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4 माह बाद खुले शिकारी माता मंदिर के कपाट दरबार, बर्फ के बीच दर्शन करने पहुंच रहे श्रद्धालु - Shikari Mata Temple - SHIKARI MATA TEMPLE

Shikari Mata Temple Kapat Open: चैत्र नवरात्रि शुरू खुलते ही मंडी जिले के ऊंची चोटी पर विराजमान माता शिकारी देवी के कपाट 4 माह बाद खुल गए. वहीं, बर्फ के बीच माता शिकार के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्तों का तांता लगाना शुरू हो गया है.

शिकारी माता मंदिर
शिकारी माता मंदिर
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Apr 9, 2024, 9:38 PM IST

सराज: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की सबसे ऊंची चोटी माता शिकारी देवी के कपाट चार माह बाद नवरात्रि का आरंभ होते ही श्रद्धालुओं के लिए खुल गए हैं. कपाट खुलने के बाद मंगलवार को पहले नवरात्र में बर्फ के बीच कई श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए पहुंचे. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन से शिकारी देवी में भक्तों का तांता लग गया है. श्रद्धालु दूर-दूर से यहां पहुंच रहे हैं.

लाहौल स्पीति किन्नौर से आई महिलाओं ने कहा कि हम इंतजार में थे कि कब कपाट खुलने जा रहे हैं. बिलासपुर के मनु ने कहा कुछ समय पहले उसके पति का एक्सीडेंट हुआ था, मैंने माता से पति के ठीक होने की मन्नत मांगी थी जो पूरी होते ही हम स परिवार पहले नवरात्र में आए हैं. मंदिर कमेटी ने सुरक्षा की दृष्टि से होमगार्ड के जवानों ने भी मोर्चा संभाल लिया है.

गर्मी से राहत पाने और नवरात्रि पर मां शिकारी के दर्शन करने के लिए आने वाले भक्तों की भीड़ दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगेगी. शिकारी देवी में अभी बर्फ है, लेकिन लोक निर्माण विभाग ने सड़क से बर्फ हटा दी है. विभाग ने सड़क साफ कर दी हैं. गौरतलब है कि मंडी जिले में बर्फ पड़ने से शिकारी देवी के कपाट करीब चार माह बंद रहते हैं. गर्मी की दस्तक के साथ ही लंबे अंतराल के बाद अब कपाट खुल गए हैं. इससे शिकारी देवी में अब फिर रौनक लौटने लग गई है.

शिकारी देवी मंडी की सबसे ऊंची चोटी होने के कारण यहां मौसम खराब होते ही बर्फ पड़ना शुरू हो जाती है. मंदिर वाली पहाड़ी में अधिक समय तक बर्फ रहती है. इससे यहां पहुंचना सर्दी में जोखिम भरा रहता है. एसडीएम थुनाग ललित पोसवाल ने बताया कि शिकारी देवी के कपाट श्रद्धालु व पर्यटकों के लिए के खोल दिए गए हैं.

आस्था के साथ-साथ ट्रैकिंग के लिए है प्रसिद्ध: शिकारी देवी धार्मिक स्थल के साथ साथ पर्यटन की दृष्टि से भी पर्यटकों के लिए बहुत खास है. यहां पर्यटक ट्रैकिंग करते हैं. बूढ़ा केदार, भुलाह चिलम गाड़ होते हुए माता के मंदिर के लिए ट्रैकिंग शुरू होती है. इन स्थलों से पहुंचकर पर्यटक रोमांचित हो उठते हैं.

भुलाह और बूढ़ा केदार आकर्षण के स्थल: भुलाह और बूढ़ा केदार पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. यहां के कल-कल बहते नाले पर्यटकों को बरबस अपनी और आकर्षित करते हैं. देवीदहड़ और सरोआ जालपा मंदिर अब पर्यटन के आकर्षण का केंद्र बनने लगे है.

ये भी पढ़ें: चिंतपूर्णी में धूमधाम से हुआ चैत्र नवरात्र मेले का शुभारंभ, माता के जयकारों से गूंजा मंदिर क्षेत्र

सराज: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की सबसे ऊंची चोटी माता शिकारी देवी के कपाट चार माह बाद नवरात्रि का आरंभ होते ही श्रद्धालुओं के लिए खुल गए हैं. कपाट खुलने के बाद मंगलवार को पहले नवरात्र में बर्फ के बीच कई श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए पहुंचे. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन से शिकारी देवी में भक्तों का तांता लग गया है. श्रद्धालु दूर-दूर से यहां पहुंच रहे हैं.

लाहौल स्पीति किन्नौर से आई महिलाओं ने कहा कि हम इंतजार में थे कि कब कपाट खुलने जा रहे हैं. बिलासपुर के मनु ने कहा कुछ समय पहले उसके पति का एक्सीडेंट हुआ था, मैंने माता से पति के ठीक होने की मन्नत मांगी थी जो पूरी होते ही हम स परिवार पहले नवरात्र में आए हैं. मंदिर कमेटी ने सुरक्षा की दृष्टि से होमगार्ड के जवानों ने भी मोर्चा संभाल लिया है.

गर्मी से राहत पाने और नवरात्रि पर मां शिकारी के दर्शन करने के लिए आने वाले भक्तों की भीड़ दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगेगी. शिकारी देवी में अभी बर्फ है, लेकिन लोक निर्माण विभाग ने सड़क से बर्फ हटा दी है. विभाग ने सड़क साफ कर दी हैं. गौरतलब है कि मंडी जिले में बर्फ पड़ने से शिकारी देवी के कपाट करीब चार माह बंद रहते हैं. गर्मी की दस्तक के साथ ही लंबे अंतराल के बाद अब कपाट खुल गए हैं. इससे शिकारी देवी में अब फिर रौनक लौटने लग गई है.

शिकारी देवी मंडी की सबसे ऊंची चोटी होने के कारण यहां मौसम खराब होते ही बर्फ पड़ना शुरू हो जाती है. मंदिर वाली पहाड़ी में अधिक समय तक बर्फ रहती है. इससे यहां पहुंचना सर्दी में जोखिम भरा रहता है. एसडीएम थुनाग ललित पोसवाल ने बताया कि शिकारी देवी के कपाट श्रद्धालु व पर्यटकों के लिए के खोल दिए गए हैं.

आस्था के साथ-साथ ट्रैकिंग के लिए है प्रसिद्ध: शिकारी देवी धार्मिक स्थल के साथ साथ पर्यटन की दृष्टि से भी पर्यटकों के लिए बहुत खास है. यहां पर्यटक ट्रैकिंग करते हैं. बूढ़ा केदार, भुलाह चिलम गाड़ होते हुए माता के मंदिर के लिए ट्रैकिंग शुरू होती है. इन स्थलों से पहुंचकर पर्यटक रोमांचित हो उठते हैं.

भुलाह और बूढ़ा केदार आकर्षण के स्थल: भुलाह और बूढ़ा केदार पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. यहां के कल-कल बहते नाले पर्यटकों को बरबस अपनी और आकर्षित करते हैं. देवीदहड़ और सरोआ जालपा मंदिर अब पर्यटन के आकर्षण का केंद्र बनने लगे है.

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