गौरेला पेंड्रा मरवाही : जीपीएम जिले के किसानों ने नकली खाद बेचे जाने की शिकायत अधिकारियों से की है.बताया जा रहा है कि बिलासपुर की सिरगिट्टी में कंपनी खाद बनाती है.जिसने किसानों को खाद की बोरियां सप्लाई की है. आपको बता दें कि खेतों में उपजाऊ क्षमता बढ़ाने और जड़ों का विकास करने के साथ खाद पत्तियों में क्लोरोफिल का निर्माण कर पौधों को प्रोटीन देता है.जिससे फसल की पैदावार बढ़ती है. इस खाद का इस्तेमाल धान की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है.
कैसे पता चला खाद नकली है : किसानों ने जब खाद का क्रय सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से किया.लेकिन जब इसे खोलकर खेत में डाला तो कई दिनों तक खाद दाने के रूप में पड़ी रही.इसके बाद किसानों ने इस खाद को पानी भरकर बर्तन में रात भर छोड़ दिया. लेकिन रात भर भीगने के बाद भी खाद वैसी की वैसी ही रही. इसके बाद किसानों ने कैमरे के सामने इसे रगड़ कर भी दिखाया पर कोई खास परिवर्तन देखने को नहीं मिला. बल्कि खाद के अंदर से रेत और बजरी के टुकड़े निकलने लगे.
किसानों को अब नुकसान का अंदेशा : इसकी शिकायत किसानों ने सेवा सहकारी समिति तक की. लेकिन कमीशन एजेंट के रूप में काम करने वाली सेवा सहकारी समिति के प्रबंधन से कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद पूरे मामले की जानकारी मीडिया तक पहुंची. कैमरे के सामने किसानों ने खाद को धोकर भी दिखाया जिससे रेत, बजरी निकला. किसानों का आरोप है कि खाद निर्माता कंपनी उनके साथ ठगी कर रही है. यदि खाद ने अपना काम नहीं किया तो उन्हें 30% तक उपज का नुकसान हो सकता है.
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'' किसी भी खाद की बोरी में पत्थर या रेत नहीं मिलना चाहिए.खाद तो खाद ही होता है.पहले कंपनी का नमूना लिया गया था तब से कम शिकायत आ रही थी.लेकिन यदि अब रेत औऱ पत्थर मिले हैं तो जांच के बाद कार्रवाई होगी.'' -एसएस पैकरा, सहायक संचालक कृषि विभाग
छत्तीसगढ़ में धान की फसल और उसका उत्पादन से किसानों का जीवन सीधे जुड़ा हुआ है. यदि खाद बीज में थोड़ी ही गड़बड़ी हुई. तो उस धान के उत्पादन पर सीधे प्रभाव पड़ेगा. इसका प्रभाव किसानों के जीवन पर पड़ना तय है.