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पूर्व सैन्य अधिकारी को बदनाम करने का मामला, दो करोड़ देने के सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ तरुण तेजपाल की याचिका पर नोटिस जारी - दिल्ली हाईकोर्ट

Case of defaming former military officer: सेना के पूर्व अधिकारी को बदनाम करने के मामले में सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने मेजर जनरल एमएस अहलूवालिया को नोटिस जारी कर पेश होने का निर्देश दिया.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 21, 2024, 6:58 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन ने तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल और अनिरुद्ध बहल की 2001 में सेना के एक पूर्व अधिकारी को बदनाम करने के मामले में सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने सेना के पूर्व अधिकारी मेजर जनरल एमएस अहलूवालिया को नोटिस जारी किया. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी किया.

बुधवार को सुनवाई के दौरान तेजपाल और बहल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि कोर्ट के पहले के आदेश के मुताबिक दोनों ने एक अंग्रेजी अखबार में बिना शर्त माफी मांगी थी. इसके अलावा दोनों ने दस-दस लाख रुपये जमा भी कर दिए हैं. सुनवाई के दौरान जनरल एमएस अहलूवालिया की ओर से कोई मौजूद नहीं था. तब कोर्ट ने कहा कि वो याचिकाकर्ताओं की याचिका मंजूर कर सकता हैं, अगर दूसरा पक्ष भी मौजूद हो.

तब लूथरा ने कहा कि वो कोशिश करेंगे कि दूसरा पक्ष उपस्थित हो जाए. लेकिन जनरल अहलूवालिया की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ. उसके बाद कोर्ट ने अहलूवालिया को नोटिस जारी कर पेश होने का निर्देश दिया. बता दें, 12 जनवरी को तरुण तेजपाल और अनिरुद्ध बहल ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा था कि इस मामले में बिना शर्त माफी मांगेंगे.

दरअसल, हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 21 जुलाई 2023 को सेना के पूर्व अधिकारी मेजर जनरल एमएस अहलूवालिया की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए तरुण तेजपाल और अनिरुद्ध बहल को आदेश दिया था कि वो मेजर जनरल अहलूवालिया को बदनाम करने की एवज में दो करोड़ रुपये का मुआवजा दें.

मार्च 2001 में तहलका में एक खबर चलाई थी कि अहलूवालिया ने नए रक्षा उपकरणों को आयात किए जाने वाली डील में एक भ्रष्ट बिचौलिये की भूमिका निभाई. सिंगल बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि अहलूवालिया की छवि न केवल आम लोगों की नजर में खराब हुई बल्कि उन आरोपों से वे उबर नहीं पाए. सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ तेजपाल और बहल ने पुनर्विचार याचिका के रूप में चुनौती दी. सिंगल बेंच ने दोनों की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दिया.

बता दें, मेजर जनरल अहलूवालिया ने मानहानि याचिका में जी टेलीफिल्म लिमिटेड, इसके चेयरमैन सुभाष चंद्रा और पूर्व सीईओ संदीप गोयल को भी आरोपी बनाया था. लेकिन कोर्ट ने उन्हें बरी करने का आदेश दिया.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन ने तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल और अनिरुद्ध बहल की 2001 में सेना के एक पूर्व अधिकारी को बदनाम करने के मामले में सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने सेना के पूर्व अधिकारी मेजर जनरल एमएस अहलूवालिया को नोटिस जारी किया. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी किया.

बुधवार को सुनवाई के दौरान तेजपाल और बहल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि कोर्ट के पहले के आदेश के मुताबिक दोनों ने एक अंग्रेजी अखबार में बिना शर्त माफी मांगी थी. इसके अलावा दोनों ने दस-दस लाख रुपये जमा भी कर दिए हैं. सुनवाई के दौरान जनरल एमएस अहलूवालिया की ओर से कोई मौजूद नहीं था. तब कोर्ट ने कहा कि वो याचिकाकर्ताओं की याचिका मंजूर कर सकता हैं, अगर दूसरा पक्ष भी मौजूद हो.

तब लूथरा ने कहा कि वो कोशिश करेंगे कि दूसरा पक्ष उपस्थित हो जाए. लेकिन जनरल अहलूवालिया की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ. उसके बाद कोर्ट ने अहलूवालिया को नोटिस जारी कर पेश होने का निर्देश दिया. बता दें, 12 जनवरी को तरुण तेजपाल और अनिरुद्ध बहल ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा था कि इस मामले में बिना शर्त माफी मांगेंगे.

दरअसल, हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 21 जुलाई 2023 को सेना के पूर्व अधिकारी मेजर जनरल एमएस अहलूवालिया की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए तरुण तेजपाल और अनिरुद्ध बहल को आदेश दिया था कि वो मेजर जनरल अहलूवालिया को बदनाम करने की एवज में दो करोड़ रुपये का मुआवजा दें.

मार्च 2001 में तहलका में एक खबर चलाई थी कि अहलूवालिया ने नए रक्षा उपकरणों को आयात किए जाने वाली डील में एक भ्रष्ट बिचौलिये की भूमिका निभाई. सिंगल बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि अहलूवालिया की छवि न केवल आम लोगों की नजर में खराब हुई बल्कि उन आरोपों से वे उबर नहीं पाए. सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ तेजपाल और बहल ने पुनर्विचार याचिका के रूप में चुनौती दी. सिंगल बेंच ने दोनों की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दिया.

बता दें, मेजर जनरल अहलूवालिया ने मानहानि याचिका में जी टेलीफिल्म लिमिटेड, इसके चेयरमैन सुभाष चंद्रा और पूर्व सीईओ संदीप गोयल को भी आरोपी बनाया था. लेकिन कोर्ट ने उन्हें बरी करने का आदेश दिया.

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