शहडोल। चैत्र नवरात्रि का समय चल रहा है. 9 अप्रैल से इसकी शुरुआत हुई है. 15 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं, कि चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. मां कालरात्रि की पूजा कैसे करें, क्या फायदे होते हैं और कैसे शनि देव का नियंत्रण होता है जानते हैं ज्योतिष आचार्य से.
शनि को नियंत्रित करने करें कालरात्रि की पूजा
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. मां कालरात्रि की इस दिन पूजा करने से जो भी भक्त हैं, उनको बहुत लाभ होता है. कालरात्रि भद्रकाली नाम से देवी की पूजा की जाती है. कालरात्रि की पूजा में इस बात का ध्यान रखें कि उनकी पूजा रात में ही होती है, तो रात में ही पूजा करें. कालरात्रि की पूजा करने से शनि देव भी नियंत्रण में रहते हैं. जिन जातकों में शनि चल रहा है, उनका समय संतुलित बना रहता है. कालरात्रि की पूजन करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है. दुश्मनों का संघार होता है. कालरात्रि की सायं के समय अगर विधि विधान से पूजा करें तो कई सिद्धियां प्राप्त होती हैं. सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. आय के स्रोत बढ़ते हैं. शत्रुओं का विनाश होता है और ताकत मिलती है.
मां कालरात्रि को अर्पित करें ये भोग
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं की मां कालरात्रि की पूजा काफी विधि विधान से की जाती है. जो मां कालरात्रि की पूजा सायं के समय विधि विधान से करता है. उसे कई लाभ भी होते हैं. मां कालरात्रि को भोग लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि उन्हें उनका पूरा प्रिय भोग विधि विधान से लगाएं. जैसे लाल भाजी हो गया नींबू और अनार और गुड़ इसी का भोग मां कालरात्रि देवी को लगता है. यही भोग वो पसंद करती हैं और ऐसा भोग लगाने से मां भक्तों को मनचाहा वर देती हैं.
अर्पित करें ये पुष्प
ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि कई ऐसे रंग के पुष्प होते हैं. जो अलग-अलग देवी देवताओं को काफी प्रिय होते हैं. मां कालरात्रि को भी लाल और सफेद कलर का पुष्प बहुत प्रिय है. जो भी जातक मां कालरात्रि की पूजा विधि विधान से करते हैं. वो कोशिश करें कि लाल और सफेद कलर का पुष्प इकट्ठा कर लें और मां कालरात्रि को अर्पित करें. मां कालरात्रि को लाल और सफेद पुष्प दोनों एक साथ चढ़ाएं तो मन बहुत प्रसन्न होता है.