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CAG का बड़ा खुलासा, मध्य प्रदेश में बाइक से सप्लाई हो गया सैकड़ों टन पोषण आहार - MP NUTRITION DIET SCAM

मध्य प्रदेश में गर्भवती महिलाओं और बच्चों को मिलने वाले पोषण आहार में भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है. यह दावा सीएजी रिपोर्ट में किया गया है.

MP NUTRITION DIET SCAM
मध्य प्रदेश में बाइक से सप्लाई हो गया सैकड़ों टन पोषण आहार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 23, 2025, 4:16 PM IST

Updated : Jan 23, 2025, 4:22 PM IST

भोपाल (ब्रिजेंद्र पटेरिया) : मध्य प्रदेश में गर्भवती महिलाओं और बच्चों की सेहत सुधारने के लिए तैयार होने वाला पोषण आहार में भी भ्रष्टाचार होने का आरोप है. यह पोषण आहार इन जरूरतमंद महिलाओं, बच्चों तक पहुंच ही नहीं रहा, बल्कि कई अधिकारियों की सांठगांठ से इसके नाम पर फर्जी बिल तैयार किए जा रहे हैं. कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल कैग (Comptroller and Auditor General of India) इसको लेकर गंभीर सवाल खड़े कर चुकी है. अब जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. पता चला है कि यह पोषण आहार बाइट, ऑटो और कंडम हो चुकी कार से सप्लाई किया गया. इनसे कई क्विंटल पोषण आहार सप्लाई दिखा दिया गया. हालांकि मामले के खुलासे के बाद राज्य सरकार ने 6 ज्वाइंट डायरेक्टरों को नोटिस जारी कर दिया है.

कैसे हो रही गड़बड़ी

सबसे पहले समझ लीजिए कि यह पोषण आहार क्या होता है और इसे किन्हें बांटा जाता है? दरअसल, मध्य प्रदेश में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर के आंकड़े बेहद शर्मनाक है. तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन आंकड़ों को प्रदेश के लिए कलंक तक बताया था. गर्भवती महिलाएं, 3 साल तक के बच्चों और बच्चों की देखरेख करने वाली महिलाओं को हर माह टेक होम राशन दिया जाता है. प्रदेश में इस तरह 48 लाख से ज्यादा बच्चों और महिलाओं को यह आहार पहुंचाया जाता है.

यह पोषण आहार प्रदेश के शिवपुरी, सागर, मंडला, धार, रीवा और बाड़ी में छह संयंत्र में तैयार होता है. इसके बाद अलग-अलग जिलों में भेजा जाता है, लेकिन गड़बड़ी इसके बाद से ही शुरू होती है.

मोटरसाइकिल से हो गया 773 टन सप्लाई

सीएजी की रिपोर्ट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि "इन संयंत्रों से जो पोषण आहार जिलों में भेजा रहा है. उसमें भारी गड़बड़ी है. पोषण आहार के परिवहन से जुड़े बिल की जब सीएजी की टीम ने जांच की तो उसमें से बड़ी संख्या में फर्जी पाए गए. सीएजी की टीम ने जब इसका आंकलन किया तो पता चला कि 773 टन पोषण आहार की फर्जी आपूर्ति दिखाई गई है. इसके अलावा 884 टन पोषण आहार के परिवहन में जो बिल प्रस्तुत किए गए हैं, वह भी फर्जी पेश किए गए.

जिस तारीख का 773 टन पोषण आहार की सप्लाई दिखाई गई, उस तारीख को स्टॉक ही उपलब्ध नहीं था. हालांकि सीएजी की आपत्ति पर महिला एवं बाल विकास विभाग ने बताया कि "इसमें लिपिकीय त्रुटि हुई है." विभाग ने परिवहन में उपयोग होने वाले वाहनों के नए नंबर दिए. जब इन वाहन नंबरों की जांच की गई तो पता चला कि इनमें से कई नंबर बाइक, ऑटो और कार के हैं. इसमें से कई वाहन तो कंडम हो चुके हैं, जबकि इन वाहनों से कई क्विंटल पोषण आहार सप्लाई दिखाया गया है.

खुलासे के बाद अब जारी हुए नोटिस

उधर इस खुलासे के बाद विधानसभा की लोक लेखा समिति ने महिला एवं बाल विकास विभाग से जवाब तलब किया है. विभाग के प्रमुख सचिव ने इस मामले में सभी 6 ज्वाइंट डायरेक्टरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. लोकलेखा समिति के सभापति भंवर सिंह शेखावत कहते हैं कि "विभाग से पूछा गया है कि गड़बड़ी के जिम्मेदार कौन अफसर हैं और उन पर क्या कार्रवाई की गई है." उधर विभागीय मंत्री निर्मला भूरिया का कहना है कि "इस मामले में विधानसभा की समिति को फैसला करना है. जांच में जो भी तथ्य आएंगे, उसके हिसाब से कार्रवाई की जाएगी."

भोपाल (ब्रिजेंद्र पटेरिया) : मध्य प्रदेश में गर्भवती महिलाओं और बच्चों की सेहत सुधारने के लिए तैयार होने वाला पोषण आहार में भी भ्रष्टाचार होने का आरोप है. यह पोषण आहार इन जरूरतमंद महिलाओं, बच्चों तक पहुंच ही नहीं रहा, बल्कि कई अधिकारियों की सांठगांठ से इसके नाम पर फर्जी बिल तैयार किए जा रहे हैं. कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल कैग (Comptroller and Auditor General of India) इसको लेकर गंभीर सवाल खड़े कर चुकी है. अब जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. पता चला है कि यह पोषण आहार बाइट, ऑटो और कंडम हो चुकी कार से सप्लाई किया गया. इनसे कई क्विंटल पोषण आहार सप्लाई दिखा दिया गया. हालांकि मामले के खुलासे के बाद राज्य सरकार ने 6 ज्वाइंट डायरेक्टरों को नोटिस जारी कर दिया है.

कैसे हो रही गड़बड़ी

सबसे पहले समझ लीजिए कि यह पोषण आहार क्या होता है और इसे किन्हें बांटा जाता है? दरअसल, मध्य प्रदेश में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर के आंकड़े बेहद शर्मनाक है. तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन आंकड़ों को प्रदेश के लिए कलंक तक बताया था. गर्भवती महिलाएं, 3 साल तक के बच्चों और बच्चों की देखरेख करने वाली महिलाओं को हर माह टेक होम राशन दिया जाता है. प्रदेश में इस तरह 48 लाख से ज्यादा बच्चों और महिलाओं को यह आहार पहुंचाया जाता है.

यह पोषण आहार प्रदेश के शिवपुरी, सागर, मंडला, धार, रीवा और बाड़ी में छह संयंत्र में तैयार होता है. इसके बाद अलग-अलग जिलों में भेजा जाता है, लेकिन गड़बड़ी इसके बाद से ही शुरू होती है.

मोटरसाइकिल से हो गया 773 टन सप्लाई

सीएजी की रिपोर्ट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि "इन संयंत्रों से जो पोषण आहार जिलों में भेजा रहा है. उसमें भारी गड़बड़ी है. पोषण आहार के परिवहन से जुड़े बिल की जब सीएजी की टीम ने जांच की तो उसमें से बड़ी संख्या में फर्जी पाए गए. सीएजी की टीम ने जब इसका आंकलन किया तो पता चला कि 773 टन पोषण आहार की फर्जी आपूर्ति दिखाई गई है. इसके अलावा 884 टन पोषण आहार के परिवहन में जो बिल प्रस्तुत किए गए हैं, वह भी फर्जी पेश किए गए.

जिस तारीख का 773 टन पोषण आहार की सप्लाई दिखाई गई, उस तारीख को स्टॉक ही उपलब्ध नहीं था. हालांकि सीएजी की आपत्ति पर महिला एवं बाल विकास विभाग ने बताया कि "इसमें लिपिकीय त्रुटि हुई है." विभाग ने परिवहन में उपयोग होने वाले वाहनों के नए नंबर दिए. जब इन वाहन नंबरों की जांच की गई तो पता चला कि इनमें से कई नंबर बाइक, ऑटो और कार के हैं. इसमें से कई वाहन तो कंडम हो चुके हैं, जबकि इन वाहनों से कई क्विंटल पोषण आहार सप्लाई दिखाया गया है.

खुलासे के बाद अब जारी हुए नोटिस

उधर इस खुलासे के बाद विधानसभा की लोक लेखा समिति ने महिला एवं बाल विकास विभाग से जवाब तलब किया है. विभाग के प्रमुख सचिव ने इस मामले में सभी 6 ज्वाइंट डायरेक्टरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. लोकलेखा समिति के सभापति भंवर सिंह शेखावत कहते हैं कि "विभाग से पूछा गया है कि गड़बड़ी के जिम्मेदार कौन अफसर हैं और उन पर क्या कार्रवाई की गई है." उधर विभागीय मंत्री निर्मला भूरिया का कहना है कि "इस मामले में विधानसभा की समिति को फैसला करना है. जांच में जो भी तथ्य आएंगे, उसके हिसाब से कार्रवाई की जाएगी."

Last Updated : Jan 23, 2025, 4:22 PM IST
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