जयपुर. लोकसभा चुनाव भले ही खत्म हो गए हो, लेकिन प्रदेश में चुनावी माहौल अभी और बाकी है. अगले 6 महीने में भाजपा और कांग्रेस एक बार फिर उपचुनाव के रूप में आमने-सामने होंगे. कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री और राजस्थान से राज्यसभा सांसद केसी वेणुगोपाल केरल की अलाप्पुझा लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं. लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद अब उनकी राज्यसभा सीट खाली हो गई है. इस सीट पर जून 2026 तक का कार्यकाल बाकी है. छह माह के भीतर इस सीट पर उपचुनाव में होंगे. राज्यसभा ही नहीं बल्कि पांच उन सीटों पर उपचुनाव होगा, जिनसे जीते हुए विधायक सांसद बन गए है, जिसमें देवली-उनियारा, झुंझुनू, खींवसर, दौसा और चौरासी सीट शामिल है.
एक पर मजबूत तो पांच पर कड़ा संघर्ष : एक राज्यसभा और 5 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे. राज्यसभा चुनाव में संख्या बल के लिहाज से देखा जाए तो सत्तारूढ़ भाजपा का पलड़ा भारी रह सकता है. प्रदेश में भाजपा के 115 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस और गठबंधन विधायकों की मौजूदा संख्या 74 हैं. इनमें कांग्रेस के 69. रालोपा एक, भारत आदिवासी पार्टी के 4 विधायक हैं. ऐसे में ये कहा जा सकता है कि कोई ज्यादा उलटफेर नहीं हुआ, तो कांग्रेस के खाते की इस राज्यसभा सीट पर भाजपा अपना कब्ज़ा कर सकती है. बता दें कि राजस्थान की 10 राज्यसभा सीटों में से 6 पर कांग्रेस और 4 सीटों पर भाजपा का कब्जा है. सोनिया गांधी, केसी वेणुगोपाल, नीरज डांगी, प्रमोद तिवारी, रणदीप सिंह सुरजेवाला और मुकुल वासनिक यहां से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हैं. इनमें नीरज डांगी को छोड़कर बाकी सभी नेता दूसरे प्रदेशों से हैं. सांसद केसी वेणुगोपाल के सांसद चुने जाने के बाद अब उनकी राज्यसभा सीट खाली हो गई है. इस सीट पर जून 2026 तक का कार्यकाल बाकी है. ऐसे में निर्वाचन आयोग की गाइड लाइन के अनुसार अगले 6 के भीतर इस सीट पर उपचुनाव होंगे.
5 विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव : इधर कांग्रेस विधायक मुरारी लाल मीणा, बृजेंद्र ओला, हरीश मीणा के अलावा गठबंधन के सहयोगी हनुमान बेनीवाल और राजकुमार रोत के भी लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव होने हैं. इन पांच सीटों में से 3 कांग्रेस और एक आरएलपी और एक बीएपी के खाते में है. ऐसे में माना जा रहा है उप चुनाव में भी कांग्रेस गठबंधन के साथ आगे बढ़ सकती है, ऐसा होता है तो देवली-उनियारा, झुंझुनू, दौसा विधानसभा सीट पर कांग्रेस अपने उम्मीदवार उतार सकती है, जबकि चौरासी और खींवसर सीट पर आरएलपी और बाप के साथ गठबंधन कर सकती है. लोकसभा उपचुनाव से उत्साहित कांग्रेस को अपनी सीटों पर कब्जा बरकरार रखना कोई ज्यादा मुश्किलों वाला नहीं होगा, लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा के लिए इन पांच विधानसभा की सीटों पर चुनौती होगी, क्योंकि लोकसभा में इन सीटों पर भाजपा कोई ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई. ऐसे में कांग्रेस और उसके सहयोगी गठबंधन के सामने बीजेपी को को उपचुनाव में कड़ी चुनौती होगी.