जयपुर. आज 22 जुलाई है. आज के दिन को वर्ल्ड ब्रेन डे के रूप में मनाया जाता है. चिकित्सकों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में युवाओं में पैरालिसिस के मामले तेजी से बढ़े हैं, जबकि डिमेंशिया बीमारी भी लोगों को अपनी जद में ले रही है. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. दिनेश खंडेलवाल का कहना है कि पिछले कुछ समय में हार्ट अटैक का इलाज काफी एडवांस हो गया है और हार्ट अटैक से होने वाली मौतों के मामले में कमी आई है. इसके कारण लोगों की उम्र बढ़ने लगी है. उम्र बढ़ाने के साथ ही लोगों में ब्रेन से जुड़ी बीमारियों के मामलों में बढ़ोतरी होने लगी है.
खास तौर पर पिछले कुछ सालों में डिमेंशिया बीमारी के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है और जैसे ही किसी व्यक्ति की उम्र 60 साल से अधिक होती है तो आमतौर पर उसमें डिमेंशिया यानी भूलने की प्रवृत्ति बढ़ने लगती है. कुछ मामलों में यह बीमारी युवाओं में भी देखने को मिल रही है. ऐसे में इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के डिपेंडेंट हो जाता है. यानी उसे अन्य व्यक्ति की सहायता की आवश्यकता होती है. डॉ. खंडेलवाल का कहना है कि उम्र के साथ होने वाली इस बीमारी को प्रीवेंट किया जा सकता है.
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डिमेंशिया के ये हैं प्रमुख कारण : डॉ. दिनेश खंडेलवाल का कहना है कि आम तौर पर डिमेंशिया शरीर की अन्य बीमारियों के कारण अधिक प्रभावित हो जाती है, जिसमें डायबिटीज और हाइपरटेंशन प्रमुख है. इसके अलावा मोटापा, कोलेस्ट्रोल का बढ़ना भी डिमेंशिया जैसे बीमारी को उम्र से पहले दावत दे सकता है. युवाओं में भी डिमेंशिया के मामले देखने को मिल रहे हैं और इसका प्रमुख कारण है विटामिन बी12 की कमी है. विटामिन B12 नॉनवेज से मिलता है, लेकिन वेजिटेरियन अन्य साधनों से भी विटामिन बी12 की कमी को पूरा कर सकते हैं.
इस तरह करें बचाव : डॉ. दिनेश खंडेलवाल का कहना है कि डिमेंशिया आम तौर पर बुजुर्ग व्यक्तियों में देखने को मिलती है, लेकिन समय रहते इसे प्रीवेंट किया जा सकता है. अर्ली एज में यदि एक्सरसाइज और योग किया जाए तो मस्तिष्क को स्वस्थ रखा जा सकता है. इसके अलावा पिछले कुछ सालों में मेडिकल साइंस ने काफी तरक्की की है तो ऐसे में दवाओं के माध्यम से भी इस बीमारी से बचा जा सकता है. साथ ही किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना काफी जरूरी है, क्योंकि नशा ब्रेन को सबसे अधिक नुकसान पहुंचता है.
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युवाओं में पैरालिसिस का बढ़ा खतरा : डॉ. दिनेश खंडेलवाल का कहना है कि ब्रेन से जुड़ी एक दूसरी बीमारी पैरालिसिस है. पिछले कुछ सालों में युवाओं में तेजी से पैरालिसिस के मामले बढ़ने लगे हैं. आम तौर पर पैरालिसिस ब्रेन में चोट के कारण हो सकता है, लेकिन युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति और संतुलित आहार नहीं लेने के कारण भी कई बार युवा पैरालिसिस की चपेट में आ जाते हैं. लोग तेजी से मोटापे का शिकार हो रहे हैं और जिसका प्रमुख कारण है जंक फूड का सेवन करना और एक्सरसाइज नहीं करना है. इसके अलावा अल्ट्रा प्रोसेस फूड से भी मस्तिष्क को काफी नुकसान होता है.