जोधपुर. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में लगातार तीसरी बार जोधपुर सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत को मंत्री बनाने का सबसे बड़े कारण के रूप में भाजपा द्वारा खास तौर से राजपूत समाज की नाराजगी दूर करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा हैं, जो गुजरात के नेता पुरुषोतम रुपाला के बयान की वजह से हुई. जिसका नुकसान राजस्थान सहित उतर प्रदेश में भी भाजपा को उठाना पड़ा.
राजस्थान में शेखावत को आगे कर पार्टी ने अपनी परंपरागत वोट बैंक को फिर से जोड़कर मजबूत करने की शुरुआत की है, जिन्होंने इस बार कई सीटों पर बेरुखी दिखाई थी. इसके अलावा शेखावत को प्रतिनिधित्व देकर भाजपा ने पार्टी में राजपूत समाज के बड़े चेहरे की रिक्तता को पूरा किया है. राजस्थान में भाजपा के पास वर्तमान में शेखावत से बड़ा राजपूत समाज का चुना हुआ चेहरा नहीं है.
प्रदेश में देवी सिंह भाटी और राजेंद्र राठौड़ लगातार हाशिए पर जा रहे हैं. ऐसे में भाजपा ने प्रदेश में राजपूतों की राजनीति में शेखावत को तीसरी बार मंत्री बनाकर मजबूत किया गया है, जिससे खास तौर से पश्चिमी राजस्थान में जो बिखराव हुआ, उसे वापस मजबूत किया जा सके. इसकी वजह यह भी है कि शेखावत ने तमाम विपरित स्थितियों के बावजूद प्रदेश में चुनाव लड़ने वाले केंद्र के मंत्रियों में सबसे ज्यादा मार्जिन से जीत दर्ज की है. वरिष्ठ पत्रकार कमल वैष्णव का कहना है कि शेखावत इस चुनाव में निसंदेह मजबूत होकर उभरे हैं. इसका फायदा उनको और पार्टी दोनों को होगा.
पश्चिमी के साथ पूरे राजस्थान को साधना होगा : केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के पास पश्चिमी राजस्थान के राजपूतों को साधने के साथ-साथ पूरे राजस्थान में समाज को फिर भाजपा के पक्ष में लाना होगा. हालांकि, प्रदेश में भी राजपूत नेता सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर हैं, जिनमें उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और मंत्री राज्यवर्धन सिंह जैसे नाम भी हैं, लेकिन इसके बावजूद शेखावत पर यह बड़ी जिम्मेदारी होगी. वे श्री क्षत्रिय युवक संघ के साथ समन्वय स्थापित कर यह काम पूरा करें.
आगे की राजनीति के लिए भी फायदेमंद : प्रदेश भाजपा की अगली राजनीतिक पीढ़ी में शेखावत काफी आगे हैं. उनको केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का समर्थन है. ऐसे में राजस्थान में अगले 5 साल बाद की भाजपा की स्थिति को देखते हुए भी शेखावत के लिए तीसरी बार बड़ी जिम्मेदारी मिलना काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. हालांकि, प्रदेश में अभी कई बड़े नेता जैसे वसुंधरा राजे, राजेंद्र राठौड़ सहित अन्य शांत हैं, लेकिन उनकी उपस्थिति बनी हुई है. इन सबके पास अब अगला विकल्प 2028 के विधानसभा चुनाव ही हैं.
तीन चुनाव, तीनों में जीत : गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपनी राजनीति की शुरुआत जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष बनकर की थी. इसके बाद वे संघ के संगठनों से जुड़े रहे. 2014 में उनका नाम आगे आया और उनको भाजपा ने लोकसभा चुनाव का टिकट दिया. इसके बाद शेखावत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2014, 2019 और अब 2024 के चुनावों जीत कर खुद की मजबूती प्रदर्शित की.