आगराः वृंदावन के बांके बिहारी कारिडोर के लिए 510 करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव देकर सुर्खियों में आए आगरा के कारोबारी प्रखर गर्ग मुश्किलें कम हो रही है. प्रखर गर्ग, उनकी पत्नी समेत पांच अन्य लोगों के खिलाफ हरिपर्वत थाना में दर्ज किया गया है. आरोप है कि आरोपियों ने 9 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है. डीसीपी सिटी के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ है. हरिपर्वत थाना प्रभारी निरीक्षक आलोक सिंह बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी है.
बिल्डर प्रखर गर्ग पर पहले भी धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं. प्रखर गर्ग को 2022 में हरिपर्वत पुलिस ने चैक बाउंस में जेल भेजा था. अब ताजा मामला तीन कंपनियों से जुड़ा हुआ है. इन तीनों ही कंपनी में प्रखर गर्ग डाइरेक्टर हैं. इसके साथ ही इन कंपनियों में अन्य डायरेक्टर हैं. ये कंपनी आरएम इन्फ्रा वेंचर्स, एसआर इन्फ्रा रेन्टल्स प्राइवेट लि और तीसरी स्लोप बिल्डर्स है.
हरिपर्वत थाना प्रभारी निरीक्षक आलोक कुमार सिंह ने बताया कि अरुण सांधी ने बिल्डर समेत पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. आरोप है कि अप्रैल 2018 में जी होटल, सेन्ट्रल बैंक रोड कमला नगर के दूसरे और तीसरे तल की खरीद के लिए पांच करोड़ रुपये का सौदा किया था. ये सौदा आरएम इंफ्रा वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर प्रखर गर्ग निवासी कमलानगर के द्वारिकापुरी और उसके साथी सतीश गुप्ता, सुमित कुमार जैन और मुकेश कुमार जैन ने किया था. ये सभी प्रखर गर्ग के सहयोगी विक्रेता है. सौदे के हिसाब से 2.82 करोड़ रुपये का भुगतान एनईएफटी से कर दिया. लेकिन संपत्ति की रजिस्ट्री की प्रखर गर्ग समेत अन्य आरोपियों ने झांसा दिया. इसके बाद कोविड आ गया तो आरोपियों ने टरका दिया. प्रखर गर्ग की कंपनी में डाइरेक्टर उसकी पत्नी राखी गर्ग और नवदीप मेहता थे. आरोपियों से जब 6.39 करोड़ रुपये वापस मांगे तो उन्होंने पांच-पांच लाख के चेक दिए, जो बाउंस हो गए. दूसरे चेक दिए वे भी बाउंस हो गए.
दूसरी संपत्ति में भी धोखाधड़ी
हरपर्वत पुलिस के मुताबिक वादी अरुण सांधी ने अपनी तहरीर में सन 2020 के एक सौदे की धोखाधड़ी का भी जिक्र है. ये प्रॉपर्टी एमजी रोड पर कुतलूपुर स्थित की है. इस कंपनी में प्रखर गर्ग, विजय निझावन, सचिन निझावन निवासी भरतपुर हाउस, डायरेक्टर हैं. संपत्ति में फर्निशिंग का काम नहीं कराया गया और न ही मासिक किराया 4.50 लाख रुपये का भुगतान किया गया. इस सौदे में भी लगभग 2.66 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई है. अरुण सांधी का आरोप है कि प्रखर गर्ग और उसके साथियों ने धोखाधड़ी करके करोड़ों रुपये हड़प लिए. जब रकम मांगी तो आरोपियों ने जान से मारने की धमकी दी. आरोपियों के खिलाफ कई अन्य धोखाधड़ी के मुकदमे भी दर्ज हैं. आरोपियों के बैंक खातों ईडी ने फ्रीज किए हैं.
बांके बिहारी कॉरिडोर को 510 करोड़ देने का प्रस्ताव दिया था
अक्टूबर 2023 में आगरा के बिल्डर प्रखर गर्ग ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में वृंदावन के बांके बिहारी कारिडोर के लिए 510 करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव दिया था. लिखित में दिया था कि 100 करोड़ रुपये एक माह में जमा कराए जाएंगे. जिससे प्रखर गर्ग चर्चा में आया तो सभी प्रखर के बारे में जानकारी जुटाने लगे थे. पुलिस ने उसकी कुंडली खंगाली थी. तब प्रखर के खिलाफ 22 मुकदमे दर्ज थे. प्रखर के खिलाफ पहला केस 2019 में रजिस्ट्रार आफ कंपनीज कानपुर की ओर से चेक बाउंस का लिखाया गया. अधिकतर मामले धोखाधड़ी, चेक बाउंस और जान से मारने की धमकी हैं. जिसमें से धोखाधड़ी और जान से मारने की धमकी देने के एक मुकदमे में हरीपर्वत पुलिस ने चार्जशीट लगाई थी. बाकी के 21 मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं. बिल्डर प्रखर गर्ग पर पहले भी धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं. प्रखर गर्ग को 2022 में हरिपर्वत पुलिस ने चैक बाउंस में जेल भेजा था. अब ताजा मामला तीन कंपनियों से जुड़ा हुआ है. इन तीनों ही कंपनी में प्रखर गर्ग डाइरेक्टर हैं. इसके साथ ही इन कंपनियों में अन्य डायरेक्टर हैं. ये कंपनी आरएम इन्फ्रा वेंचर्स, एसआर इन्फ्रा रेन्टल्स प्राइवेट लि और तीसरी स्लोप बिल्डर्स है.
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