चंडीगढ़: चंडीगढ़ के सेक्टर-6 स्थित पुलिस मुख्यालय में फॉरेंसिक साइंस लैब में लंबित मामलों का जल्द निपटारा करने को लेकर बैठक आयोजित की गयी. बैठक में प्रदेश के डीजीपी शत्रुजीत कपूर भी मौजूद थे.
क्षमता निर्माण पर फोकस: पुलिस मुख्यालय में आयोजित इस बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा प्रदेश में एफएसएल के उपनिदेशकों ने भी हिस्सा लिया. डीजीपी कपूर ने कहा कि एफएसएल में आने वाले नमूने पर कम समय लगे इसे लेकर अतिरिक्त मैनपावर और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस उपकरण उपलब्ध करवाए जाएंगे, ताकि विशेषज्ञों के काम की आउटपुट बढ़ सके. उन्होंने संबंधित अधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि वे औद्योगिक अभियांत्रिकी के सिद्धांत पर प्रक्रियाओं का अध्ययन करें. साथ ही जहां संभव हो सहकर्मी स्टाफ की संख्या बढ़ाना और नई तकनीक के उपकरण उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करें. डीजीपी ने अधिकारियों को जांच के लिए नमूने एकत्रित करने से लेकर परिणाम आने तक की पूरी प्रक्रिया का अध्ययन करने को कहा.
बंपर भर्तियों से सशक्त होगा एफएसएल: एफएसएल में जल्द ही हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से 53 वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक और वैज्ञानिक सहायक के पद पर भर्ती की जा रही है. यह भर्ती प्रक्रिया अंतिम चरण में है. इसके अलावा हरियाणा कौशल रोजगार निगम के माध्यम से 135 वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक, वैज्ञानिक सहायक और प्रयोगशाला सहायक की भर्ती प्रक्रिया जारी है. इनमें से 14 कर्मचारी ज्वाइन कर चुके हैं और अन्य पदों के लिए डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन जारी है. इसके अलावा हरियाणा पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन के माध्यम से 23 वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारियों की चयन परीक्षा इस महीने आयोजित की जा रही है. साथ ही साइबर फॉरेंसिक यूनिट के लिए 155 पद और सृजित किए गए हैं, जिनकी सरकार द्वारा प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है और जल्द ही इन पदों पर भर्ती की जाएगी.
एफएसएल नए कानून के मुताबिक करे कामः प्रदेश में वर्तमान में मोबाइल फॉरेंसिक साइंस यूनिट की 23 टीमें अलग-अलग जिले में कार्यरत हैं, जो घटनास्थल पर जाकर नमूने एकत्रित करती हैं. नए कानून के अनुसार 7 साल से अधिक सजा वाले मामलों में घटनास्थल पर सीन ऑफ क्राइम टीम का विजिट करना अनिवार्य है. डीजीपी ने उप निदेशकों को इसकी पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.
रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड को बढ़ाने पर जोर: वर्तमान में प्रदेश में 5 एफएसएल लैब है, जहां नमूनों की जांच करते हुए रिपोर्ट तैयार की जाती है. डीजीपी ने कहा कि "एफएसएल की जांच में विशेषज्ञों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है. ऐसे में विशेषज्ञ और सहयोगी कर्मी को बेहतर तालमेल से काम करने को कहा गया. उन्होंने नमूने एकत्रित करने उपरांत इनकी रिपोर्ट जल्द तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया. इसके लिए अधिकारी स्टॉफ की दो शिफ्टों में भी ड्यूटी लगा सकते हैं". नमूनों की जांच के लिए नए उपकरण खरीदने को लेकर भी चर्चा की गई. डीजीपी ने कहा कि अधिकारी जांच प्रक्रिया के दौरान रिपोर्टिंग के स्टैंडर्ड को बढ़ाने की दिशा में काम करें. प्रत्येक रिपोर्ट की स्टडी उच्चतम श्रेणी की होनी चाहिए. इसे लेकर अधिकारी एक उच्च कोटि का खाका (टेंपलेट) तैयार कर सकते हैं, ताकि रिपोर्टिंग के स्तर में सुधार किया जा सके.
साइबर विशेषज्ञों की टीम होगी अपग्रेड: बैठक में जिलों में साइबर एक्सपर्ट्स द्वारा किए जाने वाले कार्यों को लेकर भी चर्चा की गई. उन्होंने कहा कि जिलों में वारदात आदि होने पर डाटा निकालने, वीडियो एनालिसिस, सीसीटीवी फुटेज, रिकॉर्डिंग आदि सहित कई तथ्यों की पड़ताल की जाती है. उन्होंने जिलों में साइबर एक्सपर्ट्स की कैपेसटी बिल्डिंग करने बारे कहा, ताकि जांच संबंधी रिपोर्ट जिलों में ही तैयार की जाए. इसके लिए नए उपकरणों और सॉफटवेयर आदि को शामिल करने को कहा.
एनएफएसयू और सीडीएफडी के साथ एमओयूः एनडीपीएस एक्ट के तहत बरामद मादक पदार्थों के निस्तारण के लिए नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू) अहमदाबाद और हरियाणा सरकार द्वारा समझौता किया गया है. इससे एनडीपीएस संबंधी मामलों का निस्तारण पहले की अपेक्षा जल्दी हो सकेगा. इसी प्रकार डीएनए आदि संबंधी मामलों का जल्द निपटारा करने के लिए सेंटर फॉर डीएनए फिंगर प्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स (सीडीएफडी) के साथ समझौता किया जा रहा है. डीजीपी ने मुख्य रूप से अधिकारियों को तीन बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए कार्य करने के निर्देश दिए. पहला विजिबल लंबित मामलों की सूची, दूसरा जिन्हें पेंडेंसी में काउंट नहीं किया गया है और तीसरा नमूनो की जांच रिपोर्ट जल्दी तैयार हो जाए. इस पूरी प्रक्रिया में क्षमता निर्माण की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण बताई.