बीकानेर. देवी की आराधना का महापर्व नवरात्र मंगलवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ हो गया. आज बुधवार को नवरात्र का दूसरा दिन है. पूरे 9 दिन तक देवी के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है. इसी कड़ी में इस महापर्व के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा का विधान है.
पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि भगवती देवी के नौ अलग-अलग स्वरूप की पूजा और अवतार लेने के पीछे भी अपनी वजह है. उन्होंने बताया कि नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा तपस्या करते हुए करनी चाहिए. ऐसा करने से ही साधक तपस्वी बनता है. वे कहते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी तपस्वी रूप में प्रकट हुईं थी. उनके हाथ में कमंडल माला और पदम था. मां ब्रह्मचारिणी तपस्या में लीन रहने वाली देवी हैं. ऐसे में मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा तपस्या करते हुए ही करनी चाहिए.
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षोडशोपचार पूजन का महत्व : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि सनातन धर्म में नवरात्र देवी की उपासना का महापर्व है. देवी की सिद्धि के लिए नवरात्र में षोडशोपचार पूजन का महत्व शास्त्रों में बताया गया है. मां ब्रह्मचारिणी को अर्पित किए जाने वाले भोग को लेकर किराडू ने बताया कि जो तपस्वी होता है, उसके आचरण के मुताबिक उसके सभी प्रकार के नैवेद्य स्वीकार होते हैं. शास्त्रों में पायस यानी खीर और मालपुआ का भोग का विधान है. इसके अलावा मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में कनेरी का पुष्प अर्पित करना चाहिए. किराडू कहते हैं कि देवी की आराधना में सब प्रकार के पुष्प अर्पित करने का महत्व शास्त्रों में बताया गया है. पूजन के दौरान मां दुर्गा के 108 नाम या फिर इससे ज्यादा नामों से अर्चन किया जाना चाहिए.