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सभी थानों में दर्ज होगा साइबर, एससी-एसटी, महिला अपराध और मानव तस्वरी का मामला, टालने पर होगी कार्रवाई - Order of Jharkhand DGP

DGP Anurag Gupta. डीजीपी अनुराग गुप्ता ने एक पत्र जारी किया है, जिसमें सभी एसएसपी और एसपी को निर्देश दिया गया है कि अगर कोई शख्स शिकायत लेकर थाना पहुंचता है, चाहे कोई भी मामला हो उसकी शिकायत वहीं दर्ज होनी चाहिए. ऐसा नहीं करने पर संबंधित लोगों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करें.

ORDER OF JHARKHAND DGP
डीजीपी अनुराग गुप्ता (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 2, 2024, 2:06 PM IST

रांचीः झारखंड पुलिस की छवि और कामकाज के तरीके को सुधारने की कवायद शुरू हुई है. डीजीपी अनुराग गुप्ता की ओर से सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को जारी पत्र से तो यही लग रहा है. उन्होंने आदेश दिया है कि अगर कोई भी साइबर क्राइम, एसटी-एससी, मानव तस्करी और महिला अपराध से जुड़े मामले को लेकर किसी भी थाना में पहुंचता है तो उसी थाना में फौरन प्राथमिकी दर्ज करनी होगी.

ORDER OF JHARKHAND DGP
डीजीपी द्वारा जारी पत्र (ईटीवी भारत)

उन्होंने स्पष्ट किया है कि बेशक, महिला अपराध और साइबर क्राइम के लिए अलग से थाने बने हैं. इसका मतलब यह नहीं कि इससे जुड़े मामले उन्हीं थानों में दर्ज हों. डीजीपी ने अपने पत्र में लिखा है कि अक्सर जानकारी मिलती है कि शिकायत दर्ज कराने के लिए आम लोग जब थाना पहुंचते हैं तो थाना प्रभारी और मुंशी के स्तर पर रसीद प्राप्ति भी नहीं दी जाती है. लोगों से अच्छा व्यवहार नहीं होता है. लिहाजा, आम लोगों को भटकाने की जानकारी मिलते ही संबंधित थाना प्रभारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी है.

झारखंड पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह ने डीजीपी के इस पहल की सराहना की है. उन्होंने कहा कि जनता को न्याय में विलंब नहीं होना चाहिए. अगर क्षेत्र की समस्या है तो जीरो एफआईआर करके संबंधित थाना को भेज सकते हैं. यह बहुत अच्छी सोच है. इससे जनता और पुलिस के बीच की दूरी कम होगी. इसका सभी ने स्वागत किया है. इसका असर दिखने की उम्मीद है. एक माह के भीतर काफी लोग सिपाही से जमादार बन जाएंगे. इसलिए मैन पावर की भी कमी नहीं रहेगी.

डीजीपी ने BNSS-173 के प्रावधान का हवाला देते हुए कहा है कि अपराध किए गए क्षेत्र पर विचार किए बिना, थाना प्रभारी को प्राथमिकी दर्ज करनी है. अगर कोई थाना प्रभारी ऐसा नहीं करता है तो उसे कानून का उल्लंघन माना जाएगा. डीजीपी ने सभी डीआईजी और पुलिस अधीक्षकों को यह सुनिश्चित कराने को कहा है कि अगर थाना स्तर पर बात नहीं सुनी जा रही है तो भुक्तभोगी अपनी शिकायत दर्ज करा लें. यह भी निर्देशित किया गया है कि जिस थाने में फरियादी के साथ दुर्व्यवहार होता है तो संबंधित पुलिसकर्मी को चिन्हित कर उसे वहां तो फौरन हटा दिया जाए. पुलिस को यह बात ध्यान में रखना है कि वे जनता के सेवक और सुरक्षाकर्मी हैं ना कि मालिक.

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ORDER OF JHARKHAND DGP
डीजीपी द्वारा जारी पत्र (ईटीवी भारत)

उन्होंने स्पष्ट किया है कि बेशक, महिला अपराध और साइबर क्राइम के लिए अलग से थाने बने हैं. इसका मतलब यह नहीं कि इससे जुड़े मामले उन्हीं थानों में दर्ज हों. डीजीपी ने अपने पत्र में लिखा है कि अक्सर जानकारी मिलती है कि शिकायत दर्ज कराने के लिए आम लोग जब थाना पहुंचते हैं तो थाना प्रभारी और मुंशी के स्तर पर रसीद प्राप्ति भी नहीं दी जाती है. लोगों से अच्छा व्यवहार नहीं होता है. लिहाजा, आम लोगों को भटकाने की जानकारी मिलते ही संबंधित थाना प्रभारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी है.

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डीजीपी ने BNSS-173 के प्रावधान का हवाला देते हुए कहा है कि अपराध किए गए क्षेत्र पर विचार किए बिना, थाना प्रभारी को प्राथमिकी दर्ज करनी है. अगर कोई थाना प्रभारी ऐसा नहीं करता है तो उसे कानून का उल्लंघन माना जाएगा. डीजीपी ने सभी डीआईजी और पुलिस अधीक्षकों को यह सुनिश्चित कराने को कहा है कि अगर थाना स्तर पर बात नहीं सुनी जा रही है तो भुक्तभोगी अपनी शिकायत दर्ज करा लें. यह भी निर्देशित किया गया है कि जिस थाने में फरियादी के साथ दुर्व्यवहार होता है तो संबंधित पुलिसकर्मी को चिन्हित कर उसे वहां तो फौरन हटा दिया जाए. पुलिस को यह बात ध्यान में रखना है कि वे जनता के सेवक और सुरक्षाकर्मी हैं ना कि मालिक.

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