शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में दुकानों के बाहर नाम और पता लिखने को लेकर दो मंत्रियों द्वारा दिए बयान के बाद सामाजिक तनाव पैदा होने की आशंका को लेकर दायर जनहित याचिका में अगली सुनवाई 4 दिसंबर को होगी. प्रदेश सरकार ने याचिका का जवाब देने के लिए दो सप्ताह के अतिरिक्त समय की मांग की जिसे स्वीकारते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 4 दिसंबर को निर्धारित करने के आदेश दिए.
इस मामले में हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार और नगर निगम शिमला को नोटिस जारी किया है. प्रार्थी टिकेंद्र सिंह पंवर ने दायर जनहित याचिका में कहा है कि हिमाचल के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा था कि राज्य सरकार ने लोगों को स्वच्छ और सुरक्षित भोजन तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर आदेश जारी करने का निर्णय लिया है.
शहरी विकास मंत्री के बयानों का हवाला देते हुए कहा गया कि उन्होंने मीडिया को बताया था कि "शहरी विकास मंत्रालय और नगर निगम ने एक बैठक में खाद्य स्टालों पर भोजन की उपलब्धता के बारे में लोगों के डर और आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए सामूहिक रूप से यह निर्णय लिया है. हमने उत्तर प्रदेश की तरह राज्य में भी नियमों को सख्ती से लागू करने का फैसला किया है."
प्रार्थी का कहना है कि यूपी सरकार की इस संबंध में जारी अधिसूचना पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है इसलिए हिमाचल प्रदेश में भी इस तरह की किसी अधिसूचना को जारी करने पर रोक लगनी चाहिए. प्रार्थी का कहना है कि उन्हें दुकानों के बाहर पंजीकरण संबंधी जानकारी लगाने पर कोई आपत्ति नहीं है परंतु उन्हें दुकानों के बाहर नाम और पता लगाने पर इसलिए आपत्ति है कि इससे सांप्रदायिकता का माहौल पैदा होगा जो देश की एकता और अखंडता के साथ-साथ संवैधानिक मूल्यों के लिए सही नहीं होगा.
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