बीकानेर. चैत्र नवरात्र 9 अप्रैल से शुरू होकर 17 अप्रैल तक रहेंगे. नवरात्र की पहली तिथि यानी प्रतिपदा पर देवी की आराधना की शुरुआत के साथ ही घटस्थापना और पूजन होता है. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में घटस्थापना और पूजन से सभी मनोकामनाएं फलित होती हैं. नवरात्रा में घट स्थापना का विशेष महत्व है. इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे घटस्थापना का क्या है महत्व और कैसे करें घट स्थापना.
घट स्थापना का महत्व : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 अवतारों की पूजा आराधना का विशेष महत्व होता है. हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र नव वर्ष प्रतिपदा से होती है. इस दिन पहले नवरात्र में घट स्थापना का विधान है. विशेष मुहूर्त में ही इसे स्थापित किया जाता है. सनातन धर्म में देवी मां की पूजा आराधना के लिए नवरात्र का विशेष महत्व देवी पुराण भागवत में बताया गया है. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में घटस्थापना और पूजन से सभी मनोकामनाएं फलित होती हैं. इस बार घट स्थापना का शुभ मुहूर्त अभिजित वेला में सुबह 12 बजकर 15 मिनट से दोपहर से 1 बजकर 6 मिनट तक श्रेष्ठ रहेगा.
ऐसे होता है देवी देवताओं का आह्वान : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि सनातन धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य में कलश का पूजन होता है. कलश को स्थापित करने के साथ ही भगवान वरुण का भी आह्वान किया जाता है. कलश में जल होता है और वरुण जल के देवता हैं. कलश के मुख में भगवान विष्णु, कंठ में भगवान शिव और मूल में ब्रह्मा का वास होता है. कलश के मध्य में देवियों का स्थान होता है. इसके अलावा चारों वेदों की भी कलश में आह्वान के जरिए स्थापना होती है.
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उन्होंने कहा कि नवरात्रा में घट स्थापना का महत्व तो है ही लेकिन शास्त्रों में गृह प्रवेश में भी स्थापित होने वाले कलश की पूजा किए जाने का विधान है. इसके पीछे अमृत के लिए देवताओं और दैत्यों के बीच हुए युद्ध की कहानी है. समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु मोहिनी रूप के बाद अमृत कलश के साथ असली रूप में आए थे, इसलिए इसमें अमरत्व की भावना भी रहती है. पंडित किराडू के मुताबिक जल की प्रवृत्ति शांत होती है. कलश की पूजा करने का अभिप्राय यही होता है कि हमारा मन भी शांत रहे और भक्ति भाव बना रहे. इसी कारण किसी भी शुभ कार्य और मांगलिक कार्यों के अवसर पर कलश पूजा होती है.
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नवरात्रि में घट स्थापना क्यों ? : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि नवरात्रि सनातन धर्म में देवी की पूजा आराधना का एक बड़ा महापर्व है. दसवें दिन पूर्णाहुति तक देवी की पूजा चलती है, जो कि दशांश हवन के साथ दसवें दिन पूरी होती है. इसलिए नवरात्रि में शुभ मुहूर्त में घट स्थापना की जाती है. किराडू कहते हैं कि इस दिन पूजा आराधना के साथ घटस्थापना करने का अभिप्राय यही है कि इसमें सभी देवी-देवताओं, ग्रहों व नक्षत्रों का आह्वान करने से उनका वास इसमें होता है और कलश को सभी मंगल कार्य का प्रतीक माना जाता है. पूजा आराधना करने से पहले घट स्थापना करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. नवरात्र में घटस्थापना करते समय सभी देवी शक्तियों का आह्वान किया जाता है. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी तरह का नकारात्मक माहौल दूर होता है.
ऐसे की जाती है घट स्थापना : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि घट पूजन की भी एक प्रक्रिया होती है. शास्त्र अनुसार उसका पालन करना चाहिए. घटस्थापना के दिन सबसे पहले इसकी स्थापना होती है और शास्त्रों में स्वर्ण, रजत, ताम्र कलश और मिट्टी के घट का महत्व बताया गया है. सप्तधान के मिश्रित रूप को घट के ऊपर स्थापित जाता है. सप्तधान में जौ, तिल, कंगनी मूंग, चना, सावा होता है. इसके अलावा पंचरत्न सोना, हीरा, नीलम और पंच पल्लव यानी की 5 तरह के पत्ते जिसमें बरगद, पीपल, आम, पाकड़ और गूलर के पत्ते कलश में नारियल के साथ रखे जाते हैं. इसके साथ ही सात द्वीप, प्रमुख नदियों, सात समुद्रों के जल का भी आह्वान घट में समाहित होने के लिए किया जाता है.
सीएम ने दी नववर्ष की बधाई : चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो रही है. इस मौके पर सूबे के मुखिया भजनलाल शर्मा ने प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मातारानी आप सभी के जीवन में सुख- समृद्धि और खुशी लेकर आये. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर संदेश जारी कर कहा कि " शुभं भवतु नववर्षम् ॥ "हिंदू नववर्ष" विक्रम सम्वत 2081 की समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं. यह नववर्ष आप सभी के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और वैभव लेकर आये, ऐसी मेरी मंगलकामना है. "