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झारखंड में तीसरे मोर्चा की सुगबुगाहट, छोटे-छोटे दल चुनावी मुकाबले को बना सकते हैं त्रिकोणीय! - Third front

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 6 hours ago

Third front for Jharkhand Assembly Election. झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी दलों ने कमर कस ली है. बड़े दलों के अलावा भी छोटे दल भी काफी सक्रिय हैं. सियासी गलियारों में तीसरे मोर्चे की भी सुगबुगाहट तेज है. क्या, छोटे दल थर्ड फ्रंट बनाकर एनडीए और इंडिया गठबंधन को चुनौती दे सकते हैं?

buzz about forming third front for Jharkhand Assembly Election
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए अभी निर्वाचन आयोग ने तिथियों की घोषणा भले नहीं की है. लेकिन प्रदेश के राजनीतिक दल अपनी अपनी चुनावी बिसात सेट करने में लगे हैं. राज्य में सत्तारूढ़ इंडिया ब्लॉक और भाजपा की नेतृत्व वाली इंडिया के बीच मुख्य मुकाबला होने की उम्मीदों है. इन सबके बीच कई राजनीति दल थर्ड फ्रंट बनाने की योजना को बेहद गुप्त तरीके से अपनी रणनीतियों को अंतिम रुप देने में लगे हैं.

झारखंड में तीसरे मोर्चा के गठन को लेकर बोले विभिन्न दलों के नेता (ETV Bharat)

झारखंड में सीपीआई-सीपीएम जैसे दल भाजपा विरोधी होने की वजह से इंडिया ब्लॉक में रहकर चुनाव लड़ने को इच्छुक दिखते हैं. लेकिन उन्हें यह भी पता है कि इंडिया गठबंधन और खासकर झारखंड मुक्ति मोर्चा शायद ही उन्हें गठबंधन की इंडिया ब्लॉक में शामिल करें. लिहाजा अभी से ही ये दल राज्य के छोटे वैसे दलों के नेताओं से भी संपर्क करने लगे हैं जो अभी तक राज्य में न तो एनडीए का हिस्सा हैं और न ही इंडिया ब्लॉक में शामिल हैं. झारखंड सीपीआई के नेता अजय सिंह इस बात को स्वीकारने में परहेज भी नहीं करते.

इंडिया ब्लॉक को अपनी ताकत बढ़ाने की है जरूरत

झारखंड सीपीआई के नेता अजय सिंह कहते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए के साथ 40 से अधिक दल हैं जबकि इंडिया ब्लॉक में उससे बहुत कम दल शामिल हैं. ऐसे में इंडिया ब्लॉक को मजबूत कर एनडीए को टक्कर देने लायक बनाने के लिए कुनबे को बढ़ाने की जरूरत है. हर राजनीतिक दल और उसके नेता की अभिलाषा चुनाव लड़ने की होती है, इसलिए तीसरा मोर्चा के विकल्प चुनावी राजनीति में हमेशा खुला रहता है.

भाजपा-झामुमो के द्विपक्षीय हम त्रिकोणीय बनाएंगे

सीपीआई के नेता अजय सिंह कहते हैं कि भाजपा को सत्ता के आने से रोकने के लिए, उसे हराने के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी झामुमो की है क्योंकि वह सबसे बड़ा दल है. अगर झामुमो-कांग्रेस पहल नहीं करती है तो सीपीआई समान सोच वाली पार्टियों के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा जरूर बनाएगी. अजय सिंह कहते हैं कि सीपीआई, सीपीएम, झारखंड नामधारी पार्टियों और यहां तक कि कुछ राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों के साथ मिलकर तीसरे मोर्चे बनाने की भी तैयारी है.

कई दलों से मोर्चा बनाने पर चल रही है बात

सीपीआई के अजय सिंह कहते हैं कि जल्द ही कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक बुलाई जाएगी जिसमें एक नए मोर्चे या गठजोड़ को अंतिम रूप देने पर चर्चा होगी. सीपीआई के नेता भले ही अभी इस गठजोड़ में शामिल होने वाले दलों के नाम का खुलासा नहीं करें. लेकिन ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि सीपीआई, सीपीएम, झारखंड पार्टी, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम, बसपा, आप और सूर्य सिंह बेसरा का संगठन इसमें शामिल हो सकता है.

ओवर कॉन्फिडेंस में गठबंधन!

राज्य में एनडीए और इंडिया गठबंधन से अलग एक तीसरे मोर्चे के गठन की सुगबुगाहट के सवाल पर सत्तारूढ़ इंडिया ब्लॉक के मुख्य दल कांग्रेस और झामुमो दोनों के नेताओं के बयान से लगता है कि ये दल दोबारा राज्य में सरकार बनाने के आत्मविश्वास से कुछ ज्यादा ही लवरेज हैं. कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा कहते हैं कि जब हम दूसरे फ्रंट को ही नहीं मानते, राज्य में विपक्ष की कोई ताकत नहीं है तो थर्ड फ्रंट की क्या बात की जाए. वहीं झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में इंडिया ब्लॉक या महागठबंधन में पहले से तीन दल झामुमो, कांग्रेस और राजद हैं, अब इसमें सीपीआई माले की एंट्री हुई है. झामुमो नेता कहते हैं कि यहां लड़ाई मुख्य रूप में इंडिया और एनडीए के बीच ही है कोई तीसरा मोर्चा, चौथा मोर्चा असरकारक नहीं होने वाला है.

झारखंड में भाजपा का मुकाबला झामुमो गठबंधन से

झारखंड भाजपा के प्रवक्ता अजय साह ने राज्य में किसी भी तरह के थर्ड फ्रंट बनने की संभावना को नकारा है. प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि देश में बहुदलीय लोकतंत्र है और हर किसी को चुनाव लड़ने का अधिकार है. लेकिन झारखंड में जैसा कि प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि राज्य के तीन दुश्मन झामुमो, कांग्रेस, राजद हैं और इसी से भाजपा का मुकाबला है. छोटे छोटे दल अलग अलग ब्लॉक में कुछ वोट इधर उधर कर सकते हैं लेकिन जनता परिवर्तन का मन बना चुकी है.

झारखंड की राजनीति में पहले से ही जयराम महतो ने सभी विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं और अब सीपीआई ने एक और मोर्चा बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. ऐसे में कई विधानसभा सीटों पर चुनावी संग्राम चतुष्कोणीय भी हो जाए तो उसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी. वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में 81 विधानसभा सीट वाले झारखंड में मुख्य मुकाबला इंडिया गठबंधन बनाम एनडीए का ही प्रतीत हो रहा है. लेकिन ये भी सच है कि अभी चुनाव में काफी दिन बचे हुए हैं और राजनीति में कभी-भी कुछ भी हो सकता है.

इसे भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव में तीसरा मोर्चा की कवायद, निर्दलीय के लिए स्टार प्रचारक होंगे सरयू राय! - Jharkhand assembly election

इसे भी पढ़ें- नीतीश के साथ मिलकर झारखंड में तीसरा मोर्चा बनाएंगे सरयू राय! क्या जयराम महतो और झापा देगी इनका साथ - Jharkhand Assembly Election 2024

इसे भी पढ़ें- नया गठजोड़-नया समीकरण, झारखंड विधानसभा चुनाव में नजर आ सकता है तीसरा मोर्चा! - Jharkhand assembly election

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए अभी निर्वाचन आयोग ने तिथियों की घोषणा भले नहीं की है. लेकिन प्रदेश के राजनीतिक दल अपनी अपनी चुनावी बिसात सेट करने में लगे हैं. राज्य में सत्तारूढ़ इंडिया ब्लॉक और भाजपा की नेतृत्व वाली इंडिया के बीच मुख्य मुकाबला होने की उम्मीदों है. इन सबके बीच कई राजनीति दल थर्ड फ्रंट बनाने की योजना को बेहद गुप्त तरीके से अपनी रणनीतियों को अंतिम रुप देने में लगे हैं.

झारखंड में तीसरे मोर्चा के गठन को लेकर बोले विभिन्न दलों के नेता (ETV Bharat)

झारखंड में सीपीआई-सीपीएम जैसे दल भाजपा विरोधी होने की वजह से इंडिया ब्लॉक में रहकर चुनाव लड़ने को इच्छुक दिखते हैं. लेकिन उन्हें यह भी पता है कि इंडिया गठबंधन और खासकर झारखंड मुक्ति मोर्चा शायद ही उन्हें गठबंधन की इंडिया ब्लॉक में शामिल करें. लिहाजा अभी से ही ये दल राज्य के छोटे वैसे दलों के नेताओं से भी संपर्क करने लगे हैं जो अभी तक राज्य में न तो एनडीए का हिस्सा हैं और न ही इंडिया ब्लॉक में शामिल हैं. झारखंड सीपीआई के नेता अजय सिंह इस बात को स्वीकारने में परहेज भी नहीं करते.

इंडिया ब्लॉक को अपनी ताकत बढ़ाने की है जरूरत

झारखंड सीपीआई के नेता अजय सिंह कहते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए के साथ 40 से अधिक दल हैं जबकि इंडिया ब्लॉक में उससे बहुत कम दल शामिल हैं. ऐसे में इंडिया ब्लॉक को मजबूत कर एनडीए को टक्कर देने लायक बनाने के लिए कुनबे को बढ़ाने की जरूरत है. हर राजनीतिक दल और उसके नेता की अभिलाषा चुनाव लड़ने की होती है, इसलिए तीसरा मोर्चा के विकल्प चुनावी राजनीति में हमेशा खुला रहता है.

भाजपा-झामुमो के द्विपक्षीय हम त्रिकोणीय बनाएंगे

सीपीआई के नेता अजय सिंह कहते हैं कि भाजपा को सत्ता के आने से रोकने के लिए, उसे हराने के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी झामुमो की है क्योंकि वह सबसे बड़ा दल है. अगर झामुमो-कांग्रेस पहल नहीं करती है तो सीपीआई समान सोच वाली पार्टियों के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा जरूर बनाएगी. अजय सिंह कहते हैं कि सीपीआई, सीपीएम, झारखंड नामधारी पार्टियों और यहां तक कि कुछ राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों के साथ मिलकर तीसरे मोर्चे बनाने की भी तैयारी है.

कई दलों से मोर्चा बनाने पर चल रही है बात

सीपीआई के अजय सिंह कहते हैं कि जल्द ही कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक बुलाई जाएगी जिसमें एक नए मोर्चे या गठजोड़ को अंतिम रूप देने पर चर्चा होगी. सीपीआई के नेता भले ही अभी इस गठजोड़ में शामिल होने वाले दलों के नाम का खुलासा नहीं करें. लेकिन ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि सीपीआई, सीपीएम, झारखंड पार्टी, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम, बसपा, आप और सूर्य सिंह बेसरा का संगठन इसमें शामिल हो सकता है.

ओवर कॉन्फिडेंस में गठबंधन!

राज्य में एनडीए और इंडिया गठबंधन से अलग एक तीसरे मोर्चे के गठन की सुगबुगाहट के सवाल पर सत्तारूढ़ इंडिया ब्लॉक के मुख्य दल कांग्रेस और झामुमो दोनों के नेताओं के बयान से लगता है कि ये दल दोबारा राज्य में सरकार बनाने के आत्मविश्वास से कुछ ज्यादा ही लवरेज हैं. कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा कहते हैं कि जब हम दूसरे फ्रंट को ही नहीं मानते, राज्य में विपक्ष की कोई ताकत नहीं है तो थर्ड फ्रंट की क्या बात की जाए. वहीं झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में इंडिया ब्लॉक या महागठबंधन में पहले से तीन दल झामुमो, कांग्रेस और राजद हैं, अब इसमें सीपीआई माले की एंट्री हुई है. झामुमो नेता कहते हैं कि यहां लड़ाई मुख्य रूप में इंडिया और एनडीए के बीच ही है कोई तीसरा मोर्चा, चौथा मोर्चा असरकारक नहीं होने वाला है.

झारखंड में भाजपा का मुकाबला झामुमो गठबंधन से

झारखंड भाजपा के प्रवक्ता अजय साह ने राज्य में किसी भी तरह के थर्ड फ्रंट बनने की संभावना को नकारा है. प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि देश में बहुदलीय लोकतंत्र है और हर किसी को चुनाव लड़ने का अधिकार है. लेकिन झारखंड में जैसा कि प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि राज्य के तीन दुश्मन झामुमो, कांग्रेस, राजद हैं और इसी से भाजपा का मुकाबला है. छोटे छोटे दल अलग अलग ब्लॉक में कुछ वोट इधर उधर कर सकते हैं लेकिन जनता परिवर्तन का मन बना चुकी है.

झारखंड की राजनीति में पहले से ही जयराम महतो ने सभी विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं और अब सीपीआई ने एक और मोर्चा बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. ऐसे में कई विधानसभा सीटों पर चुनावी संग्राम चतुष्कोणीय भी हो जाए तो उसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी. वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में 81 विधानसभा सीट वाले झारखंड में मुख्य मुकाबला इंडिया गठबंधन बनाम एनडीए का ही प्रतीत हो रहा है. लेकिन ये भी सच है कि अभी चुनाव में काफी दिन बचे हुए हैं और राजनीति में कभी-भी कुछ भी हो सकता है.

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