रांची: जेएसएससी सीजीएल परीक्षा सरकार के गले की हड्डी बन गयी है. 21 और 22 सितंबर को आयोजित इस परीक्षा में अनियमितता की शिकायत को लेकर छात्रों का आंदोलन तेज हो गया है. गुरुवार को जिला प्रशासन द्वारा नामकुम स्थित झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के कार्यालय के 100 मीटर के दायरे में निषेधाज्ञा लागू किये जाने के बावजूद बड़ी संख्या में छात्र आयोग कार्यालय पहुंचे और नारेबाजी की.
छात्रों का मानना है कि आयोग द्वारा आयोजित इस परीक्षा में एक बार फिर अनियमितता हुई है. परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्रों के सील टूटे पाये गये और कुछ परीक्षा केंद्रों पर प्रश्नपत्रों के वितरण में भी अनियमितता हुई है. छात्रों की नाराजगी को देखते हुए आयोग ने छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल बुलाया. छात्रों के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने आयोग के अध्यक्ष और सचिव से मुलाकात कर इस परीक्षा को रद्द करने का अनुरोध करते हुए ज्ञापन सौंपा. आयोग ने छात्रों द्वारा लगाये गये आरोपों की जांच का आश्वासन दिया है.
सोमवार को बुलाई गई बैठक
छात्रों के आरोपों पर झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने इस मामले में सोमवार को विशेष बैठक बुलाई है. आयोग छात्रों द्वारा सौंपे गए पेन ड्राइव और सीडी के जरिए साक्ष्यों की जांच करेगा. आयोग के अधिकारी से मिलकर बाहर निकले छात्र कुणाल प्रताप ने बताया कि इस परीक्षा में सैकड़ों अनियमितताओं के साक्ष्य आयोग को सौंपे गए हैं. हजारीबाग में एक पुलिसकर्मी द्वारा परीक्षा हॉल में एक महिला अभ्यर्थी को प्रश्नों के उत्तर बताना, कई केंद्रों पर प्रश्न पुस्तिका की सील खुली रहना, सोशल मीडिया पर प्रश्नों के उत्तर पहले ही जारी कर देना और एक दर्जन से अधिक प्रश्न हूबहू केंद्रीय एसएससी के दो साल पहले पूछे जाने समेत कई साक्ष्य आयोग को सौंपे गए हैं.
कुणाल प्रताप ने बताया कि अगर आयोग इस पर गंभीरता से निर्णय नहीं लेता है तो हम छात्र इसके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं. हमने आयोग से मांग की है कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती है, आंसर की जारी नहीं की जाए. अगर ऐसा हुआ तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.
JSSC के खिलाफ नारेबाजी करते रहे छात्र
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग कार्यालय के सामने बड़ी संख्या में सीजीएल परीक्षा के अभ्यर्थी एकत्र हुए और परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर नारेबाजी करते रहे. छात्र नेता मनोज यादव और कई अन्य छात्र अभ्यर्थियों का हौसला बढ़ाते रहे और आंदोलन को और तेज करने की धमकी देते रहे. छात्रों की इस भारी भीड़ को देखते हुए आयोग कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी.
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