चंडीगढ़: चंडीगढ़ में पिछले काफी समय से मुख्य सचिव के पद की मांग की जा रही थी. जिसे देखते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा प्रशासनिक बदलाव किया है. चंडीगढ़ में प्रशासक के सलाहकार का पद खत्म कर दिया गया है. इसके जगह पर मुख्य सचिव का पद बनाया गया है. यह परिवर्तन 40 साल बाद हुआ है. इससे प्रशासनिक ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है. साथ ही चंडीगढ़ में आईएएस अधिकारियों की संख्या भी बढ़ा दी गई है.
40 साल बाद हुई बदलाव: चंडीगढ़ गठन के बाद पहले मुख्य आयुक्त का पद हुआ करता था. हालांकि 3 जून 1984 को केंद्र सरकार ने मुख्य आयुक्त का पद समाप्त कर प्रशासक के सलाहकार का पद बनाया था. अब चार दशक बाद केंद्र ने सलाहकार का पद खत्म कर इसे मुख्य सचिव के रूप में रिप्लेस कर दिया है. विशेषज्ञों की मानें तो इस बदलाव से चंडीगढ़ की प्रशासनिक संरचना को और अधिक मजबूत बनाया जा सकेगा. मुख्य सचिव का पद सृजित होने से चंडीगढ़ के प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व भी बढ़ेगा.
सरकार के फैसले का कर रहे स्वागत: वैसे तो सलाहकार का पद मुख्य सचिव से छोटा माना जाता है. हालांकि चंडीगढ़ में जो भी अधिकारी सलाहकार के पद पर आता है, वो मुख्य सचिव के स्तर पर ही होता है. लेकिन यहां आने के बाद उन्हें सलाहकार कहा जाता है. इसलिए पिछले काफी समय से चंडीगढ़ में मुख्य सचिव के पद की मांग की जा रही थी. केंद्र सरकार के इस फैसले का हर कोई स्वागत कर रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि इससे चंडीगढ़ में प्रशासक के सलाहकार का पद पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के मुख्य सचिवों के बराबर आ जाएगा, जिसकी चंडीगढ़ को पहले से जरूरत थी.
आईएएस की संख्या हुई 11: केंद्र सरकार ने इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस रेगुलेशन-1955 में संशोधन करते हुए चंडीगढ़ में आईएएस अधिकारियों की संख्या भी बढ़ा दी है. पहले चंडीगढ़ में नौ आईएएस अधिकारियों का पद था, लेकिन अब यह संख्या बढ़ाई गई है. अब 11 अधिकारी होंगे. इनमें मुख्य सचिव, गृह सचिव, वित्त सचिव, अर्बन प्लानिंग और स्मार्ट सिटी सचिव, डीसी, संयुक्त आयुक्त वित्त, आबकारी आयुक्त, अन्य दो सचिव, अतिरिक्त सचिव, एडीसी के पद शामिल हैं. इससे प्रशासनिक कामों में तेजी आएगी.
क्या कहते हैं राजनीति के जानकार: चंडीगढ़ में राजनीति के जानकारों का कहना है कि केन्द्र सरकार का यह बदलाव ऐतिहासिक है. मुख्य सचिव के पद को ग्रहण करने से चंडीगढ़ के प्रशासनिक संरचना को अधिक मजबूत बनाया जा सकेगा. इससे विभागों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व बढ़ेगा. हालांकि चंडीगढ़ में सलाहकार के पद पर आने वाला अधिकारी मुख्य सचिव के तौर पर ही समझा जाता था, लेकिन उसे कई अधिकारों से वंचित रखा जाता था.
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