जयपुर : प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों से जुड़ी कैग की रिपोर्ट बुधवार को विधानसभा के पटल पर रखी गई. इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जिनमें परिवहन, खान विभाग, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग और राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड में 31 मार्च 2021 से लेकर 24 जुलाई 2024 तक कई तरह की खामियां बताई गई है. रिपोर्ट में खास तौर पर परिवहन विभाग में खरीद से पहले वाहनों का पंजीकरण होने और डुप्लीकेट चेसिस जैसे मामले सामने आए हैं.
परिवहन विभाग में धांधली : रिपोर्ट में बताया गया है कि परिवहन विभाग में इस दौरान डेटा एंट्री में भारी त्रुटियां हुई है, जिसके चलते वाहनों की गलत एंट्री हुई है. कैग की पड़ताल में परिवहन विभाग में सुधार के लिए सारथी और क्रमशः सितंबर 2000 और अक्टूबर 2009 में लागू किया था, इनके योग और प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए लेखापरीक्षा की गई. अप्रैल 2016 से मार्च 2021 तक राजस्थान राज्य में सॉफ्टवेयर का उपयोग करके दुपहिया और तिपहिया वाहनों को छोड़कर सभी वाहनों का विश्लेषण किया गया. यह देखा गया कि डेटा प्रविष्टि में त्रुटियों हुई है, जिसके परिणामस्वरूप वाहनों की रिपोर्ट में गलत प्रविष्टियां हुई.
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119 प्रकरणों में वाहनों के पंजीकरण की दिनांक को वाहनों के क्रय की दिनांक से पहले दर्ज किया गया था, जिससे पता चला कि वाहन क्रय की दिनांक से 1 से 74 दिन पहले पंजीकृत किए गए थे. इसके अलावा, 15,570 वाहनों का वजन शून्य से तीन किलोग्राम तक दर्शाया गया था. जबकि 14 वाहनों का वजन एक लाख किलोग्राम से अधिक दर्ज किया गया था. इसके अतिरिक्त डुप्लीकेट इंजन नंबर वाले 712 वाहन परिवहन विभाग में पंजीकृत थे, साथ ही आंकड़ों के विश्लेषण में पाया गया कि 166 लर्नर लाइसेंस, 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों को जारी किए गए. यह इंगित करता है कि ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए जांचे प्रभावी नहीं थी.
खान विभाग में भी अनियमितता : खान विभाग कार्यालयों की रिपोर्ट में यह पाया गया कि नमूना-जांच के लिए चयनित 492 अल्पावधि अनुज्ञापत्रों में से 127 अल्पावधि अनुज्ञापत्र धारकों द्वारा कार्य पूरा होने की नियत तिथि के बाद भी रॉयल्टी के आकलन के लिए रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किए गए थे, यह विलम्ब दो से 40 महीने का था जिसमें ₹ 411.23 करोड़ की राशि के कार्य आदेश शामिल थे. इसके अलावा 38 अल्पावधि अनुज्ञापनों का मूल्यांकन उद्यमता से नहीं किया गया. यह देखा गया कि 3,757 कार्यों में से 2.857 कार्य राशि ₹ 368.81 करोड़ के अल्पावधि अनुज्ञापत्र प्राप्त किए बिना निष्पादित किए गए थे.
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की अनियमितताएं : कैग की रिपोर्ट में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की जो अनियमितता पाई गई उसमें फर्जी बैंक गारंटी के विरुद्ध प्रतिभूति मोचन करने की बात सामने आई है. अपने कार्यालयों के मध्य अप्रभावी संचार के कारण जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग एक संवेदक से ₹ 2.27 करोड़ की वसूली करने में विफल रहा. इसके अलावा गलत सूचकांकों को अपनाने, सूचकांकों की गिरावट की प्रवृत्ति की निगरानी न करने और प्रभावी आंतरिक नियंत्रण की कमी के कारण जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओर से 17.04 करोड़ के मूल्य भिन्नता दावों का अधिक भुगतान होने जैसी अनियमितता सामने आई है.
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पूर्ववर्ती सरकार पर ये दी रिपोर्ट : कैग की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान की पूर्व गहलोत सरकार के शासनकाल में साल 2022-23 में केंद्र सरकार ने राज्य को 29,846 करोड़ रुपए की सहायता दी. जो साल 2021-22 के 36,326 करोड़ के मुकाबले 6,480 करोड़ रुपए कम थी. अशोक गहलोत ने भी अपने शासनकाल में लगातार यह आरोप लगाए थे कि केंद्र सरकार राज्य सरकार को उसके हक का पूरा पैसा नहीं दे रही है. कैग की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि वित्त वर्ष 2022-23 में गहलोत सरकार राजकोषीय घाटा तीन प्रतिशत की सीमा में रखने में नाकाम रही.
रिपोर्ट में कहा गया कि एफआरबीएम अधिनियम कहता है कि सरकारों को राजकोषीय घाटे को जीएसडीपी के तीन प्रतिशत की सीमा के भीतर रखना होगा, लेकिन इस वित्त वर्ष में गहलोत सरकार का राजकोषीय घाटा 51,028 करोड़ था. जो जीएसडीपी का 3.61 प्रतिशत होता हैं. हालांकि कोरोना के चलते केंद्र सरकार ने राज्यों को राजकोषीय घाटे की सीमा में छूट दी थी. रिपोर्ट में कई और भी विभागों की अनियमितता को बारीकी से दिखाया गया है.