बक्सरः INDI अलायंस की ओर से आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में बक्सर लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने पीएम मोदी और नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने मोदी को वोट देनेवालों को मानसिक रूप से दिवालिया बता दिया. सुधाकर सिंह ने कहा कि इतनी महंगाई के बाद भी जो लोग मोदी-मोदी कर रहे हैं वो उनके मानसिक रूप से दिवालिया होने का परिचायक है.
'मानसिक रोगी नीतीश कैसे सीएम बने बैठे हैं': सुधाकर सिंह ने कहा कि मानसिक रूप से बीमार लोगों को इस देश में वोट देने का अधिकार नहीं है, फिर मानसिक रूपस बीमार नीतीश कुमार कैसे मुख्यमंत्री बने बैठे हैं. सुधाकर सिंह ने मोदी समर्थकों को भी मानसिक रूप से दिवालिया बताया और कहा कि "इतने लोगों के इलाज के लिए देश में अस्पताल नहीं है."
'13 रुपये के मुफ्त राशन के बदले जेब से निकाले 850 रुपये': सुधाकर सिंह ने कहा कि "राशन योजना महागठबंधन ने शुरू की थी जिसके लिए 13 रुपये लगते थे, उसी 13 रुपये के अनाज को मोदी ने फ्री कर दिया और बदले मे 350 रुपये की जगह 1200 रुपये का सिलिंडर दे दिया. इसके बाद भी जो लोग मोदी-मोदी कर रहे हैं वो लोग मानसिक रूप से दिवालिया हैं."
'वोट की चोट से होगा इलाज': सुधाकर सिंह ने कहा कि "इतने मानसिक रोगियों के इलाज के लिए देश में अस्पताल नहीं है, इसलिए ऐसे लोगों का इलाज जनता अपने वोट के चोट से करेगी". उन्होंने कहा कि "सिर्फ बक्सर ही नहीं पूरे बिहार में INDI अलायंस जीत दर्ज करेगा और देश में सरकार बनाएगा. ये उत्साह आम आदमी का उत्साह है."
बाद में लिया यू-टर्नः हालांकि मंच से मोदी समर्थकों को दिवालिया कहने के बयान पर सुधाकर सिंह ने यू-टर्न ले लिया. उनके बयान को लेकर जब मीडिया ने उनसे सवाल किये तो सुधाकर सिंह ने कहा कि उन्होंने मोदी समर्थकों के लिए नहीं बल्कि सीएम नीतीश कुमार के संदर्भ में ऐसा बयान दिया था. जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल उन्होंने सदन से लेकर रैलियों में किया है वो मानसिक रूप से विक्षिप्त होने का परिचायक है.
मंत्री रहते नीतीश कुमार के खिलाफ खोल रखा था मोर्चाः बता दें कि बिहार में जब नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी थी तब सुधाकर सिंह को कृषि मंत्री बनाया गया था. मंत्री रहने के दौरान भी सुधाकर सिंह लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजियों के लिए सुर्खियों में रहे.यहां तक कि उन्होंने कई बार नीतीश कुमार को तानाशाह और शिखंडी भी कहा था. इस बयानबाजी के कारण बाद में उन्हें कृषि मंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था.