ETV Bharat / state

10 दिन में ऑपरेशन चेतना के पांच मुश्किल पड़ाव, 170 फीट की गहराई में जानें क्या रही बाधाएं - CHETNA RESCUE OPERATION

कोटपुतली के कीरतपुर में बोरवेल में गिरी बच्ची को बाहर निकाल लिया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका.

Five Difficult Stages of Operation
10 दिन में ऑपरेशन चेतना के पांच मुश्किल पड़ाव (ETV Bharat Kotpuli)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 1, 2025, 10:22 PM IST

जयपुरः कोटपुतली के किरतपुरा में 150 फीट की गहराई में बोरवेल में गिरी चेतना को बुधवार शाम बाहर निकाल लिया गया. बच्ची को जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. 10 दिन तक चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन ने कई सवाल खड़े गर दिए हैं.

नेशनल डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स यानी एनडीआरफ के महावीर सिंह ने लगातार मीडिया से इस बचाव कार्य को लेकर जानकारी साझा की थी. उनके अनुसार यह रेस्क्यू ऑपरेशन काफी मुश्किल भरा रहा था. अस्पताल में चेतना को लाए जाने के बाद सांसद राव राजेंद्र सिंह , कोटपुतली विधायक हंसराज पटेल और जिले के एसपी राजन दुष्यंत भी पहुंचे. पंचनामे की प्रक्रिया के बाद चेतना के शव को परिजनों की सुपुर्द किया गया.

चेतना को डॉक्टरों ने किया मृत घोषित (ETV Bharat Kotpuli)

अस्पताल में घोषित किया गया मृतः शाम को जब चेतना को NDRF के एएसआई महावीर सिंह बोरवेल से बाहर लेकर आए, तो उसे चादर में लपेटकर सीधा एंबुलेंस से कोटपुतली के बीडीएम जिला अस्पताल लेकर गए. जहां मेडिकल मुआयना करने के बाद डॉक्टर्स ने चेतना को मृत घोषित कर दिया. बता दें कि 23 दिसंबर को चेतना 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी. चेतना 150 फीट की गहराई पर फंसी हुई थी.

घटना की जानकारी मिलने के बाद लगातार रेस्क्यू टीमें मासूम को निकालने की कोशिशें कर रही थी. इससे पहले भी उसे निकालने की 5 से ज्यादा कोशिश फेल हुई थी, लेकिन आज आखिरकार चेतना को निकालने में सफलता मिली. बच्ची को बोरवेल से निकालने के बाद बीडीएम अस्पताल ले जाया गया. अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ. चेतन्य रावत ने चेतना को लेकर कहा कि उसे अस्पताल लाया गया और तुरंत आपातकालीन कक्ष में ले जाया गया. डॉक्टर्स ने प्रक्रिया पूरी करने के बाद पुष्टि की कि बच्ची अब जीवित नहीं थी. इसके बाद शव को मोर्चरी में भेज दिया गया. कलेक्टर कल्पना अग्रवाल के आदेशानुसार पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है.

पढ़ें : कोटपुतली बोरवेल हादसा: एनडीआरएफ ने 10वें दिन चेतना को बोरवेल से निकाला बाहर, डॉक्टरों ने किया मृत घोषित - KOTPUTLI BOREWELL INCIDENT

रेस्क्यू ऑपरेशन में आई कई बाधाएंः NDRF के मुताबिक ऑपरेशन चेतना रेस्क्यू में बड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ा. इस रेस्क्यू ऑपरेशन में अलग-अलग एक्सपर्ट्स की मदद ली गई थी. एनडीआरएफ के अधिकारियों के अनुसार बोरवेल में 161 फीट पर टिल्ट था. यही कारण था कि आखिरी 10 फीट तक पहुंचने में काफी समय लगा.

इस तरह विफल रहे प्रयास :

प्लान ए - रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत चेतना को बाहर निकालने के लिए जुगाड़ तंत्र हुक के सहारे ऊपर लाने का प्रयास किया. चार बार कोशिश के बाद भी देशी जुगाड़ फेल हो गया. हालांकि, हुक के सहारे 15 फीट ऊपर तक बालिका को लाया गया था. लेकिन, इसके बाद बोरवेल की मिट्टी ढहने से रेस्क्यू रोक दिया था.

प्लान बी भी विफल - चेतना को बचाने की मुहिम के तहत 25 दिसम्बर को प्लान बी शुरू हुआ. इस दौरान बोरवेल से खुदाई की गई, लेकिन 140 फीट नीचे पथरीली जमीन आने से दूसरी मशीन से खुदाई करवाने में वक्त लग गया.

27 दिसंबर को आई बारिश ऑपरेशन चेतन की राह में बाधा बन गई. इस दौरान पथरीली जमीन में मैन्युअली ड्रिल मशीन से पत्थर की कटाई का काम पूरी रात रुका रहा.

28 दिसंबर को फिर से खुदाई का काम शुरू हुआ. इस बीच 170 फीट खुदाई के बाद सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ, लेकिन बीच में पत्थर आने से हॉरिजेन्टन सुरंग बनाने में कई चुनौतियों को सामान करना पड़ा.

29 दिसंबर से 31 दिसंबर तक सुरंग की खुदाई करते समय धूल उड़ने से कार्य करने में परेशानी हुई. इस दौरान सुरंग बनाते समय पत्थर नुकीले और टेढ़े मेढ़े होने से इन पर बैठ कर काम करना मुश्किल हुआ. बाहर जहां सर्दी अधिक रही, वहीं बोरवेल के अन्दर का तापमान 35 डिग्री से अधिक था. ऐसे में भी जवानों को परेशानी का सामना करना पड़ा.

2025 के पहले दिन 170 फीट गहराई में ऑक्सीजन लेवल भी कम होने के कारण हर 20 मिनट में जवानों को बाहर लाना पड़ा और आखिर में चेतना की लोकेशन मिलने के बाद भी सुरंग में आए घुमाव ऑपरेशन में बड़ी बाधा बनकर सामने आए.

जयपुरः कोटपुतली के किरतपुरा में 150 फीट की गहराई में बोरवेल में गिरी चेतना को बुधवार शाम बाहर निकाल लिया गया. बच्ची को जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. 10 दिन तक चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन ने कई सवाल खड़े गर दिए हैं.

नेशनल डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स यानी एनडीआरफ के महावीर सिंह ने लगातार मीडिया से इस बचाव कार्य को लेकर जानकारी साझा की थी. उनके अनुसार यह रेस्क्यू ऑपरेशन काफी मुश्किल भरा रहा था. अस्पताल में चेतना को लाए जाने के बाद सांसद राव राजेंद्र सिंह , कोटपुतली विधायक हंसराज पटेल और जिले के एसपी राजन दुष्यंत भी पहुंचे. पंचनामे की प्रक्रिया के बाद चेतना के शव को परिजनों की सुपुर्द किया गया.

चेतना को डॉक्टरों ने किया मृत घोषित (ETV Bharat Kotpuli)

अस्पताल में घोषित किया गया मृतः शाम को जब चेतना को NDRF के एएसआई महावीर सिंह बोरवेल से बाहर लेकर आए, तो उसे चादर में लपेटकर सीधा एंबुलेंस से कोटपुतली के बीडीएम जिला अस्पताल लेकर गए. जहां मेडिकल मुआयना करने के बाद डॉक्टर्स ने चेतना को मृत घोषित कर दिया. बता दें कि 23 दिसंबर को चेतना 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी. चेतना 150 फीट की गहराई पर फंसी हुई थी.

घटना की जानकारी मिलने के बाद लगातार रेस्क्यू टीमें मासूम को निकालने की कोशिशें कर रही थी. इससे पहले भी उसे निकालने की 5 से ज्यादा कोशिश फेल हुई थी, लेकिन आज आखिरकार चेतना को निकालने में सफलता मिली. बच्ची को बोरवेल से निकालने के बाद बीडीएम अस्पताल ले जाया गया. अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ. चेतन्य रावत ने चेतना को लेकर कहा कि उसे अस्पताल लाया गया और तुरंत आपातकालीन कक्ष में ले जाया गया. डॉक्टर्स ने प्रक्रिया पूरी करने के बाद पुष्टि की कि बच्ची अब जीवित नहीं थी. इसके बाद शव को मोर्चरी में भेज दिया गया. कलेक्टर कल्पना अग्रवाल के आदेशानुसार पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है.

पढ़ें : कोटपुतली बोरवेल हादसा: एनडीआरएफ ने 10वें दिन चेतना को बोरवेल से निकाला बाहर, डॉक्टरों ने किया मृत घोषित - KOTPUTLI BOREWELL INCIDENT

रेस्क्यू ऑपरेशन में आई कई बाधाएंः NDRF के मुताबिक ऑपरेशन चेतना रेस्क्यू में बड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ा. इस रेस्क्यू ऑपरेशन में अलग-अलग एक्सपर्ट्स की मदद ली गई थी. एनडीआरएफ के अधिकारियों के अनुसार बोरवेल में 161 फीट पर टिल्ट था. यही कारण था कि आखिरी 10 फीट तक पहुंचने में काफी समय लगा.

इस तरह विफल रहे प्रयास :

प्लान ए - रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत चेतना को बाहर निकालने के लिए जुगाड़ तंत्र हुक के सहारे ऊपर लाने का प्रयास किया. चार बार कोशिश के बाद भी देशी जुगाड़ फेल हो गया. हालांकि, हुक के सहारे 15 फीट ऊपर तक बालिका को लाया गया था. लेकिन, इसके बाद बोरवेल की मिट्टी ढहने से रेस्क्यू रोक दिया था.

प्लान बी भी विफल - चेतना को बचाने की मुहिम के तहत 25 दिसम्बर को प्लान बी शुरू हुआ. इस दौरान बोरवेल से खुदाई की गई, लेकिन 140 फीट नीचे पथरीली जमीन आने से दूसरी मशीन से खुदाई करवाने में वक्त लग गया.

27 दिसंबर को आई बारिश ऑपरेशन चेतन की राह में बाधा बन गई. इस दौरान पथरीली जमीन में मैन्युअली ड्रिल मशीन से पत्थर की कटाई का काम पूरी रात रुका रहा.

28 दिसंबर को फिर से खुदाई का काम शुरू हुआ. इस बीच 170 फीट खुदाई के बाद सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ, लेकिन बीच में पत्थर आने से हॉरिजेन्टन सुरंग बनाने में कई चुनौतियों को सामान करना पड़ा.

29 दिसंबर से 31 दिसंबर तक सुरंग की खुदाई करते समय धूल उड़ने से कार्य करने में परेशानी हुई. इस दौरान सुरंग बनाते समय पत्थर नुकीले और टेढ़े मेढ़े होने से इन पर बैठ कर काम करना मुश्किल हुआ. बाहर जहां सर्दी अधिक रही, वहीं बोरवेल के अन्दर का तापमान 35 डिग्री से अधिक था. ऐसे में भी जवानों को परेशानी का सामना करना पड़ा.

2025 के पहले दिन 170 फीट गहराई में ऑक्सीजन लेवल भी कम होने के कारण हर 20 मिनट में जवानों को बाहर लाना पड़ा और आखिर में चेतना की लोकेशन मिलने के बाद भी सुरंग में आए घुमाव ऑपरेशन में बड़ी बाधा बनकर सामने आए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.