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चांदीपुरा वायरस मध्य प्रदेश पहुंचा, गुजरात में 30 बच्चों को दे चुका मौत, लक्षण और बचाव जानें - Chandipura virus in Madhya Pradesh

महाराष्ट्र में पाया जाने वाला चांदीपुरा वायरस ने मध्य प्रदेश में एंट्री कर ली है. एमपी के कुछ बच्चों में चांदीपुरा वायरस के लक्षण देखने मिले हैं. बता दें गुजरात में करीब 30 बच्चे इस वायरस के चलते दम तोड़ चुके हैं. जानिए क्या है चांदीपुरा वायरस और उससे बचाव के उपाय.

CHANDIPURA VIRUS IN MADHYA PRADESH
चांदीपुरा वायरस की मध्य प्रदेश में एंट्री (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 26, 2024, 4:31 PM IST

Updated : Jul 26, 2024, 6:45 PM IST

CHANDIPURA VIRUS IN MADHYA PRADESH: बरसात के मौसम में कई बीमारियां आसानी से पनपती है. आमतौर पर डायरिया, इनफ्लुएंजा जैसी बीमारी तो होती है, लेकिन इस बार चांदीपुरा वायरस ने लोगों की टेंशन बढ़ा दी है. गुजरात के कई जिलों में चांदीपुरा वायरस जमकर कहर बरपा रहा है और चांदीपुरा वायरस के मरीजों की संख्या सैकड़ा पार करने वाली है. वहीं इस वायरस से पीड़ित करीब 30 बच्चे गुजरात में दम तोड़ चुके हैं. गुजरात से ये एमपी और राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में प्रवेश कर चुका है. यहां कुछ बच्चों में चांदीपुरा वायरस के लक्षण देखने मिले हैं.

खतरनाक चांदीपुरा वायरस ने एमपी में पसारे पैर (ETV Bharat)

यह एक तरह का दिमागी बुखार होता है और इसका सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को होता है. 15 साल के बच्चों को ये आसानी से अपनी चपेट में ले लेता है. एमपी में ग्वालियर मेडिकल काॅलेज में इसकी जांच शुरू हो गयी है. अगर समय पर चांदीपुरा वायरस के लक्षण नहीं समझ पाए, तो देर होने पर मौत भी हो सकती है.

क्या है चांदीपुरा वायरस

वैसे तो ये रबडोविरिडे फैमिला का हिस्सा है और भारत में इसे चांदीपुरा वायरस का नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि सबसे पहले ये महाराष्ट्र के चांदीपुरा में सामने आया था. ये वायरस छोटे मच्छरों और बरसाती कीट पतंगो से इंसानों में फैलता है. एडीज मच्छर के अलावा सैंड फ्लाइज इसके वाहक का काम करते हैं. ये वायरस इनकी लार ग्रंथी में मौजूद होता है. संक्रमित मच्छर या कीट के इंसान को काटने पर ये वायरस इंसान के शरीर में प्रवेश कर संक्रमण बढ़ाने का काम करता है और तंत्रिका तंत्र पर असर करता है. जिससे दिमाग में सूजन आ जाती है. इसलिए इसे कई जगह दिमागी बुखार भी कहा जाता है.

क्या है चांदीपुरा वायरस के लक्षण

चांदीपुरा वायरस से पीड़ित बच्चों में सामान्य तौर पर फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. इसमें बच्चों को हल्का बुखार आता है और बच्चे एक दम कमजोर हो जाते हैं. बच्चों को बातचीत में भी समस्या होती है और बोलना तक बंद कर सकते हैं. इसके अलावा मतली और चक्कर जैसे लक्षण चांदीपुरा वायरस से पीड़ित में नजर आते हैं.

15 साल तक के बच्चों के लिए खतरा

चांदीपुरा वायरस या दिमागी बुखार की बात करें, तो इसका खतरा दो साल से लेकर 15 साल के बच्चों को ज्यादा होता है, क्योंकि ज्यादातर बच्चे खेलकूद जैसी गतिविधियों में शामिल रहते हैं और ऐसे कपडे़ पहनते हैं. जो उनके शरीर को पूरी तरह नहीं ढकते हैं. ऐसे में ये मच्छर या कीट बच्चों को आसानी से शिकार बना लेता है.

कैसे बचें चांदीपुरा वायरस से

चांदीपुरा वायरस से बच्चों को बचाने के लिए जरूरी है कि बरसात के मौसम में गंदगी के नजदीक बच्चों को ना खेलने दें और घर के आसपास गंदगी ना होने दे. खेलते वक्त बच्चों को ऐसे कपडे़ पहनाएं कि उनके शरीर पर चांदीपुरा वायरस के वाहक मच्छर या कीट हमला ना कर सकेंय घर के आसपास और घर में कीटनाशक का प्रयोग करें और मच्छरदानी लगाकर सोएं.

क्या कहते हैं जानकार

बुंदेलखंड मेडिकल काॅलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ सुमित रावत बताते हैं कि 'ये जो चांदीपुरा वायरस है, ये करीब 15 साल पहले महाराष्ट्र के चांदीपुरा में सबसे पहले सामने आया था. भारत में ये वायरस पहले भी रहा है, लेकिन बीच-बीच में इसके केस देखने आते हैं. अभी गुजरात में कुछ केस मिले हैं और गुजरात से लगे मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में भी इसके पाए जाने की जानकारी मिली है. इसमें सावधानी रखने की जरूरत है. इसमें दिमागी बुखार आता है. बच्चा सुस्त पड़ जाता है और हल्का बुखार आता है. बातचीत में समस्या हो सकती है, हो सकता है, कि बोलना बंद कर देता है.

यहां पढ़ें...

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चक्कर आने और उल्टी आने जैसे लक्षण देखने मिलते हैं. इससे बचाव के लिए जरूरी है कि हमारे आसपास जो पिस्सू होते हैं. इनके काटने से होता है, बरसात के मौसम में इनकी संख्या बढ़ जाती है. अपने आसपास हम कीटनाशक का प्रयोग करें और मच्छरदानी का उपयोग करें. सागर में अभी इसके लक्षण नहीं आए हैं, लेकिन ग्वालियर में इसकी जांच चल रही है.

CHANDIPURA VIRUS IN MADHYA PRADESH: बरसात के मौसम में कई बीमारियां आसानी से पनपती है. आमतौर पर डायरिया, इनफ्लुएंजा जैसी बीमारी तो होती है, लेकिन इस बार चांदीपुरा वायरस ने लोगों की टेंशन बढ़ा दी है. गुजरात के कई जिलों में चांदीपुरा वायरस जमकर कहर बरपा रहा है और चांदीपुरा वायरस के मरीजों की संख्या सैकड़ा पार करने वाली है. वहीं इस वायरस से पीड़ित करीब 30 बच्चे गुजरात में दम तोड़ चुके हैं. गुजरात से ये एमपी और राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में प्रवेश कर चुका है. यहां कुछ बच्चों में चांदीपुरा वायरस के लक्षण देखने मिले हैं.

खतरनाक चांदीपुरा वायरस ने एमपी में पसारे पैर (ETV Bharat)

यह एक तरह का दिमागी बुखार होता है और इसका सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को होता है. 15 साल के बच्चों को ये आसानी से अपनी चपेट में ले लेता है. एमपी में ग्वालियर मेडिकल काॅलेज में इसकी जांच शुरू हो गयी है. अगर समय पर चांदीपुरा वायरस के लक्षण नहीं समझ पाए, तो देर होने पर मौत भी हो सकती है.

क्या है चांदीपुरा वायरस

वैसे तो ये रबडोविरिडे फैमिला का हिस्सा है और भारत में इसे चांदीपुरा वायरस का नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि सबसे पहले ये महाराष्ट्र के चांदीपुरा में सामने आया था. ये वायरस छोटे मच्छरों और बरसाती कीट पतंगो से इंसानों में फैलता है. एडीज मच्छर के अलावा सैंड फ्लाइज इसके वाहक का काम करते हैं. ये वायरस इनकी लार ग्रंथी में मौजूद होता है. संक्रमित मच्छर या कीट के इंसान को काटने पर ये वायरस इंसान के शरीर में प्रवेश कर संक्रमण बढ़ाने का काम करता है और तंत्रिका तंत्र पर असर करता है. जिससे दिमाग में सूजन आ जाती है. इसलिए इसे कई जगह दिमागी बुखार भी कहा जाता है.

क्या है चांदीपुरा वायरस के लक्षण

चांदीपुरा वायरस से पीड़ित बच्चों में सामान्य तौर पर फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. इसमें बच्चों को हल्का बुखार आता है और बच्चे एक दम कमजोर हो जाते हैं. बच्चों को बातचीत में भी समस्या होती है और बोलना तक बंद कर सकते हैं. इसके अलावा मतली और चक्कर जैसे लक्षण चांदीपुरा वायरस से पीड़ित में नजर आते हैं.

15 साल तक के बच्चों के लिए खतरा

चांदीपुरा वायरस या दिमागी बुखार की बात करें, तो इसका खतरा दो साल से लेकर 15 साल के बच्चों को ज्यादा होता है, क्योंकि ज्यादातर बच्चे खेलकूद जैसी गतिविधियों में शामिल रहते हैं और ऐसे कपडे़ पहनते हैं. जो उनके शरीर को पूरी तरह नहीं ढकते हैं. ऐसे में ये मच्छर या कीट बच्चों को आसानी से शिकार बना लेता है.

कैसे बचें चांदीपुरा वायरस से

चांदीपुरा वायरस से बच्चों को बचाने के लिए जरूरी है कि बरसात के मौसम में गंदगी के नजदीक बच्चों को ना खेलने दें और घर के आसपास गंदगी ना होने दे. खेलते वक्त बच्चों को ऐसे कपडे़ पहनाएं कि उनके शरीर पर चांदीपुरा वायरस के वाहक मच्छर या कीट हमला ना कर सकेंय घर के आसपास और घर में कीटनाशक का प्रयोग करें और मच्छरदानी लगाकर सोएं.

क्या कहते हैं जानकार

बुंदेलखंड मेडिकल काॅलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ सुमित रावत बताते हैं कि 'ये जो चांदीपुरा वायरस है, ये करीब 15 साल पहले महाराष्ट्र के चांदीपुरा में सबसे पहले सामने आया था. भारत में ये वायरस पहले भी रहा है, लेकिन बीच-बीच में इसके केस देखने आते हैं. अभी गुजरात में कुछ केस मिले हैं और गुजरात से लगे मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में भी इसके पाए जाने की जानकारी मिली है. इसमें सावधानी रखने की जरूरत है. इसमें दिमागी बुखार आता है. बच्चा सुस्त पड़ जाता है और हल्का बुखार आता है. बातचीत में समस्या हो सकती है, हो सकता है, कि बोलना बंद कर देता है.

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चक्कर आने और उल्टी आने जैसे लक्षण देखने मिलते हैं. इससे बचाव के लिए जरूरी है कि हमारे आसपास जो पिस्सू होते हैं. इनके काटने से होता है, बरसात के मौसम में इनकी संख्या बढ़ जाती है. अपने आसपास हम कीटनाशक का प्रयोग करें और मच्छरदानी का उपयोग करें. सागर में अभी इसके लक्षण नहीं आए हैं, लेकिन ग्वालियर में इसकी जांच चल रही है.

Last Updated : Jul 26, 2024, 6:45 PM IST
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