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सिंधी लोगों के लिए खास है चेटी चंड, जानिए त्योहार को लेकर मान्यताएं - Chetichand Festival in Bilaspur

बिलासपुर में चेटीचंड महोत्सव के दौरान सिंधी समाज के लोगों ने भव्य बाइक रैली निकाली. इस दौरान झांकी निकालकर लोगों को सभ्यता-संस्कृति को बचाने के लिए खास मैसेज दिया गया.

Chetichand Festival in Bilaspur
बिलासपुर में चेटीचंड महोत्सव
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 8, 2024, 5:13 PM IST

Updated : Apr 8, 2024, 7:06 PM IST

बिलासपुर में सिंध जो मेला

बिलासपुर: बिलासपुर जिले के सिन्धी समाज ने चेटीचंड महोत्सव के दौरान एक कार्यक्रम 'सिंध जो मेला' का आयोजन किया. कार्यक्रम के माध्यम से सिंधु सभ्यता के गांव को दिखाने का प्रयास किया. इस मेला के माध्यम से सिंध गांव की संस्कृति-सभ्यता को समझने और सहेजने के लिए थीम के माध्यम से युवाओं को संदेश देने की कोशिश की गई.

झांकी निकालकर दिया गया खास मैसेज: दरअसल, सिंधी समाज अपनी सेवाभाव के लिए जाना जाता है. हर साल चेटीचंड महोत्सव धूमधाम से मानाया जाता है, जिसमें समाज के लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं. इस बार महोत्सव के दौरान बिलासपुर शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में बाइक रैली निकाली गई. इस रैली का लोगों ने जगह-जगह पर स्वागत किया. रैली में विभिन्न तरह की झांकी निकाल कर संस्कृती-परम्परा को बचाने को लेकर लोगो को संदेश दिया गया.

पुराने सामानों के लिए की गई प्रदर्शनी: इस कार्यक्रम की शुरुआत मां गंगा आरती की तर्ज पर अपने इष्टदेव की महाआरती कर की गई. इस मेला स्थल के सभी स्टॉल को पुराने कल्चर का रूप देते हुए झोपड़ी नुमा बनाया गया था, जिसमें अलग-अलग तरह के व्यंजन सजाकर फूड स्टॉल लगाए गए थे. इसके साथ ही विलुप्त होते पुराने समानों को भी प्रदर्शन के लिए रखा गया, ताकि लोग उन सब चीजों को समझे और जाने. साथ ही फिर से उन चीजों को उपयोग में लाएं

डीडी सिंधी चैनल की मांग: इस दौरान भारतीय सिंधु सभा के महामंत्री राम सुखिजा ने कहा कि, " हम भारत सरकार से यह मांग करते हैं कि 24×7 डीडी सिंधी चैनल की शुरुआत करें. ताकि हमारी भाषा, संस्कृती, सभ्यता के विकास हो."

सिंधी नव वर्ष : दरअसल चेटी चंड आम तौर पर चैत्र शुक्ल पक्ष के पहले दिन यानी कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने की शुरुआत में पड़ता है.कभी-कभी दूसरे दिन भी ये हो सकता है. इस दिन को सिन्धी लोगों नववर्ष के तौर पर सेलिब्रेट करते हैं. इसे सिन्धी नववर्ष भी कहा जाता है.

झूलेलाल जयंती: इस दिन सिंधि समुदाय का पर्व चेटी चंड मनाया जाते है. इसी दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था. भगवान झूलेलाल को वरुण देव का रूप माना जाता है, इसलिए सिंधी लोग इस दिन जल की भी पूजा करते हैं.

बता दें कि "सिन्ध जो मेला" का आयोजन बिलासपुर के सिंधी समाज की ओर से श्रीकांत वर्मा मार्ग स्थित कुंदन पैलेस में किया गया. जहां समाज के लोगों ने अपने बच्चों के आने वाले भविष्य को देखते हुए, उन्हें पुरानी परंम्पराओं से अवगत कराने के लिए किया गया.

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झांकी निकालकर दिया गया खास मैसेज: दरअसल, सिंधी समाज अपनी सेवाभाव के लिए जाना जाता है. हर साल चेटीचंड महोत्सव धूमधाम से मानाया जाता है, जिसमें समाज के लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं. इस बार महोत्सव के दौरान बिलासपुर शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में बाइक रैली निकाली गई. इस रैली का लोगों ने जगह-जगह पर स्वागत किया. रैली में विभिन्न तरह की झांकी निकाल कर संस्कृती-परम्परा को बचाने को लेकर लोगो को संदेश दिया गया.

पुराने सामानों के लिए की गई प्रदर्शनी: इस कार्यक्रम की शुरुआत मां गंगा आरती की तर्ज पर अपने इष्टदेव की महाआरती कर की गई. इस मेला स्थल के सभी स्टॉल को पुराने कल्चर का रूप देते हुए झोपड़ी नुमा बनाया गया था, जिसमें अलग-अलग तरह के व्यंजन सजाकर फूड स्टॉल लगाए गए थे. इसके साथ ही विलुप्त होते पुराने समानों को भी प्रदर्शन के लिए रखा गया, ताकि लोग उन सब चीजों को समझे और जाने. साथ ही फिर से उन चीजों को उपयोग में लाएं

डीडी सिंधी चैनल की मांग: इस दौरान भारतीय सिंधु सभा के महामंत्री राम सुखिजा ने कहा कि, " हम भारत सरकार से यह मांग करते हैं कि 24×7 डीडी सिंधी चैनल की शुरुआत करें. ताकि हमारी भाषा, संस्कृती, सभ्यता के विकास हो."

सिंधी नव वर्ष : दरअसल चेटी चंड आम तौर पर चैत्र शुक्ल पक्ष के पहले दिन यानी कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने की शुरुआत में पड़ता है.कभी-कभी दूसरे दिन भी ये हो सकता है. इस दिन को सिन्धी लोगों नववर्ष के तौर पर सेलिब्रेट करते हैं. इसे सिन्धी नववर्ष भी कहा जाता है.

झूलेलाल जयंती: इस दिन सिंधि समुदाय का पर्व चेटी चंड मनाया जाते है. इसी दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था. भगवान झूलेलाल को वरुण देव का रूप माना जाता है, इसलिए सिंधी लोग इस दिन जल की भी पूजा करते हैं.

बता दें कि "सिन्ध जो मेला" का आयोजन बिलासपुर के सिंधी समाज की ओर से श्रीकांत वर्मा मार्ग स्थित कुंदन पैलेस में किया गया. जहां समाज के लोगों ने अपने बच्चों के आने वाले भविष्य को देखते हुए, उन्हें पुरानी परंम्पराओं से अवगत कराने के लिए किया गया.

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Last Updated : Apr 8, 2024, 7:06 PM IST
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