ETV Bharat / state

कांगेर वैली नेशनल पार्क में शुरु हुई मुहिम, जानिए क्यों बनाना पड़ा पायलट प्रोजेक्ट ? - कांगेर वैली नेशनल पार्क

Campaign To Save Natural Resources बस्तर के कांगेर वैली नेशनल पार्क में आदिवासियों के बढ़ते दबाव को कम करने के लिए कांगेर वैली प्रबंधन ने एक यूनिक और नई पहल शुरू करने जा रही है. इस पहल का नाम कांगेर वैल्ली लैंड्सकैप आधारित पुनर्स्थापना दिया गया है. इस योजना के तहत प्राकृतिक संसाधनों को पुनर्जीवित करने का काम किया जाएगा. Kanger Valley National Park

Kanger Valley National Park
कांगेर वैली नेशनल पार्क में शुरु हुई मुहिम
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 13, 2024, 7:14 PM IST

Updated : Feb 13, 2024, 10:52 PM IST

कांगेर वैली नेशनल पार्क में शुरु हुई मुहिम

बस्तर : कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान बस्तर समेत पूरे देश में अपनी अलग पहचान रखता है. नेशनल पार्क का एरिया 200 वर्ग किलोमीटर है. नेशनल पार्क के आसपास घने जंगल भी है.जिसमें कई तरह की प्राकृतिक चीजें मिलती है.इन चीजों का संग्रहण करने के लिए आसपास के ग्रामीण जंगलों में दाखिल होते हैं.जिसके कारण कई तरह की समस्याएं पैदा हो रही है.

लघु वनोपज और दूसरी चीजों का कांगेर वैली में दबाव : कांगेर वैली नेशनल पार्क में अक्सर देखने को मिल रहा है कि प्राकृतिक संसाधनों पर अलग-अलग प्रकार का दबाव बढ़ रहा है. कई लोग लघु वनोपज संग्रहण करने आ रहे हैं. कई लोग जलाऊ लकड़ी के लिए, मवेशी चराने, कुछ खेती के लिए जमीन अतिक्रमण कर रहे हैं. इन सभी चीजों का दबाव नेशनल पार्क में बढ़ते जा रहा है. नेशनल पार्क के बाहरी क्षेत्र में ऐसी चीजों को रोकने के लिए एक कार्ययोजना बनाई गई है.

''इस काम के लिए कांगेर नदी के पूरे कैचमेंट एरिया को लिया है. यह एरिया करीब 2000 वर्ग किलोमीटर का है. इस एरिया में दरभा, तोकापाल और जगदलपुर ब्लॉक शामिल हैं. इन ब्लॉकों में 200 से अधिक गांव हैं. इन गांवों में विभागों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है. जिनमें सामाजिक वानिकी, उद्यानिकी विभाग, नरेगा विभाग, एग्रीकल्चर विभाग शामिल हैं. इसके अलावा अलग-अलग 5-6 संस्थाएं काम कर रही है. इन सभी के साथ मिलकर काम किया जायेगा.'' गणवीर धम्मशील, निदेशक कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान

आपको बता दें कि इस कार्ययोजना के अंतर्गत एग्रो फॉरेस्ट्री को बढ़ावा दिया जाएगा. वहीं लघु वनोपज से जुड़े पेड़ों की संख्या बढ़ाई जाएगी. ताकि जैवविविधता स्थापित हो सके. साथ ही कृषि के क्षेत्र में ऑर्गेनिक खेती को कैसे बढ़ावा देंगे. जल और मृदा संरक्षण का काम कैसे होगा.इन सभी चीजों के लिए प्लान बनाया जाएगा. साथ ही आजीविका के लिये भी इस प्रोजेक्ट में काम किया जाएगा.

विभागों और ग्रामीणों के साथ की गई बैठक : इसमें पर्यटन से लेकर दूसरे काम भी शामिल हैं. ताकि वनोपज और दूसरी चीजों के बढ़ते दवाब को कम किया जा सके.इस कार्ययोजना के लिए प्राथमिक बैठक सभी विभागों के साथ की गई है. जिसमें सभी विभागों को जानकारी दी गई है. इसके अलावा एक कार्यशाला भी आयोजित की गई. जिसमें विभागों के अधिकारी-कर्मचारी, समुदाय के सदस्य, सामाजिक संगठन, स्थानीय नागरिक और गांवों के सरपंच मौजूद थे.

जेईई-मेन: परीक्षा के पहले संस्करण में 23 उम्मीदवारों ने 100 अंक हासिल किए
एसएससी जीडी कॉन्स्टेबल एग्जाम 2024 : 13 क्षेत्रीय भाषाओं में होगी परीक्षा
संसद ने दी लोक परीक्षा विधेयक को मंजूरी, जानिए कितनी सजा का है प्रावधान

कांगेर वैली नेशनल पार्क में शुरु हुई मुहिम

बस्तर : कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान बस्तर समेत पूरे देश में अपनी अलग पहचान रखता है. नेशनल पार्क का एरिया 200 वर्ग किलोमीटर है. नेशनल पार्क के आसपास घने जंगल भी है.जिसमें कई तरह की प्राकृतिक चीजें मिलती है.इन चीजों का संग्रहण करने के लिए आसपास के ग्रामीण जंगलों में दाखिल होते हैं.जिसके कारण कई तरह की समस्याएं पैदा हो रही है.

लघु वनोपज और दूसरी चीजों का कांगेर वैली में दबाव : कांगेर वैली नेशनल पार्क में अक्सर देखने को मिल रहा है कि प्राकृतिक संसाधनों पर अलग-अलग प्रकार का दबाव बढ़ रहा है. कई लोग लघु वनोपज संग्रहण करने आ रहे हैं. कई लोग जलाऊ लकड़ी के लिए, मवेशी चराने, कुछ खेती के लिए जमीन अतिक्रमण कर रहे हैं. इन सभी चीजों का दबाव नेशनल पार्क में बढ़ते जा रहा है. नेशनल पार्क के बाहरी क्षेत्र में ऐसी चीजों को रोकने के लिए एक कार्ययोजना बनाई गई है.

''इस काम के लिए कांगेर नदी के पूरे कैचमेंट एरिया को लिया है. यह एरिया करीब 2000 वर्ग किलोमीटर का है. इस एरिया में दरभा, तोकापाल और जगदलपुर ब्लॉक शामिल हैं. इन ब्लॉकों में 200 से अधिक गांव हैं. इन गांवों में विभागों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है. जिनमें सामाजिक वानिकी, उद्यानिकी विभाग, नरेगा विभाग, एग्रीकल्चर विभाग शामिल हैं. इसके अलावा अलग-अलग 5-6 संस्थाएं काम कर रही है. इन सभी के साथ मिलकर काम किया जायेगा.'' गणवीर धम्मशील, निदेशक कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान

आपको बता दें कि इस कार्ययोजना के अंतर्गत एग्रो फॉरेस्ट्री को बढ़ावा दिया जाएगा. वहीं लघु वनोपज से जुड़े पेड़ों की संख्या बढ़ाई जाएगी. ताकि जैवविविधता स्थापित हो सके. साथ ही कृषि के क्षेत्र में ऑर्गेनिक खेती को कैसे बढ़ावा देंगे. जल और मृदा संरक्षण का काम कैसे होगा.इन सभी चीजों के लिए प्लान बनाया जाएगा. साथ ही आजीविका के लिये भी इस प्रोजेक्ट में काम किया जाएगा.

विभागों और ग्रामीणों के साथ की गई बैठक : इसमें पर्यटन से लेकर दूसरे काम भी शामिल हैं. ताकि वनोपज और दूसरी चीजों के बढ़ते दवाब को कम किया जा सके.इस कार्ययोजना के लिए प्राथमिक बैठक सभी विभागों के साथ की गई है. जिसमें सभी विभागों को जानकारी दी गई है. इसके अलावा एक कार्यशाला भी आयोजित की गई. जिसमें विभागों के अधिकारी-कर्मचारी, समुदाय के सदस्य, सामाजिक संगठन, स्थानीय नागरिक और गांवों के सरपंच मौजूद थे.

जेईई-मेन: परीक्षा के पहले संस्करण में 23 उम्मीदवारों ने 100 अंक हासिल किए
एसएससी जीडी कॉन्स्टेबल एग्जाम 2024 : 13 क्षेत्रीय भाषाओं में होगी परीक्षा
संसद ने दी लोक परीक्षा विधेयक को मंजूरी, जानिए कितनी सजा का है प्रावधान
Last Updated : Feb 13, 2024, 10:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.