी कक्ष भी बनाया गया है, जिसमें जनजातीय कलाकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को रखा गया है. यहां बनाए गए लोक कला संग्रहालय में बुंदेलखंड, निमाड़, मालवा, बघेलखंड और चंबल की संस्कृति को दर्शाते हुए घरों का निर्माण किया गया है. जो, यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इसको देखने के लिए शनिवार और रविवार को टूरिस्टों की भीड़ लगती है.
मध्य प्रदेश का तीसरा जनजातीय संग्रहालय
छतरपुर में बना यह संग्रहालय भोपाल और उज्जैन के बाद यह मध्य प्रदेश का तीसरा जनजाति संग्रहालय है. आदिवर्त आने वाले पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यहां घूमने के लिए लगने वाले शुल्क की बात करें तो, देशी पर्यटकों से मात्र 20 रुपये का चार्ज लिया जाता है. वहीं, विदेशी टूरिस्टों को इसके लिए 400 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसके अलावा फोटो खींचने के लिए कैमरा ले जाने वालों को 100 रुपये अलग से देना पड़ता है. फ्रांस की पर्यटक ऐनी ने कहा कि "खजुराहो के मंदिर और यहां की कलाकृति अद्भुत है."
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आदिवर्त में कार्यरत अनिरुद्ध ने बताया, "यहां बुंदेलखंड, निमाड़, मालवा, बघेलखंड और चंबल की संस्कृति के पारंपरिक वेशभूषा रहन-सहन को प्रदर्शित करते हुए घरों का निर्माण किया गया है जो, आने वाले पर्यटकों को आदिवासियों के जीवन के बारे में जानने व समझने का मौका देता है."