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दिल्ली एम्स में कैंसर मरीज परेशान, पेट स्कैन की आवश्यक दवाई की आपूर्ति बाधित, इलाज में हो रही परेशानी

Cancer patients worried in AIIMS: दिल्ली एम्स में पिछले तीन दिन से कैंसर मरीजों की एक प्रमुख जांच पोजिट्रोन इम्मिशन टोमोग्राफी (पेट) स्कैन में इस्तेमाल की जाने वाली दवाई फ्लुओरोड्यॉक्सीग्लूकोज-18 (एफजीजी) की आपूर्ति बंद होने से जांच प्रभावित है. इससे डॉक्टर और मरीज दोनों चिंतित है.

दिल्ली एम्स में कैंसर के मरीज परेशान
दिल्ली एम्स में कैंसर के मरीज परेशान
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 31, 2024, 4:59 PM IST

नई दिल्ली: देश के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान दिल्ली एम्स में पिछले तीन दिन से कैंसर मरीजों की एक प्रमुख जांच पोजिट्रोन इम्मिशन टोमोग्राफी (पेट) स्कैन में इस्तेमाल की जाने वाली दवाई फ्लुओरोड्यॉक्सीग्लूकोज-18 (एफजीजी) की आपूर्ति बंद होने से जांच प्रभावित हो गई है.

एम्स में न्यूक्लियर मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ चंद्रशेखर बाल ने बताया कि एम्स में पेट स्कैन में इस्तेमाल की जाने वाली दवाई बनाने की मशीन करीब दो साल से खराब है. इस वजह से मानेसर स्थित एक निजी कंपनी से दवाई खरीदी जा रही थी. इस दवाई से एम्स में प्रतिदिन 50 मरीज का पेट स्कैन किया जाता है. जबकि, झज्जर स्थित नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट में 25 मरीज का पेट स्कैन होता है. इस तरह प्रतिदिन 75 मरीजों का पेट स्कैन एम्स द्वारा होता है.

अब सोमवार से मानेसर में दवाई की आपूर्ति करने वाली कंपनी की मशीन खराब होने के कारण दवाई नहीं आ रही है. इससे तीन दिन से एम्स में पेट स्कैन की सुविधा ठप है. इससे कैंसर के मरीजों को अपॉइंटमेंट के दिन एम्स आने पर पेट स्कैन की सुविधा नहीं मिल पा रही है. इससे मरीज मायूस और परेशान होकर वापस लौट रहे हैं. डॉक्टर चंद्रशेखर ने बताया कि पहले से ही हमारे पास पेट स्कैन के लिए तीन महीने की वेटिंग चल रही थी.

ये भी पढ़ें : विश्व कुष्ठ रोग दिवस पर विशेष : जानिए क्या है रोग के कारण और क्या है निवारण

अब तीन दिन दवाई की आपूर्ति न होने के कारण यह वेटिंग और ज्यादा बढ़ गई है. समय पर पेट स्कैन की जांच न होने से मरीज का इलाज भी प्रभावित होता है. पेट स्कैन से डॉक्टर यह तय करते हैं कि कैंसर के मरीज का जो इलाज चल रहा है वही चलाना है या बदलना है. उन्होंने बताया कि पहले एम्स में ही मशीन से दवाई बनाकर हम लोग पेट स्कैन के लिए इस्तेमाल करते थे. अब दो साल से एम्स की मशीन भी खराब है और नई मशीन खरीदने के लिए पिछले एक साल से प्रस्ताव भी हो गया है. लेकिन, अभी तक मशीन मंगाई नहीं गई है.

उन्होंने बताया कि पेट स्कैन के इस्तेमाल के लिए दवाई बनाने वाली मशीन विदेश से खरीदनी पड़ती है. इसकी कीमत करीब 50 करोड़ रुपए है. उन्होंने बताया कि अभी यह निश्चित नहीं हुआ है कि कंपनी की ओर से कब तक दवाई की आपूर्ति शुरू की जाएगी. डॉक्टर चंद्रशेखर ने बताया कि पेट स्कैन के लिए डेढ़ हजार मिली क्यूरी दवाई की प्रतिदिन एम्स में अपूर्ति होती है. इसमें से 500 मिली क्यूरी झज्जर स्थित कैंसर सेंटर को जाती है और एक हजार मिली क्यूरी एम्स को मिलती है. जो फिलहाल बंद हो गई है.

क्या होता पेट स्कैन? ः पेट स्कैन एक तरह की रेडियोएक्टिव इमेजिंग परीक्षण है जो आपके अंगों और ऊतकों की छवियां तैयार करता है. परीक्षण में एक सुरक्षित, इंजेक्शन योग्य रेडियोधर्मी रसायन जिसे रेडियोट्रेसर कहा जाता है और एक उपकरण जिसे पीईटी स्कैनर कहा जाता है का उपयोग किया जाता है. स्कैनर रोगग्रस्त कोशिकाओं का पता लगाता है, जो बड़ी मात्रा में रेडियोट्रैसर को अवशोषित करते हैं, जो संभावित स्वास्थ्य समस्या का संकेत देता है. कैंसर का निदान करने और कैंसर के उपचार का आकलन करने में मदद के लिए डॉक्टर अक्सर पीईटी स्कैन का उपयोग करते हैं.वे स्कैन के साथ हृदय और मस्तिष्क की कुछ समस्याओं का भी आकलन कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें : मिर्गी का दौरा पड़ने पर न सुंघाएं जूता, डॉक्टर से जानिए क्या करें, क्या नहीं?

नई दिल्ली: देश के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान दिल्ली एम्स में पिछले तीन दिन से कैंसर मरीजों की एक प्रमुख जांच पोजिट्रोन इम्मिशन टोमोग्राफी (पेट) स्कैन में इस्तेमाल की जाने वाली दवाई फ्लुओरोड्यॉक्सीग्लूकोज-18 (एफजीजी) की आपूर्ति बंद होने से जांच प्रभावित हो गई है.

एम्स में न्यूक्लियर मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ चंद्रशेखर बाल ने बताया कि एम्स में पेट स्कैन में इस्तेमाल की जाने वाली दवाई बनाने की मशीन करीब दो साल से खराब है. इस वजह से मानेसर स्थित एक निजी कंपनी से दवाई खरीदी जा रही थी. इस दवाई से एम्स में प्रतिदिन 50 मरीज का पेट स्कैन किया जाता है. जबकि, झज्जर स्थित नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट में 25 मरीज का पेट स्कैन होता है. इस तरह प्रतिदिन 75 मरीजों का पेट स्कैन एम्स द्वारा होता है.

अब सोमवार से मानेसर में दवाई की आपूर्ति करने वाली कंपनी की मशीन खराब होने के कारण दवाई नहीं आ रही है. इससे तीन दिन से एम्स में पेट स्कैन की सुविधा ठप है. इससे कैंसर के मरीजों को अपॉइंटमेंट के दिन एम्स आने पर पेट स्कैन की सुविधा नहीं मिल पा रही है. इससे मरीज मायूस और परेशान होकर वापस लौट रहे हैं. डॉक्टर चंद्रशेखर ने बताया कि पहले से ही हमारे पास पेट स्कैन के लिए तीन महीने की वेटिंग चल रही थी.

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अब तीन दिन दवाई की आपूर्ति न होने के कारण यह वेटिंग और ज्यादा बढ़ गई है. समय पर पेट स्कैन की जांच न होने से मरीज का इलाज भी प्रभावित होता है. पेट स्कैन से डॉक्टर यह तय करते हैं कि कैंसर के मरीज का जो इलाज चल रहा है वही चलाना है या बदलना है. उन्होंने बताया कि पहले एम्स में ही मशीन से दवाई बनाकर हम लोग पेट स्कैन के लिए इस्तेमाल करते थे. अब दो साल से एम्स की मशीन भी खराब है और नई मशीन खरीदने के लिए पिछले एक साल से प्रस्ताव भी हो गया है. लेकिन, अभी तक मशीन मंगाई नहीं गई है.

उन्होंने बताया कि पेट स्कैन के इस्तेमाल के लिए दवाई बनाने वाली मशीन विदेश से खरीदनी पड़ती है. इसकी कीमत करीब 50 करोड़ रुपए है. उन्होंने बताया कि अभी यह निश्चित नहीं हुआ है कि कंपनी की ओर से कब तक दवाई की आपूर्ति शुरू की जाएगी. डॉक्टर चंद्रशेखर ने बताया कि पेट स्कैन के लिए डेढ़ हजार मिली क्यूरी दवाई की प्रतिदिन एम्स में अपूर्ति होती है. इसमें से 500 मिली क्यूरी झज्जर स्थित कैंसर सेंटर को जाती है और एक हजार मिली क्यूरी एम्स को मिलती है. जो फिलहाल बंद हो गई है.

क्या होता पेट स्कैन? ः पेट स्कैन एक तरह की रेडियोएक्टिव इमेजिंग परीक्षण है जो आपके अंगों और ऊतकों की छवियां तैयार करता है. परीक्षण में एक सुरक्षित, इंजेक्शन योग्य रेडियोधर्मी रसायन जिसे रेडियोट्रेसर कहा जाता है और एक उपकरण जिसे पीईटी स्कैनर कहा जाता है का उपयोग किया जाता है. स्कैनर रोगग्रस्त कोशिकाओं का पता लगाता है, जो बड़ी मात्रा में रेडियोट्रैसर को अवशोषित करते हैं, जो संभावित स्वास्थ्य समस्या का संकेत देता है. कैंसर का निदान करने और कैंसर के उपचार का आकलन करने में मदद के लिए डॉक्टर अक्सर पीईटी स्कैन का उपयोग करते हैं.वे स्कैन के साथ हृदय और मस्तिष्क की कुछ समस्याओं का भी आकलन कर सकते हैं.

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