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Delhi: छत्रपति शिवाजी के नाम पर JNU में खुलेगा सेंटर, गुरिल्ला युद्ध नीति और उनके शासन कौशल पर होगा शोध

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर एक सेंटर खोलने की योजना है.

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जेएनयू की कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने दी जानकारी. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 18, 2024, 5:41 PM IST

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) अगले साल से छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना करने जा रहा है. यह केंद्र जेएनयू के सेंटर ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के अधीन होगा और इसका उद्देश्य भारतीय ज्ञान प्रणाली में एक आदर्श बदलाव लाना है. इस पहल के पीछे की सोच को शिक्षाविदों और प्रशासनिक नेताओं ने भारत की सुरक्षा और सामरिक अध्ययन के लिए वैकल्पिक मॉडल विकसित करना बताया है.

जेएनयू की कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने कहा, "हमने छत्रपति शिवाजी महाराज की समुद्री ताकत, युद्ध की रणनीतियों और हिंदवी स्वराज की अवधारणा जैसी विषयों पर विचार किया है, जो अब तक सही तरीके से अध्ययन नहीं किए गए हैं." उन्होंने कहा कि यह समय है कि गुमनाम नायकों को मुख्यधारा में लाया जाए और उनके योगदान को मान्यता दी जाए.

महाराष्ट्र सरकार ने इस पहल के प्रति उत्साह दिखाते हुए 10 करोड़ रुपये का अनुदान भी दिया है. यह कदम उस बदलाव का प्रतीक है, जो भारत अब अपने इतिहास और प्रतीकों के पुनर्मूल्यांकन में कर रहा है.

केंद्र की संरचना और पाठ्यक्रम: सेंटर में कुल 14 पद होंगे, जिसमें एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर और चार असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल होंगे. इसके अलावा, एक प्रशासनिक ब्लॉक, आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर लैब, लाइब्रेरी और रीडिंग हॉल जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी. छात्रों के लिए प्रस्तावित पाठ्यक्रम में मराठा ग्रैंड स्ट्रैटेजी, गुरिल्ला कूटनीति, विषम युद्ध के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण, शिवाजी महाराज और बाद की शासन कला शामिल हैं. छात्रों को इन विषयों पर शोध करने का भी अवसर मिलेगा, जिससे वे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सामरिक ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे.

केंद्र के लिए ईस्ट एशियन स्टडीज सेंटर के प्रोफेसर अरविंद वेल्लारी और यूरोपियन स्टडीज सेंटर के डॉक्टर जगन्नाथन जैसे विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी. इसके साथ ही एक अत्याधुनिक म्यूजियम भी बनाया जाएगा, जो शिवाजी महाराज और उनके शासन की ऐतिहासिकता को दर्शाएगा.

यह भी पढ़ें- डीयू के 12 कॉलेजों में स्थायी शिक्षकों के 618 पद खाली, दो साल से लंबित है भर्ती प्रक्रिया

भविष्य की संभावनाएंः इस केंद्र के तहत लंबे समय में डिप्लोमा कोर्स आरंभ करने की भी योजना है, जिससे छात्रों को और भी अधिक अवसर मिल सकेंगे. ये पाठ्यक्रम छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवन और कार्य प्रणाली को समझने के साथ-साथ उन्हें जनसमुदाय में प्रचारित करने का कार्य करेंगे.

जेएनयू द्वारा शिवाजी महाराज के नाम पर स्थापित होने वाला सेंटर ऑफ एक्सीलेंस न केवल भारतीय इतिहास के पुनर्मूल्यांकन का संकेत है, बल्कि यह भारतीय ज्ञान प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है. यह पहल यह सुनिश्चित करेगी कि आने वाली पीढ़ियां अपने इतिहास और संस्कृति के प्रति और अधिक जागरूक बनें, और गुमनाम नायकों के योगदान को समझ सकें.

यह भी पढ़ें- DU ईसी की बैठक में कई बड़े फैसले- कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को EPF की सुविधा, विदेशी भाषा के कई कोर्स को मंजूरी

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) अगले साल से छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना करने जा रहा है. यह केंद्र जेएनयू के सेंटर ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के अधीन होगा और इसका उद्देश्य भारतीय ज्ञान प्रणाली में एक आदर्श बदलाव लाना है. इस पहल के पीछे की सोच को शिक्षाविदों और प्रशासनिक नेताओं ने भारत की सुरक्षा और सामरिक अध्ययन के लिए वैकल्पिक मॉडल विकसित करना बताया है.

जेएनयू की कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने कहा, "हमने छत्रपति शिवाजी महाराज की समुद्री ताकत, युद्ध की रणनीतियों और हिंदवी स्वराज की अवधारणा जैसी विषयों पर विचार किया है, जो अब तक सही तरीके से अध्ययन नहीं किए गए हैं." उन्होंने कहा कि यह समय है कि गुमनाम नायकों को मुख्यधारा में लाया जाए और उनके योगदान को मान्यता दी जाए.

महाराष्ट्र सरकार ने इस पहल के प्रति उत्साह दिखाते हुए 10 करोड़ रुपये का अनुदान भी दिया है. यह कदम उस बदलाव का प्रतीक है, जो भारत अब अपने इतिहास और प्रतीकों के पुनर्मूल्यांकन में कर रहा है.

केंद्र की संरचना और पाठ्यक्रम: सेंटर में कुल 14 पद होंगे, जिसमें एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर और चार असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल होंगे. इसके अलावा, एक प्रशासनिक ब्लॉक, आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर लैब, लाइब्रेरी और रीडिंग हॉल जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी. छात्रों के लिए प्रस्तावित पाठ्यक्रम में मराठा ग्रैंड स्ट्रैटेजी, गुरिल्ला कूटनीति, विषम युद्ध के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण, शिवाजी महाराज और बाद की शासन कला शामिल हैं. छात्रों को इन विषयों पर शोध करने का भी अवसर मिलेगा, जिससे वे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सामरिक ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे.

केंद्र के लिए ईस्ट एशियन स्टडीज सेंटर के प्रोफेसर अरविंद वेल्लारी और यूरोपियन स्टडीज सेंटर के डॉक्टर जगन्नाथन जैसे विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी. इसके साथ ही एक अत्याधुनिक म्यूजियम भी बनाया जाएगा, जो शिवाजी महाराज और उनके शासन की ऐतिहासिकता को दर्शाएगा.

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भविष्य की संभावनाएंः इस केंद्र के तहत लंबे समय में डिप्लोमा कोर्स आरंभ करने की भी योजना है, जिससे छात्रों को और भी अधिक अवसर मिल सकेंगे. ये पाठ्यक्रम छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवन और कार्य प्रणाली को समझने के साथ-साथ उन्हें जनसमुदाय में प्रचारित करने का कार्य करेंगे.

जेएनयू द्वारा शिवाजी महाराज के नाम पर स्थापित होने वाला सेंटर ऑफ एक्सीलेंस न केवल भारतीय इतिहास के पुनर्मूल्यांकन का संकेत है, बल्कि यह भारतीय ज्ञान प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है. यह पहल यह सुनिश्चित करेगी कि आने वाली पीढ़ियां अपने इतिहास और संस्कृति के प्रति और अधिक जागरूक बनें, और गुमनाम नायकों के योगदान को समझ सकें.

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