नारायणपुर/रायपुर: नक्सल हिंसा और लाल आतंक के खौफ से अबूझमाड़ इलाके को छोड़ने वाले ग्रामीण अब दोबारा माड़ में लौटना चाहते हैं. करीब दो दशक से अपने स्थानीय गांव और घर छोड़ चुके करीब 25 आदिवासी परिवार अपने मूल स्थान में लौटने की योजना बना रहे हैं. 21 साल पहले साल 2001 में यहां के 25 आदिवासी परिवारों ने नक्सलियों के डर से अपना घर और गांव छोड़ दिया था.
करीब 100 लोगों ने छोड़ा था गांव: माओवादियों के डर से 25 परिवार के लगभग 100 सदस्यों ने अपना घर छोड़ा था. यह सभी लोग अबूझमाड़ के गारपा गांव के रहने वाले थे. अबूझमाड़ छोड़ने के बाद ये सभी ग्रामीण नारायणपुर शहर के बाहरी इलाके में सरकारी जमीन पर बस गए थे. अपना गांव छोड़ने के बहाद यहां लोगों ने जीवन यापन के खेती शुरू की. अपने मूल स्थान को छोड़ने के 21 साल बाद ये परिवार अबूझमाड़ मे वापस लौटना चाहते हैं. हाल ही में अबूजमाड़ के कई इलाकों में सुरक्षा बलों की सहायता कैंप स्थापित हुई है. उसके बाद इन लोगों में बरोसा जगा है और अब ये अपने गांवों में बसने की योजना बना रहे हैं.
"पैतृक भूमि को छोड़ना कभी आसान नहीं था. हमारे पास जान बचाने के लिए भागने के सिवा कोई चारा नहीं था. मैं अबूझमाड़िया समुदाय से हूं. यह विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समाज है. गांव के 80 परिवारों में से लगभग 25 गायत्री परिवार के अनुयायी थे. हमारे इस काम का नक्सलियों ने विरोध किया. माओवादियों ने हमें गायत्री परिवार का अनुसरण नहीं छोड़ने पर धमकी दी थी. जिसके बाद हमने गांव छोड़ने का फैसला लिया था: सुक्कुराम नुरेती, अबूझमाड़ के गारपा गांव के निवासी
"अबूझमाड़ में नक्सल ऑपरेशन के बाद जगी उम्मीद": सुक्कुराम नुरेती ने बताया कि अबूझमाड़ और माड़ इलाके में लगातार चल रहे नक्सल ऑपरेशन के बाद हमें अपने गांव में बसने की उम्मीद जगी है. अब अबूझमाड़ के गांवों में पुलिस कैंप स्थापित हो रहा है. हालात सुधरने लगे हैं और लोगों में विकास की उम्मीद जगी है. हमारे गारपा गांव में मैं बीते सप्ताह गया था. यहां भगवान शिव का मंदिर खोला गया है. यही वजह है कि हम गांव में फिर से बसने की योजना बना रहे हैं. यहां हमारे खेत हैं और घर हैं.
अबूझमाड़ में कहां कहां हुए कैंप स्थापित?: अबूझमाड़ में लगातार नक्सल ऑपरेशन के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस गांव में सुरक्षा कैंप स्थापित करने का का कर रहे हैं. बीते आठ महीनों में गारपा, कस्तूरमेटा, मस्तूर, इराकभट्टी, मोहंती और होराडी गांव में सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं. गारपा में सुरक्षा और सहायता कैंप बीते 22 अक्टूबर को स्थापित किया गया.
इन इलाकों में खोले गए कैंप की स्थापना होने से लोगों में विकास को लेकर विश्वास जगा है. हमारी इस रणनीति ने नक्सलियों को क्षेत्र के बहुत सीमित क्षेत्र तक सीमित कर दिया है. क्षेत्र में विकास कार्यों को सुगम बनाया गया है. नारायणपुर के सुदूर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा शिविरों से हजारों ग्रामीणों को फायदा हो रहा है. यहां नियाद नेल्लनार योजनाओं के तहत विकास कार्यों और कल्याणकारी उपायों का लाभ लोगों को मिलने में आसानी होगी: प्रभात कुमार, एसपी, नारायणपुर
"अबूझमाड़ के गांवों में विकास कार्य जारी": नारायणपुर के एसपी प्रभात कुमार ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की नियद नेल्लनार योजना के तहत अबूझमाड़ के अंदरूनी गांव में विकास कार्य हो रहा है. गारपा, कस्तूरमेटा, मस्तूर, इराकभट्टी, मोहंती और होराडी गांव के पांच किलोमीटर की परिधि में तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं. यही वजह है कि अपने गांव से बेदखल हुए आदिवासी अब ग्रामीण इलाकों में वापस लौटने की योजना बना रहे हैं और घर को लौट रहे हैं.
ग्रामीण जो पहले विकास परियोजनाओं का विरोध करने के लिए नक्सलियों के प्रेशर में आते थे. वहीं गांववाले अब सड़क, मोबाइल टावर, स्वास्थ्य और स्कूल की मांग कर रहे हैं. पुलिस और प्रशासन के प्रयासों से आने वाले दिनों में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे. हम अगले 18 महीनों के भीतर नारायणपुर को गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) और छोटेबेठिया से जोड़ देंगे. सुरक्षा और विकास के संयुक्त प्रयास से अब अबूझमाड़ का लगभग आधा हिस्सा अब सड़क पहुंच योग्य हो गया है. नारायणपुर से महाराष्ट्र तक सड़क संपर्क नेटवर्क बनाना हमारा लक्ष्य है: प्रभात कुमार, एसपी, नारायणपुर
छत्तीसगढ़ के शीर्ष अधिकारी भी पहुंच रहे अबूझमाड़: नारायणपुर के एसपी प्रभात कुमार ने बताया कि अबूझमाड़ में सुरक्षा कैंप स्थापित होने के बाद से यहां छत्तीसगढ़ शासन के बड़े अधिकारी भी पहुंच रहे हैं. छत्तीसगढ़ के पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव निहारिका बारिक ने हाल ही में अबूझमाड़ के पांच गांवों का दौरा किया है. जो इस क्षेत्र में किसी शीर्ष नौकरशाह का पहला विजिट था. उन्होंने मोटरसाइकिल पर 60 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की और 30 से अधिक डेवलपमेंट वर्क का निरीक्षण किया.
"अबूझमाड़ को मिली विकास कार्यों की सौगात": नारायणपुर जिला प्रशासन की तरफ से बताया गया कि निहारिका बारिक ने तीन आंगनवाड़ी, दो स्कूल, एक स्वास्थ्य उपकेंद्र का दौरा किया. जमीनी स्तर के विकास कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और गारपा और नारायणपुर के बीच बस सेवा को हरी झंडी दिखाई.
अबूझमाड़ अब नहीं रहा नक्सलियों का सेफ ठिकाना: अबूझमाड़ में बीते दिनों हुए नक्सल ऑपरेशन में 31 नक्सली मारे गए थे. यहां लगातार फोर्स का एक्शन चल रहा है. यही वजह है कि लगभग 4,000 वर्ग किलोमीटर में फैला अबूझमाड़ का जंगल अब नक्सलियों के लिए सेफ हाउस नहीं रहा. पहले नक्सलियों के बड़े नेताओं के लिए यह सुरक्षित गढ़ था. अब यहां फोर्स की मौजूदगी से नक्सलियों का टिकना मुश्किल हो रहा है.
सोर्स: पीटीआई