देहरादून: उत्तराखंड में यूं तो पांच लोकसभा सीटें हैं, लेकिन इनमें हरिद्वार और नैनीताल लोकसभा सीट बाकी संसदीय क्षेत्रों से कई मायने में अलग है. इन दोनों ही लोकसभा सीटों पर सामाजिक समीकरण काफी अलग हैं और यही वजह है कि उत्तराखंड में कांग्रेस को राजनीतिक गणित के लिहाज से ये दोनों लोकसभा सीटें काफी मुफीद नजर आ रही हैं. शायद यही कारण है कि कांग्रेस इन दोनों लोकसभा सीटों पर नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी प्रत्याशियों का नाम तय नहीं कर पा रही है. हरिद्वार और नैनीताल लोकसभा सीट पर कांग्रेस खुद को क्यों मान रही मजबूत और ये सीटें सामाजिक समीकरणों के लिहाज से क्यों अहम हैं, इसी पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...
उत्तराखंड की दो लोकसभा सीटों पर अब भी कांग्रेस की माथा पच्ची जारी है. नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और बीजेपी के प्रत्याशी नामांकन कर प्रचार प्रसार में जुट गए हैं, लेकिन कांग्रेस अभी इन सीटों पर प्रत्याशियों के नाम के झंझट से ही नहीं निकल पाई है.
दरअसल कांग्रेस को इन दोनों ही लोकसभा सीटों से काफी ज्यादा उम्मीदें हैं. पार्टी इन सीटों पर खास सामाजिक समीकरण के कारण खुद को मजबूत मान रही है. बड़ी बात यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी इस लोकसभा सीट से जुड़ी विधानसभाओं में कांग्रेस को कुछ हद तक सफलता भी मिली थी और अब पिछले आंकड़ों और जातीय समीकरणों को भांपकर कांग्रेस लोकसभा चुनाव की वैतरणी पार करने के मूड में है.
हरिद्वार में सामाजिक समीकरण कांग्रेस के पक्ष में! हरिद्वार लोकसभा सीट पर सामाजिक समीकरण कांग्रेस के पक्ष में दिखाई देते हैं. ऐसा पिछले चुनावों के परिणाम को देखकर भी समझा जा सकता है. दरअसल मैदानी जिलों में सामाजिक समीकरण और केंद्र सरकार के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न मामले भी असर डालते हुए दिखाई दिए हैं.
कांग्रेस की जीत के समीकरण: कांग्रेस को विश्वास है कि इन सीटों पर यदि सामाजिक समीकरण को साध लिया जाए तो जीत की राह आसान हो सकती है. खासतौर पर इन लोकसभा सीटों में मुस्लिम वोटरों की अच्छी खासी संख्या इस जीत को आसान करने में मदद कर सकती है. हालांकि जानकार कहते हैं कि कांग्रेस के लिए ऐसा करना काफी मुश्किल होगा, क्योंकि चुनाव मैदान में बहुजन समाज पार्टी समेत कुछ दूसरे प्रत्याशी भी होंगे जो वोटों के गणित को बिगाड़ सकते हैं.
बीजेपी को मिल सकती है कांग्रेस से अच्छी टक्कर! जानकार यह भी कहते हैं कि यह दोनों लोकसभा सीटों पर भाजपा को कांग्रेस अच्छी टक्कर दे सकती है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि कांग्रेस अपने प्रचार प्रसार पर जोर दे और जो कमियां नाम देरी से तय करने में छोड़ दी गई है, उन्हें पूरा करें.
उत्तराखंड में कांग्रेस का इन दोनों लोकसभा सीटों पर मजबूती से हक जताना बेवजह भी नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि मोदी लहर के दौरान विधानसभा चुनाव 2022 में भी इन लोकसभा सीटों से जुड़ी विधानसभाओं में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था. हरिद्वार और नैनीताल लोकसभा सीट से जुड़ी 28 विधानसभाओं में फिलहाल विधायकों के लिहाज से क्या है स्थिति यह भी जानिए...
विधानसभा चुनाव के नतीजों से कांग्रेस को जगी उम्मीद: पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जो जीत के आंकड़े सामने आए उसे साफ है कि मैदानी जिले हरिद्वार और उधमसिंह नगर में कांग्रेस-भाजपा को अच्छी टक्कर देने की स्थिति में गई, और इन्हीं जिलों के भरोसे इन दोनों लोकसभा सीटों पर कांग्रेस जीत का भी दम भर रही है. हालांकि कांग्रेस के नेता शीशपाल बिष्ट कहते हैं कि पार्टी सभी पांचों सीटों पर जीत दर्ज करने वाली है, लेकिन इन दो लोकसभा सीटों पर पार्टी बेहद आसानी से चुनाव जीतने की स्थिति में है.
मौजूदा स्थिति में देखें तो हरिद्वार लोकसभा सीट से भाजपा ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के रूप में नए चेहरे को मैदान में उतारा है, जबकि नैनीताल लोकसभा सीट पर एक बार फिर अजय भट्ट को चुनाव में प्रत्याशी बनाया है. उधर कांग्रेस नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद भी इन दोनों ही सीटों पर अब तक नाम तय नहीं कर पाई है.
वैसे जानकारी मिल रही है कि हरिद्वार लोकसभा सीट पर हरीश रावत का नाम फाइनल किया गया है. वहीं नैनीताल सीट पर पूर्व सांसद महेंद्र पाल को मौका दिया जा सकता है. लोकसभा चुनाव 2019 के आंकड़ों को देखें तो भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अजय भट्ट ने नैनीताल लोकसभा सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी हरीश रावत को 3 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था.
इसी तरह हरिद्वार लोकसभा सीट की बात करें तो यहां भी भाजपा के रमेश पोखरियाल निशंक ने 2 लाख से ज्यादा वोटों से कांग्रेस के प्रत्याशी अम्बरीष कुमार को शिकस्त दी थी, यानी 2019 में इन दोनों ही लोकसभा सीटों पर बड़े मार्जन से भाजपा जीती थी. इसके बावजूद यह दोनों ही सीटें सामाजिक समीकरण के लिहाज से कांग्रेस के लिए मुफीद मानी जा रही थी.
भारतीय जनता पार्टी के नेता इस मामले पर कहते हैं कि कांग्रेस जातीय समीकरणों के आधार पर ही राजनीति करती है और इस लिहाज से जीत का दावा करती है. लेकिन बीजेपी की केंद्र सरकार ने सभी वर्ग और जाति के लिए काम किया है, इसलिए भारतीय जनता पार्टी को सभी वर्गों का साथ मिलेगा और आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाता कांग्रेस को एक बार फिर पटखनी देकर उत्तराखंड में 5 सीटों पर बीजेपी की हैट्रिक लगवाएंगे.
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