सिर्फ सिगरेट पीने से ही नहीं होता कैंसर, ये भी हैं बड़े कारण - Cancer causing factors - CANCER CAUSING FACTORS
Cancer causing factors कैंसर की बीमारी पूरे देश की समस्या है. साल दर साल कैंसर के मरीज घटने के बजाए बढ़ते जा रहे हैं.ऐसे में इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करके ही इससे बचा जा सकता है.लेकिन आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि कैंसर का कारक सिर्फ सिगरेट या तंबाकू ही नहीं होता बल्कि दूसरे कारणों से भी ये बीमारी हो सकती है. Cancer symptoms and factors
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Aug 2, 2024, 6:30 AM IST
|Updated : Aug 2, 2024, 6:14 PM IST
सरगुजा : कैंसर का कारण धूम्रपान को ही माना जाता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कैंसर होने के कई कारण होते हैं. भारत में कैंसर से होने वाली मौत में सबसे अधिक मौत फेफड़ों के कैंसर से होती है.यही कारण है कि अब प्रशासन सिगरेट और तंबाकू को खुले में पीने से रोकने की कवायद कर रहा है.सरगुजा पूरे प्रदेश का एकमात्र जिला है जहां पर खुले में सिगरेट पीने की मनाही है. ये छत्तीसगढ़ का एक मात्र धूम्रपान मुक्त जिले का खिताब अपने नाम किए हुए हैं.
सबसे ज्यादा मौतों का जिम्मेदार लंग्स कैंसर : कैंसर को लेकर तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ने अपनी जानकारी हमें साझा की है. डॉक्टर के मुताबिक भारत में लंग्स कैंसर के कारण सबसे ज्यादा मौतें हो रहीं हैं.इसके बाद पेट का कैंसर और फिर पैंक्रियाज के कैंसर से मौत होती है. लंग्स में एडवांस स्थिति में कैंसर हो गया तो अमूमन मरीज की मृत्यु निश्चित रहती है. लंग्स कैंसर को लेकर यह भ्रांति रहती है कि ये सिगरेट पीने वालों को होता है.लेकिन इसके अलावा भी कुछ चीजें कैंसर सेल्स को एक्टिव कर सकती है.
"विशेष बात ये है कि सिगरेट पीने वालों को लंग्स कैंसर होने की संभावना तो होती ही है.लेकिन जो लोग इनके इर्द गिर्द होते हैं उनके अंदर कैंसर सेल्स पनप सकते हैं. इसका कारण ये है कि सिगरेट में जो केमिकल और टोबेको होता है. उसके सूक्ष्म कण भी कैंसर पैदा करने के लिए रिस्पांसिबल हैं. यही कारण है कि सरगुजा में मुहिम चलाई गई और पूरे छत्तीसगढ़ में सरगुजा को धूम्रपान मुक्त जिला के रूप में पहचान मिली है."- डॉ.शैलेंद्र गुप्ता, नोडल अधिकारी,तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम
कोल माइंस के कर्मचारियों को भी खतरा : डॉ. शैलेंद्र गुप्ता के मुताबिक कोल माइंस में जो कर्मचारी काम करते हैं. उनमें कोल के प्रदूषण के कारण भी कैंसर होने के चांस रहते हैं. कोल इंडस्ट्री, जिंक या जिप्सम इंडस्ट्रीज के सराउंडिंग में भी कोई व्यक्ति रह रहा है तो भी लंग्स कैंसर होने के चांसेस बनते हैं. लंग्स कैंसर की कोई हिस्ट्री नहीं मिल रही है तो फैमिली की कोई हिस्ट्री रहती है यानी जेनिटिकली कोई परिवर्तन आता है क्रोमोसोम्स में तो भी लंग्स कैंसर हो सकता है.
रेडिएशन से भी कैंसर का खतरा : रेडिएशन एक्सपोजर के कारण भी कैंसर हो सकता है.सामान्य रूप से रेडिएशन के कारण कैंसर होने के चांस होते हैं. जो रेडिएशन फील्ड में काम करते हैं. एक्सरे, सीटी स्कैन से रेडिएशन निकलने के चांस ज्यादा रहते हैं. जो भी टेक्नीशियन या फिर सिक्योरिटी पर्सन रूम में होते हैं.उस रूम में एक काउंटर रहता है.जो रेडिएशन काउंट करता है कि साल भर में बॉडी ने कितना रेडिएशन एब्जॉर्ब किया है.ये भी एक निश्चित समय के बाद कैंसर का कारक बनता है. वहीं गर्भवती महिलाओं में विकसित होने वाला बच्चा काफी ज्यादा संवेदनशील होता है और दुष्प्रभाव को ग्रहण कर लेता है. इसलिए गर्भावस्था के दौरान एक्सरे कराने की मनाही रहती है.