लोहरदगा : लोकसभा चुनाव 2024 में चुनाव प्रचार जोरों पर है. अलग-अलग राजनीतिक दल अलग-अलग स्थान पर हर दिन चुनावी सभाएं कर रहे हैं. जल्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की चुनावी सभा होने वाली है. इन सब के बीच सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इस बार लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र में चुनावी भोंपू का शोर कम क्यों सुनाई दे रहा है, जबकि गुमला जिला के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्र में अधिक चुनावी शोर है.
झामुमो के जनाधार वाले इलाके पर ज्यादा ध्यान
चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए सभी पार्टियां कोशिशें कर रही हैं. विशेष कर भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस पार्टी और निर्दलीय प्रत्याशियों ने पूरी ताकत झोंक दी है. प्रत्याशी लगातार क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं, लोगों से मिल रहे हैं और चुनावी सभाएं कर अपनी प्राथमिकताएं गिना रहे हैं.
भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव प्रचार में जुटे
भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी समीर उरांव, कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी सुखदेव भगत और निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा भी प्रचार में जुटे हैं. इसके अलावा अन्य प्रत्याशी भी क्षेत्र में सक्रिय हैं. फिर भी एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इस बार गुमला जिला के सिसई और विशनपुर विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक चुनावी शोर क्यों सुनाई पड़ रहा है.
सिसई में होगी पीएम मोदी की चुनावी सभा और बसिया में राहुल गांधी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा सिसई में होने वाली है और राहुल गांधी की चुनावी सभा बसिया में होने वाली है. इसके अलावा अन्य प्रत्याशी भी इस क्षेत्र में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा ने अपनी पहली चुनावी सभा भी लोहरदगा और विशनपुर विधानसभा क्षेत्र के भंडारा प्रखंड में की है.
जेएमएम के प्रभाव वाले इलाके में फोकस अधिकः लोकेश कुमार
इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार लोकेश कुमार केसरी का कहना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रभाव वाले क्षेत्रों में इस बार सभी प्रत्याशी ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. इसके पीछे कारण यह समझ में आ रहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कोई प्रत्याशी नहीं दिया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के विशनपुर विधायक चमरा लिंडा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के बीच गठबंधन है. ऐसी स्थिति में भीतरघात से बचने के लिए यहां कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा और निर्दलीय प्रत्याशी सबसे अधिक जोर लगा रहे हैं.
लोहरदगा के सिसई से रांची और खूंटी के वोटरों को भी साधने की कोशिश
इसके अलावा गुमला जिला में सिसई, विशनपुर और गुमला तीनों विधानसभा क्षेत्र में झारखंड मुक्ति मोर्चा का विधायक होने की वजह से भारतीय जनता पार्टी भी इस बार इस क्षेत्र में वोट प्रतिशत को बढ़ाने और इनका प्रभाव तोड़ने के लिए ध्यान दे रही है. यही कारण है कि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम इसी क्षेत्र में रखा गया है. जिससे प्रधानमंत्री के आने का फायदा न सिर्फ लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी को मिल सके, बल्कि रांची और खूंटी से सटे होने की वजह से इस इलाके में भी इसका प्रभाव नजर आए.
वैसे भी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकारों का यह मानना है कि लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र में 366112 मतदाताओं में से ज्यादातर मतदाताओं का वोट पहले से ही तय माना जा रहा है. इसके अलावा यदि लोहरदगा लोकसभा सीट में 14 लाख 37018 मतदाताओं की बात की जाए तो इसमें से आप 3,66000 मतदाताओं को अलग भी कर दें, तो लगभग 10 लाख मतदाता रांची जिला के मांडर और गुमला जिला के तीन विधानसभा क्षेत्र से आते हैं. इन मतदाताओं को अपनी ओर रिझाने की भी कोशिशें हो रही हैं.
लोहरदगा लोकसभा सीट पर रोचक मुकाबला होने के आसार
लोहरदगा लोकसभा सीट को लेकर स्थिति रोचक होती जा रही है. सभी राजनीतिक दल क्षेत्र में सक्रिय हो चुके हैं. चुनाव में सभाएं भी हो रही हैं. हालांकि राजनीतिक दलों का ज्यादा जोर अभी तक गुमला जिला के सिसई, विशनपुर और गुमला विधानसभा क्षेत्र में ही नजर आया है. इस क्षेत्र में ज्यादा ध्यान देने के क्या मायने हैं, इस बात को समझिए.
चुनावी रणनीतिकारों और विश्लेषकों का मानना है कि गुमला जिला के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्र में यदि जीत मिलती है तो इसे एक प्रकार से अतिरिक्त वोट माना जा सकता है. यहां पर फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा का अधिक प्रभाव है. इस जिला के तीनों विधानसभा क्षेत्र में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं.
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