देहरादून: रैणी आपदा को तीन साल पूरे हो गये हैं. आज से तीन साल पहले 7 फरवरी 2022 को धौली और ऋषि गंगा का ऐसा सैलाब आया, जिसमें सैकड़ों जिंदगियां दफ्न हो गई थी. तीन साल पहले चमोली जिले के रैणी गांव में आई इस भयानक त्रासदी को याद कर आज भी लोग सिहर जाते हैं. रैणी आपदा के निशान अभी भी इस इलाके में देखने को मिलते हैं. रैणी आपदा से सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए. आज भी इस इलाके के लोग रैणी आपदा के दंश झेल रहे हैं. आपदा के दिन को याद करते हुए आज भी लोगों को डर का अहसास होता है.
![Chamoli Raini disaster](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/07-02-2024/20688545_oaoaff.jpg)
बता दें 7 फरवरी 2021 सुबह 10:21 पर चमोली के रैणी गांव में बड़ी आपदा आई. यहां बर्फ, ग्लेशियर, चट्टान के टुकड़े, मोरेनिक मलबे आदि चीजें एक साथ मिक्स हो गए, जो करीब 8.5 किमी रौंथी धारा की ओर नीचे आ गये. करीब 2,300 मीटर की ऊंचाई पर ऋषिगंगा नदी को अवरुद्ध कर दिया. जिससे पानी की झील का निर्माण हुआ. रौंथी कैचमेंट से आए इस मलबे ने ऋषिगंगा नदी पर स्थित 13.2 मेगावाट क्षमता वाले हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट को तबाह कर दिया. इसके साथ ही रैणी गांव के पास ऋषिगंगा नदी पर नदी तल से करीब 70 मीटर ऊंचाई पर बना एक बड़ा पुल भी बह गया. जिससे नदी के ऊपर के गांवों और सीमावर्ती क्षेत्रों में आपूर्ति बाधित हो गई. यह मलबा आगे बढ़ा, जिसने तपोवन परियोजना को भी क्षतिग्रस्त किया.
![Chamoli Raini disaster](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/07-02-2024/20688545_oaoa.jpg)
तपोवन हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट धौलीगंगा नदी पर 520 मेगावाट क्षमता की परियोजना थी. चमोली आपदा के दौरान तपोवन एचईपी में करीब 20 मीटर और बैराज गेट्स के पास 12 मीटर ऊंचाई तक मलबा और बड़े-बड़े बोल्डर जमा हो गए थे. जिससे इस प्रोजेक्ट को भी काफी नुकसान पहुंचा था. इस आपदा ने न सिर्फ 204 लोगों की जान ले ली, बल्कि अपने रास्ते में आने वाले सभी बुनियादी ढांचों को नष्ट कर दिया. आपदा में करीब 1,625 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था. 7 फरवरी साल 2021 में लगभग 25 दिन रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना पड़ा. जिसके बाद कई शवों को बाहर निकाला गया था. यह आपदा इतनी भायवह थी कि एक साल बाद तक भी एनटीपीसी की टनल से शव निकलते रहे.
![Chamoli Raini disaster](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/07-02-2024/20688545_cclclc.jpg)
आज रैणी आपदा को तीन साल पूरे हो गये हैं. इसके बाद भी रैणी और उसके आस पास के हालात ज्यादा बदले नहीं हैं. यहां अभी भी वैसे ही काम हो रहा है. एनटीपीसी टनल में आज भी मजदूर काम कर रहे है, मगर अब वे थोड़ा सजग हो गये हैं. ग्रामीण भी इस आपदा के बाद चौकन्ने हो गये हैं. सरकार और शासन की ओर से आपदा के बाद जांच और छोटी मोटी कार्रवाईयां हुई. जिसके बाद भी कोई बड़ा रिजल्ट नहीं निकला. रैणी गांव में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगा दिया गया है. वॉर्निंग सिस्टम के जरिए आस-पास के गांवों को अलर्ट किया जाएगा. जिससे 5 से 7 मिनट के भीतर पूरे इलाके को खाली कराया जा सकता है.
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