चमोली/मसूरी: प्राकृतिक जल स्रोत नौले-धारे और नदियों के जल संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने जिला स्तरीय बैठक ली. उन्होंने निर्देशित किया कि सभी संबधित विभाग आपसी समन्वय बनाकर लक्ष्य निर्धारित करते हुए एकीकृत योजना के साथ जल संरक्षण एवं संवर्धन के कार्य करना सुनिश्चित करें. वहीं मसूरी में फॉरेस्ट फायर को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाया.
चमोली में डीएम ने किया निर्देशित: चमोली डीएम हिमांशु खुराना ने कहा कि कृषि, उद्यान, सिंचाई, मत्स्य एवं अन्य विभाग और जल सर्वधन कार्यो से जुड़े स्वयं सेवी संस्थाओं और स्थानीय लोगों को भी इसमें शामिल किया जाए और सबके सुझाव लेकर जल स्रोत एवं क्षेत्र विशेष की आवश्यकताओं के अनुरूप जल संरक्षण कार्यों का क्रियान्वयन किया जाए. ताकि प्राकृतिक जल स्रोत नौले-धारे और नदियों का चिरस्थाई प्रवाह बना रहे. वर्षा जल संरक्षण के लिए भी विभागीय स्तर पर लक्ष्य निर्धारण करते हुए सघन वृक्षारोपण, खंती, चाल-खाल, चेकडैम एवं अन्य जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण किया जाए. परियोजना निदेशक आनंद सिंह ने बताया कि स्प्रिंगशेड एंड रिवर रिजुवेनेशन अथॉरिटी (सारा) के अंतर्गत जिला स्तर पर प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जल संस्थान को नोडल विभाग बनाया गया है. जल संस्थान द्वारा इसकी कार्ययोजना तैयार की गई है.
मसूरी में वनाग्नि को लेकर चलाया गया अभियान: मसूरी में वन विभाग द्वारा वनाग्नि को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाया गया. उत्तराखंड में फायर सीजन के दौरान जंगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास कर रहा है. जिसके तहत मसूरी फॉरेस्ट डिवीजन में जगह-जगह जागरूकता शिविरों का आयोजन हो रहा है. इसमें पंचायत प्रतिनिधियों को साथ लेकर ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है. सोमवार को मसूरी वन विभाग द्वारा गांव-गांव जाकर लोगों को वनाग्नि को लेकर जागरूक किया गया. इस मौके पर वनों में किसी भी प्रकार की आग ना लगाए जाने की अपील की गई. मसूरी वन विभाग के रेंजर एस पी गैरोला ने बताया कि मसूरी में वन विभाग द्वारा मसूरी फॉरेस्ट डिवीजन में ग्रामीणों और लोगों को वनाग्नि से पर्यावरण को हो रहे नुकसान के बारे में जागरूक किया गया.
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