शहडोल। चैत्र नवरात्र का समय चल रहा है. 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. शुक्रवार को चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है. नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ स्वरूपों की पूजा होती है. चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन कूष्मांडा देवी की पूजा की जाती है. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से जानते हैं, किस विधि विधान से माता की पूजा करें, जिससे माता प्रसन्न होंगी.
नवरात्रि के चौथे दिन कूष्मांडा देवी की पूजा
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं की नवरात्रि के चौथे दिन कूष्मांडा देवी की पूजा की जाती है. कुष्मांडा देवी को विशेष रूप से धरातल की देवी माना जाता है. अगर विधि विधान से पूजा की जाए, तो माता बहुत प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
ऐसे करें पूजा
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं की कूष्मांडा देवी की पूजा करने के लिए प्रातः कालीन भोर में उठें, स्नान करें, एक ताम्र के कलश में साफ जल ले लें और देवी जी को स्नान कराएं. स्नान कराने के बाद सफेद और लाल चंदन लगाएं. पुष्प अर्पित करते समय इस बात का ध्यान रखें की माता कूष्मांडा देवी को सफेद रंग के पुष्प बहुत पसंद होते हैं, जिसे अर्पित करने से माता बहुत प्रसन्न होती हैं. भोग लगाने के लिए मां कूष्मांडा को बड़े आकार के फलों के भोग बहुत पसंद होते हैं. जैसे कद्दू, बरिहा, कलिंदर, खीरा या बेल मिल जाए, इन फलों का भोग लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि पूरा का पूरा साबूत फल ही चढ़ाऐं, इसे काट कर न चढ़ाएं, तो माता बहुत प्रसन्न होती हैं.
भरता है धन का भंडार
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं की कूष्मांडा देवी की पूजा अगर विधि विधान से करते हैं और माता प्रसन्न हो जाती हैं, तो अगर आपकी किस्मत साथ नहीं दे रही है, बहुत दिनों से बनते हुए काम बिगड़ जा रहे हैं, कहीं भी कोई भी काम नहीं बन पा रहा है, कहीं कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है, तो सब कुछ ठीक होता है. समय परिवर्तित होता है, शास्त्रों में तो ये भी उल्लेख है कि जिस तरह से पृथ्वी का आकार बड़ा होता है. ठीक उसी तरह से कूष्मांडा देवी की पूजा करने से अगर माता प्रसन्न हो जाती हैं, तो वो इस तरह से घर में धन का भंडार भी भर देती हैं. साथ ही माता की पूजा करने से शांति मिलती है विद्या का विकास होता है और घर में पैसा ही पैसा आता है.