नई दिल्ली: लोकतांत्रिक प्रक्रिया में मजबूती के साथ लोगों की हिस्सेदारी को लेकर कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने गुरुवार को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को एक पत्र भेजकर, दिल्ली सहित देशभर के व्यापारी संगठनों के सक्रिय सहयोग द्वारा लोकसभा चुनाव 2024 में वोटिंग प्रतिशत को बढ़ाने में सहयोग देने की पेशकश की है. दरअसल, दिल्ली में लगभग 3,500 और देशभर में लगभग 48 हजार से ज्यादा व्यापारी संगठन कार्य कर रहे हैं, जो देशभर में लगभग 9 करोड़ से अधिक व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करते हैं. साथ ही देश के घरेलू व्यापार से लगभग 25 करोड़ लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पाते हैं इस बड़े नेटवर्क की पहुंच देश के कोने कोने तक है.
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने इस पत्र में कहा है कि देशभर में फैला व्यापारिक समुदाय देश की सामाजिक-आर्थिक संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस दृष्टि से व्यापारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी के महत्व को समझते हैं और इसी वजह से कैट ने चुनाव आयोग को व्यापारियों के सहयोग का प्रस्ताव दिया है. मजबूत वोटर उत्तरदायित्व हमारे लोकतंत्र की ताकत और जीवंतता के लिए आवश्यक है, इसलिए कैट भारतीय चुनाव आयोग के साथ मिलकर चुनावों में निरंतर भागीदारी बढ़ाने और चुनावी प्रक्रिया में अधिक से अधिक लोग भाग लें, इसे बढ़ावा देने के अपने प्रयास करने की पेशकश कर रहा है.
वहीं, व्यापारी नेताओं ने कहा है कि देशभर में व्यापारी समुदाय का एक व्यापक नेटवर्क और प्रभाव है, जो देश के सभी राज्यों में फैला हुआ है. यह सभी जानते हैं कि देश के 140 करोड़ लोगों की जरूरतों का प्रथम संपर्क व्यापारियों की दुकानें ही हैं. इस नाते से देश के 9 करोड़ से अधिक व्यापारियों का सीधा संपर्क देश के हर राज्य में प्रत्येक व्यक्ति से होता है. वहीं व्यापारियों और ग्राहकों के बीच अच्छे संबंध होने की वजह से उनके द्वारा प्रोत्साहित किए गए किसी भी अभियान का व्यापक असर होता है. इस बड़े नेटवर्क का लाभ उठाते हुए कैट, चुनाव आयोग के सहयोग से जनता को जागरूक करने, सूचनात्मक सामग्री प्रसारित करने और उन्हें उनके मतदान का अधिकार प्रयोग करने के लिए प्रेरित करने की मंशा रखती है.
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प्रवीन खंडेलवाल ने आगे कहा है कि चुनाव आयोग के साथ हाथ मिलाकर कैट, व्यापारियों और सभी समुदाय के बीच नागरिक जिम्मेदारी और भागीदारी की संस्कृति को विकसित कर सकता है. साथ ही आगामी लोकसभा चुनावों में अधिक से अधिक जन-भागीदारी को भी सुनिश्चित किया जा सकता है. इससे हम चुनाव आयोग के वोटिंग प्रतिशत में वृद्धि करने के प्रयासों को गति दे सकते हैं.
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