जयपुर. राजधानी में महिला की हत्या के मामले में मृतका की नाबालिग बेटी को वरदात कबूल करने के लिए धमकाने के आरोप पुलिस पर लगे हैं. यह भी आरोप है कि नाबालिग को बिना रोजनामचे में एंट्री किए थाने में लाकर पूछताछ की गई और वारदात कबूलने के लिए धमकाया गया. अब न्यायिक प्रक्रिया के दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद मानसरोवर के तत्कालीन थानाधिकारी, एक महिला एसआई और दो कांस्टेबल के खिलाफ मानसरोवर थाने में मुकदमा दर्ज करवाया है.
जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ के मुताबिक, एडिशनल डीसीपी (क्राइम) श्रीमनलाल मीना की रिपोर्ट पर मानसरोवर थाने के तत्कालीन एसएचओ दिलीप सोनी, एसआई वंदना नरूका, महिला कांस्टेबल सरोज चौधरी और एक अन्य कांस्टेबल के खिलाफ मानसरोवर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है. यह पूरा मामला साल 2021 में एक महिला सुमन की हत्या से जुड़ा हुआ है. सुमन घरेलू कामकाज करने अपनी बेटी के साथ रामवीर नाम के शख्स के घर गई थी, तभी गोली लगने से उसकी मौत हो गई. पुलिस ने हत्या और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर रामवीर व उसके दोस्त को गिरफ्तार किया और ट्रायल शुरू करवाया.
ट्रायल में बेटी की गवाही के आधार पर कार्रवाई : इस केस के ट्रायल के दौरान मृतका की नाबालिग बेटी ने जो गवाही दी. उसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है. इस मामले में पुलिस पर किशोर न्याय कानून (जुवेनाइल जस्टिस एक्ट) के प्रावधानों की पालना नहीं करने के आरोप लगे हैं. साथ ही यह भी आरोप हैं कि नाबालिग बच्ची को थाने में लाकर पूछताछ की गई और उसे वारदात कबूल करने के लिए धमकाया गया. हालांकि, चारों पुलिसकर्मियों ने इन आरोपों को निराधार बताया है.