ETV Bharat / state

एचईसी के पूर्व सीएमडी समेत चार पर एफआईआर, रशियन कंपनी से मिलकर करोड़ों का चूना लगाया - CBI filed FIR

author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 2, 2024, 10:21 AM IST

Former CMD of HEC. एचईसी के पूर्व सीएमडी अभिजीत घोष सहित चार लोगों पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है. इन पर 30 करोड़ से अधिक का कंपनी को नुकसान पहुंचाने का आरोप है.

CBI filed FIR against four people including former CMD of HEC
सीबीआई एंटी करप्शन ब्रांच कार्यालय (ईटीवी भारत)

रांचीः राजधानी के धुर्वा स्थित एचईसी के पूर्व सीएमडी अभिजीत घोष सहित चार पर सीबीआई दिल्ली के एंटी करप्शन 1 टीम ने आईपीसी की धारा 120-बी आर/डब्ल्यू 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(2) आर/डब्ल्यू 13(1)(डी) के तहत एफआईआर दर्ज की है. पूरा मामला रशियन कंपनी के साथ मिलकर करोड़ों की ठगी से जुड़ा हुआ है.

क्या है पूरा मामला

एचईसी के पूर्व सीएमडी अभिजीत घोष, पूर्व मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी और शाखा प्रबंधक एचईसी दिल्ली के नवीन कुमार सिंह, एचईसी के बिजनेस डेवलपमेंट के तत्कालीन प्रमुख अश्विनी कुमार दास, अज्ञात लोकसेवकों और कई अज्ञात के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है. सीबीआई दिल्ली की एंटी करप्शन 1 टीम ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराध के साक्ष्य प्रारंभिक जांच में मिलने के बाद सभी को आरोपित किया है.

सीबीआई के इंस्पेक्टर आकाश कुमार सैनी ने जांच कर सीबीआई मुख्यालय को रिपोर्ट दिया था. जिसके बाद एक रशियन कंपनी के साथ मिलीभगत कर आपराधिक साजिश रचने के मामले में सीबीआई ने पीई दर्ज कर 6 अप्रैल 2023 को अपनी जांच शुरू की थी. जांच में यह बात सामने आयी है कि 2015-19 के बीच एचईसी अधिकारी और अन्य ने रूस की संयुक्त स्टॉक कंपनी मेसर्स सीएनआईआईटीएमएएसएच के साथ आपराधिक साजिश रची, इससे 30 करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा.

कैसे की गई गड़बड़ी

दरअसल सीबीआई जांच में बात सामने आई कि भारत सरकार ने इंडियन पूंजीगत वस्तु क्षेत्र में कंपटीशन बढ़ाने के लिए एक योजना तैयार करते हुए अधिसूचना संख्या 7/6/2011-एचई एंड एमटी प्रकाशित की थी. योजना का मुख्य उद्देश्य भारतीय पूंजीगत वस्तु क्षेत्र को पूरे विश्व में कंपटीशन युक्त बनाकर भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना था.

14 नवंबर 2015 को एचईसी द्वारा तकनीकी सहयोग हस्तांतरण के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठित फर्मो, शोध संस्थानों को आकर्षित करने के लिए इंटरेस्ट आफ एक्सप्रेशन (ईओआई) जारी की गई थी, ताकि अधिकांश उपकरणों का निर्माण एचईसी द्वारा स्वदेशी रूप से किया जा सके. ईएसआर प्रौद्योगिकी, गियर प्रौद्योगिकी, गैर-विनाशकारी प्रौद्योगिकी और वेल्डिंग प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता केंद्र बनाना भी इसी ईओआई का हिस्सा था.

27 नवंबर 2015 को ईओआई में संशोधन किया गया और संबंधित सरकार की प्रमुख शेयरधारिता खंड को हटा दिया गया और उक्त निविदा की तिथि एक सप्ताह यानी 4 दिसंबर 2015 तक बढ़ा दी गई. इसके ठीक पहले 18 नवंबर 2015 को तत्कालीन सीएमडी अभिजीत घोष ने सीएनआईटीएमएएसएच की ओर से 43 करोड़ रुपये के बजटीय प्रस्ताव पर 30 करोड़ रुपये के परामर्श शुल्क के साथ कौशल विकास के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के लिए भारी उद्योग मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेज दिया.

अभिजीत घोष और एचईसी के अन्य अधिकारियों, जिनमें नवीन कुमार सिंह भी शामिल हैं ने रूस का दौरा किया और 24 दिसंबर 2015 को गैर-वाणिज्यिक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे निविदा मूल्यांकन समिति द्वारा 02 फरवरी 2016 को ही अनुमोदित किया गया. इस दौरान घोष ने एचईसी में चल रही ईओआई/निविदा प्रक्रिया के बारे में भारी उद्योग मंत्रालय को सूचित नहीं किया.

सीबीआई ने पाया है कि यह प्रथम दृष्टया निविदा प्रक्रिया का उल्लंघन है, क्योंकि इसे तकनीकी मूल्यांकन के लिए मूल्यांकन समिति के समक्ष रखा जाना था. सीएनआईआईटीएमएएस बोली के लिए पसंदीदा विकल्प था. नवीन कुमार सिंह गैर-वाणिज्यिक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मास्को गए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होने के बावजूद समिति के संज्ञान में यह बात नहीं लाई.

15 फरवरी 2016 को एचईसी और सीएनआईआईटीएमएएसएच के बीच प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने और नौ मॉड्यूल वाले चार व्यापक क्षेत्रों में प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इसके अलावे सीईएफसी प्रथम फाउंडेशन का गठन 14 दिसंबर 2016 को अभिजीत घोष द्वारा नवीन कुमार सिंह और अश्विनी कुमार दास के साथ साजिश करके भारी उद्योग मंत्रालय और एचईसी बोर्ड की पूर्व स्वीकृति के बिना उनके निजी धन से नवीन कुमार सिंह के निजी आवासीय पते पर पंजीकृत करके किया गया था.

सीईएफसी प्रथम फाउंडेशन के गठन के लिए एचईसी बोर्ड से कार्योत्तर अनुमोदन लिया गया था, लेकिन मंत्रालय से यह छिपाकर किया गया था कि इसका गठन निजी धन से और एचईसी के एक अधिकारी नवीन कुमार सिंह के निजी पते पर किया गया है. सीईएफसी प्रथम के गठन को मंत्रालय द्वारा अंतिम रूप दिया जाना था, लेकिन आरोपी व्यक्तियों द्वारा एक-दूसरे और अन्य अज्ञात लोक सेवकों के साथ साजिश करके मंत्रालय से संबंधित तथ्यों को छिपाया गया था. जांच में सीबीआई ने इसे आपराधिक साजिश माना.

पूरी योजना ही बदल डाली

योजना के अनुसार, भारत सरकार को उन उद्योगों को सहायता अनुदान देना था जो कॉमन इंजीनियरिंग सुविधा केंद्र (सीईएफसी) की स्थापना के लिए गैर-लाभकारी कंपनियों, सोसायटियों, ट्रस्ट के रूप में एक स्पेशल परपस वेहिक्ल (एसपीवी) का गठन करेंगे. योजना के अनुसार, वित्तपोषण पैटर्न एकमुश्त सहायता अनुदान (इक्विटी नहीं) के माध्यम से 80 प्रतिशत केंद्रीय सहायता दी जानी थी, जिसमें संयंत्र और मशीनरी, मानव संसाधन और कंप्यूटर आदि शामिल हैं, लेकिन वाहन, लैपटॉप/टैबलेट/वीडियो कैमरा, सड़कें, स्ट्रीट लाइट और हरियाली, भूमि और भवन पर खर्च योजना में शामिल नहीं थे. लेकिन आरोपितों ने इसे भी शामिल किया और पूरी योजना को ही बदल दिया.

ये भी पढ़ेंः

दुनिया में स्टील हब बनेगा भारत, तैयारी में जुटा इस्पात मंत्रालय, इस्पात सचिव ने एचईसी को दी टेक्नोलॉजी बदलने की सलाह - STEEL International CONFERENCE

अतिक्रमण का दंश झेल रहा एचईसी, हजारों क्वार्टर पर अवैध कब्जा, कामगार परेशान लेकिन प्रबंधन बेसुध - Illegal occupation of HEC quarters

HEC के एचएमटीपी प्लांट की बाउंड्री टूटी, मजदूरों ने कहा- सुरक्षा के साथ हो रहा है खिलवाड़

रांचीः राजधानी के धुर्वा स्थित एचईसी के पूर्व सीएमडी अभिजीत घोष सहित चार पर सीबीआई दिल्ली के एंटी करप्शन 1 टीम ने आईपीसी की धारा 120-बी आर/डब्ल्यू 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(2) आर/डब्ल्यू 13(1)(डी) के तहत एफआईआर दर्ज की है. पूरा मामला रशियन कंपनी के साथ मिलकर करोड़ों की ठगी से जुड़ा हुआ है.

क्या है पूरा मामला

एचईसी के पूर्व सीएमडी अभिजीत घोष, पूर्व मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी और शाखा प्रबंधक एचईसी दिल्ली के नवीन कुमार सिंह, एचईसी के बिजनेस डेवलपमेंट के तत्कालीन प्रमुख अश्विनी कुमार दास, अज्ञात लोकसेवकों और कई अज्ञात के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है. सीबीआई दिल्ली की एंटी करप्शन 1 टीम ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराध के साक्ष्य प्रारंभिक जांच में मिलने के बाद सभी को आरोपित किया है.

सीबीआई के इंस्पेक्टर आकाश कुमार सैनी ने जांच कर सीबीआई मुख्यालय को रिपोर्ट दिया था. जिसके बाद एक रशियन कंपनी के साथ मिलीभगत कर आपराधिक साजिश रचने के मामले में सीबीआई ने पीई दर्ज कर 6 अप्रैल 2023 को अपनी जांच शुरू की थी. जांच में यह बात सामने आयी है कि 2015-19 के बीच एचईसी अधिकारी और अन्य ने रूस की संयुक्त स्टॉक कंपनी मेसर्स सीएनआईआईटीएमएएसएच के साथ आपराधिक साजिश रची, इससे 30 करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा.

कैसे की गई गड़बड़ी

दरअसल सीबीआई जांच में बात सामने आई कि भारत सरकार ने इंडियन पूंजीगत वस्तु क्षेत्र में कंपटीशन बढ़ाने के लिए एक योजना तैयार करते हुए अधिसूचना संख्या 7/6/2011-एचई एंड एमटी प्रकाशित की थी. योजना का मुख्य उद्देश्य भारतीय पूंजीगत वस्तु क्षेत्र को पूरे विश्व में कंपटीशन युक्त बनाकर भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना था.

14 नवंबर 2015 को एचईसी द्वारा तकनीकी सहयोग हस्तांतरण के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठित फर्मो, शोध संस्थानों को आकर्षित करने के लिए इंटरेस्ट आफ एक्सप्रेशन (ईओआई) जारी की गई थी, ताकि अधिकांश उपकरणों का निर्माण एचईसी द्वारा स्वदेशी रूप से किया जा सके. ईएसआर प्रौद्योगिकी, गियर प्रौद्योगिकी, गैर-विनाशकारी प्रौद्योगिकी और वेल्डिंग प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता केंद्र बनाना भी इसी ईओआई का हिस्सा था.

27 नवंबर 2015 को ईओआई में संशोधन किया गया और संबंधित सरकार की प्रमुख शेयरधारिता खंड को हटा दिया गया और उक्त निविदा की तिथि एक सप्ताह यानी 4 दिसंबर 2015 तक बढ़ा दी गई. इसके ठीक पहले 18 नवंबर 2015 को तत्कालीन सीएमडी अभिजीत घोष ने सीएनआईटीएमएएसएच की ओर से 43 करोड़ रुपये के बजटीय प्रस्ताव पर 30 करोड़ रुपये के परामर्श शुल्क के साथ कौशल विकास के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के लिए भारी उद्योग मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेज दिया.

अभिजीत घोष और एचईसी के अन्य अधिकारियों, जिनमें नवीन कुमार सिंह भी शामिल हैं ने रूस का दौरा किया और 24 दिसंबर 2015 को गैर-वाणिज्यिक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे निविदा मूल्यांकन समिति द्वारा 02 फरवरी 2016 को ही अनुमोदित किया गया. इस दौरान घोष ने एचईसी में चल रही ईओआई/निविदा प्रक्रिया के बारे में भारी उद्योग मंत्रालय को सूचित नहीं किया.

सीबीआई ने पाया है कि यह प्रथम दृष्टया निविदा प्रक्रिया का उल्लंघन है, क्योंकि इसे तकनीकी मूल्यांकन के लिए मूल्यांकन समिति के समक्ष रखा जाना था. सीएनआईआईटीएमएएस बोली के लिए पसंदीदा विकल्प था. नवीन कुमार सिंह गैर-वाणिज्यिक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मास्को गए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होने के बावजूद समिति के संज्ञान में यह बात नहीं लाई.

15 फरवरी 2016 को एचईसी और सीएनआईआईटीएमएएसएच के बीच प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने और नौ मॉड्यूल वाले चार व्यापक क्षेत्रों में प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इसके अलावे सीईएफसी प्रथम फाउंडेशन का गठन 14 दिसंबर 2016 को अभिजीत घोष द्वारा नवीन कुमार सिंह और अश्विनी कुमार दास के साथ साजिश करके भारी उद्योग मंत्रालय और एचईसी बोर्ड की पूर्व स्वीकृति के बिना उनके निजी धन से नवीन कुमार सिंह के निजी आवासीय पते पर पंजीकृत करके किया गया था.

सीईएफसी प्रथम फाउंडेशन के गठन के लिए एचईसी बोर्ड से कार्योत्तर अनुमोदन लिया गया था, लेकिन मंत्रालय से यह छिपाकर किया गया था कि इसका गठन निजी धन से और एचईसी के एक अधिकारी नवीन कुमार सिंह के निजी पते पर किया गया है. सीईएफसी प्रथम के गठन को मंत्रालय द्वारा अंतिम रूप दिया जाना था, लेकिन आरोपी व्यक्तियों द्वारा एक-दूसरे और अन्य अज्ञात लोक सेवकों के साथ साजिश करके मंत्रालय से संबंधित तथ्यों को छिपाया गया था. जांच में सीबीआई ने इसे आपराधिक साजिश माना.

पूरी योजना ही बदल डाली

योजना के अनुसार, भारत सरकार को उन उद्योगों को सहायता अनुदान देना था जो कॉमन इंजीनियरिंग सुविधा केंद्र (सीईएफसी) की स्थापना के लिए गैर-लाभकारी कंपनियों, सोसायटियों, ट्रस्ट के रूप में एक स्पेशल परपस वेहिक्ल (एसपीवी) का गठन करेंगे. योजना के अनुसार, वित्तपोषण पैटर्न एकमुश्त सहायता अनुदान (इक्विटी नहीं) के माध्यम से 80 प्रतिशत केंद्रीय सहायता दी जानी थी, जिसमें संयंत्र और मशीनरी, मानव संसाधन और कंप्यूटर आदि शामिल हैं, लेकिन वाहन, लैपटॉप/टैबलेट/वीडियो कैमरा, सड़कें, स्ट्रीट लाइट और हरियाली, भूमि और भवन पर खर्च योजना में शामिल नहीं थे. लेकिन आरोपितों ने इसे भी शामिल किया और पूरी योजना को ही बदल दिया.

ये भी पढ़ेंः

दुनिया में स्टील हब बनेगा भारत, तैयारी में जुटा इस्पात मंत्रालय, इस्पात सचिव ने एचईसी को दी टेक्नोलॉजी बदलने की सलाह - STEEL International CONFERENCE

अतिक्रमण का दंश झेल रहा एचईसी, हजारों क्वार्टर पर अवैध कब्जा, कामगार परेशान लेकिन प्रबंधन बेसुध - Illegal occupation of HEC quarters

HEC के एचएमटीपी प्लांट की बाउंड्री टूटी, मजदूरों ने कहा- सुरक्षा के साथ हो रहा है खिलवाड़

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.