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भगवान राम ने जहां ग्रहण की थी शिक्षा, उस शहर के बच्चों के सामने शिक्षा का संकट, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान! - Buxar Municipal Council

Raja Rudradev fort बक्सर नगर परिषद के कर्मियों ने राजा रुद्रदेव के किले को कूड़ा डंपिंग जोन बना दिया. विश्वामित्र की यह नगरी, कभी भगवान राम ने यहां पढ़ाई की थी, आज यहां के बच्चे कूड़े के ढेर पर बैठकर पढ़ने को विवश हैं. लोगों का मानना है कि अंग्रेजों की समय भी इससे बेहतर व्यवस्था थी. पढ़ें, विस्तार से क्यों यहां के लोग नगर परिषद से हैं नाराज.

बक्सर नगर परिषद.
बक्सर नगर परिषद. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 19, 2024, 4:56 PM IST

शहर के बीचोबीच कूड़ा डंप हो रहा. (ETV Bharat)

बक्सर: बिहार के बक्सर में विकास एवं साफ सफाई के लिए नगर परिषद ने 1 अरब 61 करोड़ का बजट बनाया है. उसके बाद भी शहर के कचड़े को शहर में ही डंप किया जा रहा है. नगर थाना क्षेत्र से 50 मीटर, उप-विकास आयुक्त के सरकारी आवास से महज 30 मीटर और जिला अतिथिगृह से मात्र 2 मीटर की दूरी पर शहर के बीचोबीच राजा रुद्रदेव के किले में कूड़ा डंप किया जा रहा है. प्रत्येक दिन शहर के 60 टन कचड़े को शहर के बीचोबीच डंप किया जा रहा है.

बच्चों ने स्कूल आना छोड़ दियाः जिस जगह यह कूड़ा डंप किया जा रहा है, वहां एक सरकारी विद्यालय भी है. जिसके कैम्पस के अंदर कूड़ा पसरने लगा है. बीमार पड़ने के डर से कई गरीब परिवार के बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया. किला मैदान में खेलने आने वाले बच्चों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. शहर के बीचोबीच गिराये जा रहे कूड़े से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. शहर की इस समस्या के बाबत नप चेयरमैन का पक्ष जानने के लिए फोन किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया.

अबतक कूड़ा डंपिंग जोन नहींः जानकारों की मानें तो, बक्सर नगर परिषद की स्थापना अंग्रेजी शासन काल के दौरान वर्ष 1869 में शहर पुरानी कचहरी के पास किया गया था. उस समय शहर को 6 वार्ड में बांटकर सफाई की जाती थी. 2002 में नगर परिषद क्षेत्र का विस्तार कर कुल 34 वार्ड किया गया. 2024 में नए परसीमन के बाद कुल 42 वार्ड का गठन हुआ. इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी सत्ता और शासन में बैठे लोग कूड़ा डंपिंग जोन तक नहीं बनावा सके.

क्या कहते हैं स्थानीय लोगः किला मैदान में फुटबाल खेलने पहुंचे सोहनी पट्टी इलाके के रहने वाला युवा खिलाड़ी संदीप कुमार ने बताया कि, पूरे शहर की गंदगी को इस खेल मैदान के ही एरिया में डंप किया जा रहा है. अब तो सांस लेना भी मुश्किल हो गया है. धीरे धीरे बच्चे अब आना ही छोड़ रहे है. किला मैदान के समीप रहने वाली तेतरी देवी ने कहा कि जिले के बड़े हाकिम से लेकर उस सरकारी विद्यालय के शिक्षकों के बच्चे बड़े बड़े ऐसी कमरे वाली प्राइवेट स्कूल में पढ़ने जाते है. उन्हें हमारे बच्चों से क्या लेना देना है.

क्या कहते हैं स्थानीय विधायकः स्थानीय कांग्रेस विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने नगर विकास मंत्री सह जिले के प्रभारी मंत्री से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि, 15 अगस्त को विभागीय मंत्री से लेकर जिलाधिकारी जिस किला मैदान में उपस्थित थे, इसी दिन नप के कर्मी कूड़ा डंप कर रहे थे तो इसका जवाब मंत्री और जिला प्रशासन को देना चाहिए. जिला अतिथिगृह के कैम्पस में सटाकर कूड़ा गिराया जा रहा है.

इसे भी पढ़ेंः गजबे है बिहार! बक्सर में सड़क पर हाजिरी बना रहे टीचर, क्लासरूम में नाले का पानी, सरकारी स्कूल की पोल खोलती ये रिपोर्ट - Flood in Bihar

इसे भी पढ़ेंः बक्सर में सरकारी जमीन पर माफियाओं का कब्जा, जिला प्रशासन पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप - Occupies Government Land in Buxar

शहर के बीचोबीच कूड़ा डंप हो रहा. (ETV Bharat)

बक्सर: बिहार के बक्सर में विकास एवं साफ सफाई के लिए नगर परिषद ने 1 अरब 61 करोड़ का बजट बनाया है. उसके बाद भी शहर के कचड़े को शहर में ही डंप किया जा रहा है. नगर थाना क्षेत्र से 50 मीटर, उप-विकास आयुक्त के सरकारी आवास से महज 30 मीटर और जिला अतिथिगृह से मात्र 2 मीटर की दूरी पर शहर के बीचोबीच राजा रुद्रदेव के किले में कूड़ा डंप किया जा रहा है. प्रत्येक दिन शहर के 60 टन कचड़े को शहर के बीचोबीच डंप किया जा रहा है.

बच्चों ने स्कूल आना छोड़ दियाः जिस जगह यह कूड़ा डंप किया जा रहा है, वहां एक सरकारी विद्यालय भी है. जिसके कैम्पस के अंदर कूड़ा पसरने लगा है. बीमार पड़ने के डर से कई गरीब परिवार के बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया. किला मैदान में खेलने आने वाले बच्चों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. शहर के बीचोबीच गिराये जा रहे कूड़े से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. शहर की इस समस्या के बाबत नप चेयरमैन का पक्ष जानने के लिए फोन किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया.

अबतक कूड़ा डंपिंग जोन नहींः जानकारों की मानें तो, बक्सर नगर परिषद की स्थापना अंग्रेजी शासन काल के दौरान वर्ष 1869 में शहर पुरानी कचहरी के पास किया गया था. उस समय शहर को 6 वार्ड में बांटकर सफाई की जाती थी. 2002 में नगर परिषद क्षेत्र का विस्तार कर कुल 34 वार्ड किया गया. 2024 में नए परसीमन के बाद कुल 42 वार्ड का गठन हुआ. इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी सत्ता और शासन में बैठे लोग कूड़ा डंपिंग जोन तक नहीं बनावा सके.

क्या कहते हैं स्थानीय लोगः किला मैदान में फुटबाल खेलने पहुंचे सोहनी पट्टी इलाके के रहने वाला युवा खिलाड़ी संदीप कुमार ने बताया कि, पूरे शहर की गंदगी को इस खेल मैदान के ही एरिया में डंप किया जा रहा है. अब तो सांस लेना भी मुश्किल हो गया है. धीरे धीरे बच्चे अब आना ही छोड़ रहे है. किला मैदान के समीप रहने वाली तेतरी देवी ने कहा कि जिले के बड़े हाकिम से लेकर उस सरकारी विद्यालय के शिक्षकों के बच्चे बड़े बड़े ऐसी कमरे वाली प्राइवेट स्कूल में पढ़ने जाते है. उन्हें हमारे बच्चों से क्या लेना देना है.

क्या कहते हैं स्थानीय विधायकः स्थानीय कांग्रेस विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने नगर विकास मंत्री सह जिले के प्रभारी मंत्री से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि, 15 अगस्त को विभागीय मंत्री से लेकर जिलाधिकारी जिस किला मैदान में उपस्थित थे, इसी दिन नप के कर्मी कूड़ा डंप कर रहे थे तो इसका जवाब मंत्री और जिला प्रशासन को देना चाहिए. जिला अतिथिगृह के कैम्पस में सटाकर कूड़ा गिराया जा रहा है.

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