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Rajasthan: पांच साल से अटकी भारत माला परियोजना को मंजूरी, डीएनपी के नियमों की अड़चन में फंसी हुई थी - BHARAT MALA PROJECT JAISALMER

राष्ट्रीय मरु उद्यान में बसे ग्रामीणों को अब भारत माला परियोजना का लाभ मिल सकेगा. वन विभाग की समिति ने इसकी मंजूरी दे दी है.

Bharat Mala Project  Jaisalmer
भारत माला परियोजना को मंजूरी (Photo ETV Bharat Jaisalmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 23, 2024, 3:35 PM IST

Updated : Oct 23, 2024, 3:43 PM IST

जैसलमेर: राष्ट्रीय मरु उद्यान (डीएनपी) के नियमों में फंसी 137 किमी भारत-माला परियोजना के तहत सड़क निर्माण की 5 साल बाद अनुमति मिल गई है. यह अनुमति पिछले दिनों राष्ट्रीय वन जीवन बोर्ड की स्थायी समिति की बैठक में जारी की गई. बैठक की अध्यक्षता पर्यावरण व वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने की. इस परियोजना के मंजूर होने से डीएनपी क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों को सड़क की सुविधा मिल सकेगी.

भारत माला परियोजना को मंजूरी (Video ETV Bharat Jaisalmer)

इस 137 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण 390 करोड़ से होना था, लेकिन डीएनपी की आपत्ति आ गई. इसके बाद एनएचएआई ने भारतीय वन्यजीव संस्थान से सर्वे करवाया. इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की बात कही गई. इस रिपोर्ट के बाद सड़क निर्माण का खर्च 390 करोड़ से बढ़कर 872 करोड़ तक बढ़ाया गया. राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति की 80वीं बैठक में इस परियोजना को मंजूरी दी गई. वर्तमान में डीएनपी क्षेत्र के निवासी सीमित संसाधनों के साथ जीने को मजबूर हैं. इस क्षेत्र के लोग बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. शिक्षा, चिकित्सा और अन्य सरकारी योजनाएं भी डीएनपी क्षेत्र घोषित होने के कारण यहां लागू करने में कठिनाई हो रही है.किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड पर ऋण नहीं मिल पा रहा है.

पढ़ें: एशिया का सबसे बड़ा एनिमल ओवरपास, सुरंग से सरपट दौड़ेंगी गाड़ियां, ऊपर वन्यजीवों की सुनाई देगी दहाड़

वन्यजीवों की सहूलियत का रखा पूरा ध्यान: इस सड़क के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) देहरादून की टीम से रिपोर्ट तैयार करवाई गई. इस टीम ने सर्दी, गर्मी व बरसात के मौसम में इस सड़क का सर्वे करके रिपोर्ट एनएचएआई को सौंपी. रिपोर्ट में इस सड़क मार्ग पर वन्यजीवों की सहूलियत के लिए पूरी फेंसिंग, अंडरपास व फ्लाइओवर का पूरा ध्यान रखने को कहा गया. ऐसे में इस सड़क निर्माण की लागत में बढ़ोतरी हो गई है. यह सड़क पहले 390 करोड़ में बनने वाली थी, जो अब 872 करोड़ में बनकर तैयार होगी.

निर्णय स्वागत योग्य: जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी ने इस निर्णय को स्वागत योग्य बताते हुए कहा कि उन्होंने इसको लेकर मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व मंत्री कैलाश चौधरी, पूर्व विधायक सांगसिंह, नीम्बसिंह सहित सीमा समिति के प्रतिनिधि मंडल के साथ और वन व पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव व सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडगरी से बैठक कर सड़क स्वीकृति की मांग रखी थी. उसके बाद राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति की बैठक में विधानसभा क्षेत्र जैसलमेर की अत्यंत महत्वपूर्ण सड़क परियोजना, जैसलमेर से म्याजलार मार्ग को स्वीकृति प्रदान की गई. साथ ही डीएनपी क्षेत्र में अब मोबाइल टावर लगाने की भी अनुमति प्रदान की गई है. उन्होंने कहा कि यह 137 किलोमीटर लंबी सड़क राष्ट्रीय मरु उद्यान के समस्त मापदंडों का पालन करते हुए और वन्यजीवों को किसी प्रकार की क्षति पहुंचाए बिना क्षेत्र के समग्र विकास, स्थानीय निवासियों की आवश्यकताओं व पर्यटन की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्मित की जाएगी. इसको लेकर विधायक भाटी ने भारत सरकार, राज्य सरकार और विशेष रूप से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया.

यह भी पढ़ें: भारत माला प्रोजेक्ट: किसानों का आरोप, बिना मुआवजा अधिग्रहण की जमीन

ऐसे चला पूरा प्रोसेस

  • भारत-माला परियोजना के पहले चरण में जैसलमेर से म्याजलार तक 101.20 किलोमीटर सड़क मंजूर
  • मुनाबाव से तनोट तक सड़क के लिए 36.60 किमी सुंदरा से बींजराज का तला को जोड़ा गया, लेकिन यह डीएनपी क्षेत्र में आने के कारण प्रोजेक्ट अटका.
  • एनएचएआई ने डीएनपी क्षेत्र में 137.80 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए अप्रेल 2018 में प्रस्ताव भेजा था.
  • डब्ल्यूआईआई के सर्वे के बाद सड़क निर्माण की लागत 390 करोड़ से बढ़कर 872 करोड़ हो गई.

वन्यजीव बोर्ड की समिति ने इन शर्तों पर दी अनुमति

  • डब्ल्यूआईआई द्वारा तैयार मार्ग योजना का क्रियान्वयन एजेंसी द्वारा किया जाएगा. योजना में प्रस्तावित 250 मीटर और 150 मीटर के विस्तार वाले अंडरपास का निर्माण किया जाएगा.
  • डीएनपी में आने वाली आनुपातिक परियोजना लागत का 2 प्रतिशत गांवों के पुनर्वास, भूमि अधिग्रहण के लिए जमा किया जाएगा.
  • सड़क निर्माण के दौरान सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद कोई भी काम नहीं किया जाएगा.
  • डीएनपी क्षेत्र में सड़क निर्माण के दौरान किसी भी प्रकार की कोई सामग्री नहीं निकाली जाएगी.
  • डीएनपी क्षेत्र के अंदर पेड़ों की कटाई और ईंधन की लकड़ी जलाना प्रतिबंधित है. सड़क निर्माण के दौरान उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थ का निपटारा डीएनपी एरिया से बाहर किया जाएगा.
  • डीएनपी एरिया की सीमा से 1 किलोमीटर के अंदर कोई श्रमिक शिविर नहीं होगा. सड़क निर्माण के दौरान डीएनपी क्षेत्र की सीमा से 1 किमी के अंदर कोई विस्फोट नहीं किया जाएगा.
  • डीएनपी एरिया की सीमा से 1 किमी के अंदर कोई हाई मास्ट लाइट और तेज आवाज नहीं होनी चाहिए.
  • जंगली जानवरों के बारे में जानकारी के लिए साइनेज क्षेत्र में यातायात की मात्रा व गति पर नियंत्रण रखा जाएगा.
  • एनएचएआई व डीएनपी के कर्मचारी वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों की पालना करेंगे.
  • अभयारण्य क्षेत्र में प्रत्येक 500 मीटर पर एक साइन बोर्ड लगाया जाएगा.
  • डीएनपी क्षेत्र में प्रत्येक 300 मीटर की दूरी पर स्पीड ब्रेकर बनाए जाएंगे.
  • सड़क के दोनों ओर पौधरोपण किया जाएगा.
  • एनएचएआई सड़क निर्माण के लिए डीएनपी क्षेत्र में गड्ढे नहीं बनाएगी.
  • सड़क निर्माण पूरा होने के बाद बचे हुए पूरे मलबे को साफ करना होगा.

जैसलमेर: राष्ट्रीय मरु उद्यान (डीएनपी) के नियमों में फंसी 137 किमी भारत-माला परियोजना के तहत सड़क निर्माण की 5 साल बाद अनुमति मिल गई है. यह अनुमति पिछले दिनों राष्ट्रीय वन जीवन बोर्ड की स्थायी समिति की बैठक में जारी की गई. बैठक की अध्यक्षता पर्यावरण व वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने की. इस परियोजना के मंजूर होने से डीएनपी क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों को सड़क की सुविधा मिल सकेगी.

भारत माला परियोजना को मंजूरी (Video ETV Bharat Jaisalmer)

इस 137 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण 390 करोड़ से होना था, लेकिन डीएनपी की आपत्ति आ गई. इसके बाद एनएचएआई ने भारतीय वन्यजीव संस्थान से सर्वे करवाया. इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की बात कही गई. इस रिपोर्ट के बाद सड़क निर्माण का खर्च 390 करोड़ से बढ़कर 872 करोड़ तक बढ़ाया गया. राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति की 80वीं बैठक में इस परियोजना को मंजूरी दी गई. वर्तमान में डीएनपी क्षेत्र के निवासी सीमित संसाधनों के साथ जीने को मजबूर हैं. इस क्षेत्र के लोग बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. शिक्षा, चिकित्सा और अन्य सरकारी योजनाएं भी डीएनपी क्षेत्र घोषित होने के कारण यहां लागू करने में कठिनाई हो रही है.किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड पर ऋण नहीं मिल पा रहा है.

पढ़ें: एशिया का सबसे बड़ा एनिमल ओवरपास, सुरंग से सरपट दौड़ेंगी गाड़ियां, ऊपर वन्यजीवों की सुनाई देगी दहाड़

वन्यजीवों की सहूलियत का रखा पूरा ध्यान: इस सड़क के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) देहरादून की टीम से रिपोर्ट तैयार करवाई गई. इस टीम ने सर्दी, गर्मी व बरसात के मौसम में इस सड़क का सर्वे करके रिपोर्ट एनएचएआई को सौंपी. रिपोर्ट में इस सड़क मार्ग पर वन्यजीवों की सहूलियत के लिए पूरी फेंसिंग, अंडरपास व फ्लाइओवर का पूरा ध्यान रखने को कहा गया. ऐसे में इस सड़क निर्माण की लागत में बढ़ोतरी हो गई है. यह सड़क पहले 390 करोड़ में बनने वाली थी, जो अब 872 करोड़ में बनकर तैयार होगी.

निर्णय स्वागत योग्य: जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी ने इस निर्णय को स्वागत योग्य बताते हुए कहा कि उन्होंने इसको लेकर मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व मंत्री कैलाश चौधरी, पूर्व विधायक सांगसिंह, नीम्बसिंह सहित सीमा समिति के प्रतिनिधि मंडल के साथ और वन व पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव व सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडगरी से बैठक कर सड़क स्वीकृति की मांग रखी थी. उसके बाद राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति की बैठक में विधानसभा क्षेत्र जैसलमेर की अत्यंत महत्वपूर्ण सड़क परियोजना, जैसलमेर से म्याजलार मार्ग को स्वीकृति प्रदान की गई. साथ ही डीएनपी क्षेत्र में अब मोबाइल टावर लगाने की भी अनुमति प्रदान की गई है. उन्होंने कहा कि यह 137 किलोमीटर लंबी सड़क राष्ट्रीय मरु उद्यान के समस्त मापदंडों का पालन करते हुए और वन्यजीवों को किसी प्रकार की क्षति पहुंचाए बिना क्षेत्र के समग्र विकास, स्थानीय निवासियों की आवश्यकताओं व पर्यटन की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्मित की जाएगी. इसको लेकर विधायक भाटी ने भारत सरकार, राज्य सरकार और विशेष रूप से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया.

यह भी पढ़ें: भारत माला प्रोजेक्ट: किसानों का आरोप, बिना मुआवजा अधिग्रहण की जमीन

ऐसे चला पूरा प्रोसेस

  • भारत-माला परियोजना के पहले चरण में जैसलमेर से म्याजलार तक 101.20 किलोमीटर सड़क मंजूर
  • मुनाबाव से तनोट तक सड़क के लिए 36.60 किमी सुंदरा से बींजराज का तला को जोड़ा गया, लेकिन यह डीएनपी क्षेत्र में आने के कारण प्रोजेक्ट अटका.
  • एनएचएआई ने डीएनपी क्षेत्र में 137.80 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए अप्रेल 2018 में प्रस्ताव भेजा था.
  • डब्ल्यूआईआई के सर्वे के बाद सड़क निर्माण की लागत 390 करोड़ से बढ़कर 872 करोड़ हो गई.

वन्यजीव बोर्ड की समिति ने इन शर्तों पर दी अनुमति

  • डब्ल्यूआईआई द्वारा तैयार मार्ग योजना का क्रियान्वयन एजेंसी द्वारा किया जाएगा. योजना में प्रस्तावित 250 मीटर और 150 मीटर के विस्तार वाले अंडरपास का निर्माण किया जाएगा.
  • डीएनपी में आने वाली आनुपातिक परियोजना लागत का 2 प्रतिशत गांवों के पुनर्वास, भूमि अधिग्रहण के लिए जमा किया जाएगा.
  • सड़क निर्माण के दौरान सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद कोई भी काम नहीं किया जाएगा.
  • डीएनपी क्षेत्र में सड़क निर्माण के दौरान किसी भी प्रकार की कोई सामग्री नहीं निकाली जाएगी.
  • डीएनपी क्षेत्र के अंदर पेड़ों की कटाई और ईंधन की लकड़ी जलाना प्रतिबंधित है. सड़क निर्माण के दौरान उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थ का निपटारा डीएनपी एरिया से बाहर किया जाएगा.
  • डीएनपी एरिया की सीमा से 1 किलोमीटर के अंदर कोई श्रमिक शिविर नहीं होगा. सड़क निर्माण के दौरान डीएनपी क्षेत्र की सीमा से 1 किमी के अंदर कोई विस्फोट नहीं किया जाएगा.
  • डीएनपी एरिया की सीमा से 1 किमी के अंदर कोई हाई मास्ट लाइट और तेज आवाज नहीं होनी चाहिए.
  • जंगली जानवरों के बारे में जानकारी के लिए साइनेज क्षेत्र में यातायात की मात्रा व गति पर नियंत्रण रखा जाएगा.
  • एनएचएआई व डीएनपी के कर्मचारी वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों की पालना करेंगे.
  • अभयारण्य क्षेत्र में प्रत्येक 500 मीटर पर एक साइन बोर्ड लगाया जाएगा.
  • डीएनपी क्षेत्र में प्रत्येक 300 मीटर की दूरी पर स्पीड ब्रेकर बनाए जाएंगे.
  • सड़क के दोनों ओर पौधरोपण किया जाएगा.
  • एनएचएआई सड़क निर्माण के लिए डीएनपी क्षेत्र में गड्ढे नहीं बनाएगी.
  • सड़क निर्माण पूरा होने के बाद बचे हुए पूरे मलबे को साफ करना होगा.
Last Updated : Oct 23, 2024, 3:43 PM IST
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