लोहरदगा: लोकसभा सीट को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो चुकी है. जनसभाएं भी शुरू हो गई हैं. सबसे पहले बड़ी जनसभा निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा ने की है. चमरा लिंडा की यह जनसभा सभी राजनीतिक दलों के नजरों में थी. इसके पीछे वजह थी कि सभी देखना चाहते थे कि चमरा लिंडा की जनसभा में किस प्रकार के लोगों की भीड़ नजर आती है. जनसभा के बाद जब चमरा लिंडा ने मीडिया से बात की. तब उन्होंने जो बयान दिया है, वह राजनीतिक भूचाल लाने वाला है. इसका असर अगले कुछ दिनों में देखने को जरूर मिलेगा.
चमरा लिंडा ने कहा उनका मुकाबला कांग्रेस से नहीं बीजेपी से है
लोहरदगा जिला के भंडरा प्रखंड के भैया गांव चौरा में गुरुवार को निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा ने जनसभा की. इस जनसभा में उन्होंने आदिवासियों की एकता और उनके अधिकारों को लेकर जमकर बात की. चमरा लिंडा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी समाज को आज तक सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया गया है. आदिवासी समाज के सर्वांगीण विकास के लिए कोई नहीं सोचता. जब से उन्होंने राजनीति में कदम रखा है, तब से ही आदिवासियों की अस्मिता की लड़ाई लड़ रहे हैं. सरना कोड को लेकर भी उनका लंबा आंदोलन रहा है.
उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई लोहरदगा लोकसभा सीट में कांग्रेस के साथ तो है ही नहीं, कांग्रेस आज तक उनके ही वोट को लाकर उसे खुद का वोट बताती थी. इस बार ऐसा नहीं है. इस बार आदिवासी एकजुट हो चुके हैं. उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के साथ है. जब उनसे कहा गया कि इस तरह की चर्चा है कि वह चुनाव जीतने के बाद भाजपा में शामिल हो जाएंगे. तब उन्होंने कहा कि यह संभव ही नहीं है. क्या वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर अपनी सदस्यता रद्द करवाएंगे.
चमरा लिंडा ने कई महत्वपूर्ण बातें भी कही है. उनके बयान से साफ झलक रहा है कि इस बार वह आदिवासियों को साथ लेकर चुनाव मैदान में जीत सुनिश्चित करने उतरे हैं. हालांकि आने वाले समय में ही पता चलेगा कि स्थिति क्या रहती है, परंतु यह उन्होंने जरूर कह दिया है कि वह पिछले कई सालों से चुनाव लड़ते आ रहे हैं और उनका उद्देश्य स्पष्ट था.
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