प्रयागराज: जिले में इलाहाबाद राष्ट्रीय संग्रहालय की सुरक्षा आने वाले दिनों में सीआईएसफ के हाथों में चली जायेगी. जिसके बाद संग्रहालय में रखी हुई चंद्र शेखर आजाद की नकली पिस्टल की जगह असली पिस्टल को रख दिया जाएगा. लेकिन, आजाद की ऐतिहासिक पिस्टल को रखने से पहले पूरे संग्रहालय की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने की तैयारी है.
इलाहाबाद राष्ट्रीय संग्रहालय में चंद्र शेखर आजाद की प्रिय पिस्टल बमतुल बुखारा सालों से रखी हुई थी. जिसको पिछले साल 25 सितंबर 2023 को आजाद गैलरी बनने के बाद उसमें सेंट्रल रख दिया गया था. जिसका उदघाटन यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने किया था.लेकिन, उदघाटन के बाद सुरक्षा की दृष्टि से चंद्र शेखर आजाद की पिस्टल हटाकर उसकी जगह पर उसी लिस्टल की रिप्लिका अनुकृति रख दी गयी है. कांच के बॉक्स के अंदर पिस्टल की रिप्लिका रखी हुई है, जिसे देखने आज भी बड़ी संख्या में पर्यटक और अन्य लोग पहुंचते हैं.
अपनी पिस्टल से खुद को गोली मारकर शहीद हुए थे आज़ाद: स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों का केंद्र बिंदु भी रहा करती थी.आज़ादी की लड़ाई के वीर सेनानी अक्सर प्रयागराज में आकर स्वतंत्रता आंदोलन की रूपरेखा तैयार किया करते थे. इसी के साथ आज़ादी के दीवानों की आर्थिक मदद भी प्रयागराज से की जाती थी. उसी दौरान 27 फरवरी 1931 के दिन आज़ादी की लड़ाई के महानायक चंद्र शेखर आज़ाद प्रयागराज पहुंचे थे.जहां पर वो अल्फ्रेड पार्क में पेड़ो के बीच बैठकर अपने किसी साथी से मिलने आए थे. उसी दौरान अंग्रेजों को किसी मुखबिर ने सूचना दे दी थी. जिसके बाद उस पार्क को चारों तरफ से अंग्रेजी सेना के द्वारा घेर लिया गया था.
काफी देर तक अंग्रेज सैनिक और आज़ाद के बीच फायरिंग चलती रही. इस दौरान चंद्र शेखर आज़ाद ने अपनी बमतुल बुखारा पिस्टल से अचूक निशानेबाजी की बदौलत कई अंग्रेजों को अपनी गोली का निशाना बनाया था.उनकी गोली से लगातार अंग्रेज सैनिक घायल हो रहे थे.जिसके बाद अंग्रेजी सेना ने आज़ाद को घेरकर चारों तरफ से फायरिंग शुरू की. लेकिन आज़ाद ने ठाना था, कि वो अंग्रेजों की पकड़ में नहीं आएंगे.जिस कारण जब उनकी पिस्टल में सिर्फ एक गोली बची तो उन्होंने उस आखिरी गोली से अपनी जान देने का फैसला कर लिया और अपने सिर में गोली मारकर शहीद हो गए थे. संगम नगरी प्रयागराज में हर साल पूरे धूम धाम और उत्साह के साथ 23 जुलाई को चंद्र शेखर आज़ाद का जन्मदिन मनाया जाता है.
90 साल का इतिहास आज़ाद गैलरी में दिखेगा: शहीद चंद्रशेखर आजाद पर बनी यह पहली ऐसी गैलरी है जिसमें उनके बारे में अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां लोगों को आसानी से मिलती है.राष्ट्रीय संग्रहालय में बनाये गए आज़ाद गैलरी में देश की आज़ादी के प्रथम संग्राम 1857 से लेकर 1947 तक की आजादी के जश्न की दास्तान इस गैलरी मौजूद है.आज़ादी के लड़ाई की 90 साल की पूरी गाथा की झलक इस गैलरी में आसानी से दिख रही है.
यहां आने वाले पर्यटकों को 1857 की पहली क्रांति से लेकर 1947 के देश की आजादी के दौर तक के 90 साल के इतिहास को ऑडियो वीडियो के साथ डिजिटल माध्यम से भी दिखाया जा रहा है.आजाद गैलरी में प्रवेश करते ही बंगाल विभाजन की फूटती चिंगारी नजर आती है. तो वही स्वदेशी आंदोलन की लपटें,भारत छोड़ो आंदोलन, आजाद हिंद फौज नेताजी सुभाष चंद्र बोस, राइटर बिल्डिंग,काकोरी कांड,चटगांव शस्त्रागार छपा,स्वतंत्रता संघर्ष के चित्रित स्मारक, डाक टिकट,साइमन कमीशन और लाला लाजपत राय की शहादत,सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने की घटना हो या जलियांवाला बाग का गोली कांड इन सभी घटनाओं की जानकारी भी इस गैलरी में दिखती है.